Adding MP to the Annexed Mantralay: नये मंत्रालय भवन में यूं हुई मध्य प्रदेश की प्राण प्रतिष्ठा! 

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Adding MP to the Annexed Mantralay: नये मंत्रालय भवन में यूं हुई मध्य प्रदेश की प्राण प्रतिष्ठा! 

मध्य प्रदेश शासन का मुख्यालय वल्लभ भवन जब छोटा पड़ने लगा तो राज्य शासन ने नया भवन बनाना तय किया .नया भवन आधुनिक और सर्व सुविधा युक्त हो यह सोचकर राज्य शासन ने नामी आर्किटेक्ट और विख्यात भवन निर्माण कंपनी को यह जिम्मा सौंपा .वल्लभ भवन के दो बाजुओं की तरह नये भवन आकार लेने लगे .

नगरीय प्रशासन एवं पर्यावरण विभाग के अपर सचिव के रूप में जब मैंने मन्त्रालय में प्रभार लिया तो राजधानी परियोजना का दायित्व भी मुझे देखना था .मन्त्रालय का निर्माण राजधानी परियोजना को सौंपा गया था .राजधानी के सुव्यवस्थित विकास के लिये मशहूर श्री महेश नीलकंठ बुच साहब के समय से राजधानी परियोजना भोपाल को आधुनिक और सुंदर राजधानी बनाने के लिये एक विशेषज्ञ एजेंसी की तरह काम कर रही थी .दिल्ली विकास प्राधिकरण का यह मध्य प्रदेशीय अवतार था .2018 आते आते नये भवन पूर्णता की ओर थे तब मेरा ध्यान इस ओर गया कि यह विशाल और आधुनिक भवन शानदार तो है पर यह कॉर्पोरेट शैली का है .पुराने मंत्रालय के अभ्यस्त हम लोग इसमें पाँच सितारा होटल या नोएडा -गुड़गाँव जैसा महसूस करते थे .कुल मिलाकर विन्ध्याचल सतपुड़ा वल्लभ भवन के देशी हो चुके सुर ताल में यह नया निर्माण माइकल जैक्सन की तरह था .भव्य ,आधुनिक किंतु एलियन .यह मप्र की सत्ता का साकेत था पर इसकी विशाल देह में मप्र की आत्मा नहीं थी .मैंने अपने प्रमुख सचिव को कहा कि सर मूर्ति तो भव्य बनी है पर इसमें मप्र की प्राण प्रतिष्ठा ज़रूरी है .

मुझे चिंता थी कि जो जन मानस अभी तक ब्रिटिश काल की जीर्ण शीर्ण हो रही बुझी बुझी सी इमारतों में घुसते ही आत्म विश्वास खो देता है वह इस नये नवेले भवन की विशालता के आतंक में सहम सहम जायेगा .उसे यह अपना सा लगे विदेशी नहीं स्वदेशी लगे यह उपाय करना मुझे आवश्यक लगा .प्रमुख सचिव ने सहज ही हरी झंडी दे दी .नस्ती ऊपर तक गई .विशेषज्ञों ,कला विदों और प्रशासकों ने मिलकर नये भवन के हर कोने में मप्र के शिल्प ,साहित्य ,वस्त्र विद्या ,इतिहास ,संगीत ,पुरातत्व ,पर्यावरण ,जनजीवन की स्थानीय विशिष्टताओं से सजा दिया .मेघदूत से लेकर लोकमाता अहिल्या बाई तक की छवियाँ मन्त्रालय की जड़ता तोड़ मुस्कुरा रहीं हैं तो चन्देरी और महेश्वर की सुगंध भी यहाँ महक रही है .बाग प्रिंट के साथ साथ प्रमुख लेखकों ,कवियों ,सम्पादकों,संगीतज्ञों सब को सिंहासन का सानिध्य मिला है .मप्र की स्थानीयता से सुसज्जित नया भवन सुसंस्कृति का स्पंदित और जीवंत आश्रय है .अगली बार जब यहाँ जायें तो गौर से देखिये यहाँ आपको मध्य प्रदेश दिखेगा .