Vallabh Bhavan Annexy: केबिनेट कक्ष की दिशा में ऐसे हुआ सुधार! 

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Vallabh Bhavan Annexy: केबिनेट कक्ष की दिशा में ऐसे हुआ सुधार! 

भोपाल में वल्लभ भवन के विस्तार (Vallabh Bhavan Annexy) के कई मज़ेदार क़िस्से हैं। उनमें से एक आज यहाँ बता रहा हूँ।

हुआ यों कि भवन निर्माण की साप्ताहिक समीक्षा के दौरान हमारे अभियंताओं के सुझाव पर मैं कैबिनेट कक्ष को देखने गया .उसका आकार प्रकार सब बढ़िया था पर मुझे ध्यान में आया कि वास्तु के मान से इसकी दिशा शुभ नहीं है .जब मैंने यह बताया तो हमारे अभियंता और निर्माण एजेंसी दोनों पशोपेश में पड़ गये .मैं अंध विश्वासी नहीं हूँ किन्तु हमारे पूर्वजों ने कठिन तपस्या से जो ज्ञान अर्जित किया है उसका सम्मान और उपयोग करना विवेक सम्मत मानता हूँ .

मैंने कहा -इस कक्ष में मंत्रिपरिषद प्रदेश के करोड़ों लोगों के जीवन मरण से संबंधित फ़ैसले करेगी। हम उन्हें शुभ और सुखद दिशा में ना बिठा सकें तो इस नये भवन का क्या औचित्य है ? सब मेरा मुँह देख रहे थे .मैंने दृढ़ता से कहा इसकी दिशा बदलिये और भारतीय वास्तु के अनुरूप कीजिये .मामूली तोड़ फोड़ और कुछ हेर फेर से यह संभव हो गया।

मुझे आश्चर्य था इस तथ्य की ओर हमारे अनुभवी विशेषज्ञों का ध्यान क्यों नहीं गया ? विशेषकर हमारे उस नामी आर्किटेक्ट का जो मुंबई से अवतरित हुआ था और दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के आवास सहित अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूर्ण कर चुका है। विशेषज्ञों में सहज बुद्धि की असहजता मुझे मज़ेदार लगती है।

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राजीव शर्मा

चर्चित प्रशासक ,प्रखर वक्ता ,वन्य जीव छायाकार ,पुरातत्व प्रेमी ,लोकप्रिय कवि और अब बेस्ट सेलर उपन्यासकार राजीव शर्मा बहुआयामी व्यक्तित्व के लिये जाने जाते हैं.भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवा निवृति लेकर वे मप्र की प्रतिभाओं को फुटबॉल क्रांति और प्रणाम मप्र के माध्यम से निखारने में लगे है .मालवा ,महाकौशल,विंध्य ,निमाड़ ,मध्य भारत ,बुंदेलखंड में एसडीएम ,एडीएम ,सीईओ जिला पंचायत ,कलेक्टर ,आयुक्त आदि पदों पर कार्य करते हुए जनमानस से उनका गहरा जुड़ाव रहा है .ग्रामीण विकास मंत्रालय के रिसोर्स पर्सन के रूप में NIRD हैदराबाद ,labasnaa मसूरी ,SIRD जबलपुर ,नरोन्हा अकादमी भोपाल में व्याख्यान .

आदि शंकराचार्य पर आधारित उनका उपन्यास दो केंद्रीय विश्व विद्यालयों सहित कुल पाँच विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है .विद्रोही संन्यासी और अद्भुत संन्यासी मराठी अंग्रेजी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित .आजकल सम्राट सहस्त्रबाहु पर उपन्यास को अंतिम रूप देने में लगे हैं.

१८५७ की क्रांति पर उनके दो उपन्यास स्वाहा और रामगढ़ की वीराँगना शीघ्र प्रकाश्य .उनकी The SDM प्रशासनिक अधिकारियों का मैन्युअल है .

उनके प्रयासों से बान्धवगढ़ के वनों में छिपे पुरातत्व का स्वतंत्र भारत में पहली बार सर्वे हुआ .