सरकार उखाड़ फेंकने की धमकियों और तैयारियों से कितने खतरे

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सरकार उखाड़ फेंकने की धमकियों और तैयारियों से कितने खतरे 

देश के वरिष्ठ नेता और नामी वकील सलमान खुर्शीद आलम खान भारत में ही नहीं विदेश में क़ानूनी शिक्षा प्राप्त किए हुए हैं | इसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के नाम पर उग्र राजनीती करने वाले राकेश टिकैत का दावा रहा है कि उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से एल एल बी की डिग्री ली हुई है | इसलिए ऐसे नेताओं के बयानों को क्या गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए ? राकेश टिकैत ने पिछले दिनों टी वी न्यूज़ चैनल के कैमरे पर एक बयान में कहा है कि ” बांग्लादेश देश जैसी स्थिति भारत में भी होने वाली है. उन्होंने कहा कि जैसे बांग्लादेश में शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल के दौरान सारे विपक्षी नेता जेल में बंद थे, वैसे ही भारत में भी है | यहां भी विपक्षी नेताओं को जेल में डाला जा रहा है | जनता में इसे लेकर काफी गुस्सा है | जल्द ही हसीना जैसा हाल इनका (पीएम मोदी) भी होने वाला है | ये ढूंढे नहीं मिलेंगे | ” राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए यहाँ तक धमकी दे दी कि जब हम किसान आंदोलन के वक्त ट्रैक्टर लेकर लालकिले की तरफ गए थे, उस वक्त अगर हम संसद की तरफ चले जाते तो उसी दिन सारा केस निपट जाता. |हम 25 लाख लोग थे | उस वक्त हमसे चूक हुई थी, लेकिन ये चूक जल्द ही हम दूर कर लेंगे | हम इन्हें निपटाएंगे. हमारी पूरी तैयारी है | ”

इससे कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने एक कार्यक्रम में कहा था कि ” ऊपरी तौर पर भले ही सब कुछ सामान्य लगे लेकिन बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह भारत में भी हो सकता है। ” वह कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और सोनिया राहुल गाँधी के नजदीकी सलाहकार हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन 1981 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) में एक विशेष कर्तव्य अधिकारी के रूप में शुरू किया । चुनाव लड़ते रहे है |केंद्रीय वाणिज्य उप मंत्री , विदेश राज्य मंत्री , अलप संख्यक मंत्री रहे हैं | पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री खुर्शीद आलम खान के बेटे और भारत के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के नाती हैं । वह अपने परिवार के पैतृक और मातृ पक्ष दोनों से पठान वंश के हैं | वह अपने वंश को अफगानिस्तान के अफरीदी और खेशगी जनजातियों से जोड़ते हैं । इसलिए बांग्ला देश , पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की स्थितियों को सामान्य लोगों से अधिक समझते हैं | कांग्रेस पार्टी के छोटे मोटे प्रवक्ता इस बयान को निजी कहकर टालते हैं , लेकिन राहुल गाँधी के सबसे प्रमुख सलाहकार और पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता जयराम रमेश ने तो 31 अक्टूबर 2021 को राकेश टिकैत के एक धमकी भरे बयान के समर्थन में अपने ट्वीट में घोषित कर दिया था कि ” राकेश टिकैतजी पूरे भारत को उम्मीद है और भारतीय आपकी तरफ बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं | ” वह टिकैत के उस वक्तव्य का समर्थन कर रहे थे , जिसमे उन्होंने कहा था कि ” आंदोलन कर रहे लोगों और किसानों को अगर दिल्ली की सीमाओं से जबरन हटाने की कोशिश हुई तो वे देश भर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे । ” इस दृष्टि से हरियाणा , जम्मू कश्मीर के चुनावों से पहले कांग्रेसी नेताओं और टिकैत की धमकियों को खतरनाक अराजकतावादी और भारत के कानून न्याय संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में कहा जाने पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए | बांग्ला देश के तख्ता पलट में सी आई ए के षड्यंत्र का आरोप स्वयं पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना का है | हमारी तरह सलमान खुर्शीद या अन्य कांग्रेसी जानते होंगे कि किसी समय श्रीमती इंदिरा गाँधी और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष शंकरदयाल शर्मा लगातार सी आई ए के भारत विरोधी षड्यंत्र पर चिंता व्यक्त करते थे | बादमें पाकिस्तान से युद्ध होने पर अमेरिका ने भारत के विरुद्ध सातवां जंगी जहाजी बेडा भेज दिया था | फिर इंदिरा विरोधी आंदोलन और खालिस्तान समर्थक आतंकियों को विदेशी समर्थन फंडिंग की बातें सामने आती रही थी |

राकेश टिकैत दो साल दिल्ली पुलिस में रहा था । बाद में वह भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) में शामिल हुआ | | 2018 में, टिकैत हरिद्वार, उत्तराखंड से दिल्ली तक किसान क्रांति यात्रा के नेता थे। टिकैत ने 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में खतौली सीट से बहुजन किसान दल (बीकेडी) पार्टी ( कांग्रेस के समर्थन से) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन छठे स्थान पर रहे थे। 2014 के आम चुनाव में, उन्होंने अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और बुरी तरह पराजित हुए | इसलिए सत्ता की उनकी भूख से कोई इंकार नहीं कर सकता |राकेश टिकैत, जो केंद्र के कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध नाम पर उभरे और खाप नेता के रूप में पहलवानों के हक में खड़े दिखाई देने की कुल संपत्ति 80 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जाती है |रिपोर्ट के अनुसार टिकैत की चार राज्यों में संपत्ति है, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली शामिल हैं. इसके अलावा, उनके पास मुजफ्फरनगर, ललितपुर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, देहरादून, रुड़की, हरिद्वार और मुंबई सहित 13 शहरों में संपत्तियां हैं. |

उत्तर प्रदेश विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने राकेश टिकैत के खिलाफ राष्ट्रीय सुअराक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग की है | विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है |गुर्जर ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि पहले गणतंत्र दिवस पर अलगाववादियों और खालिस्तानियों के साथ मिलकर असंख्य स्वतंत्रता सैनानियों के बलिदान स्वरूप प्राप्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को लालकिले से उतारकर वहां खालिस्तानियों का झंडा फहराया गया | पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए राष्ट्रहित में हटाए गए धारा 370 का विरोध किया | एनएसए के तहत मुकदमा दर्ज होने के बावजूद गिरफ्तारी और कठोर कार्रवाई नहीं होने पर राकेश टिकैत का दुस्साहस बढ़ता गया | विधायक का कहना है कि राकेश टिकैत दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले बांग्लादेशियों रोहिंगयाओं और देशविरोधी ताकतों के प्रवक्ता के रूप में बोल रहे हैं, जिन्होंने देश को खंडित करने और अपनी देश विरोधी मंशा पूर्व में ही प्रकट कर दी है. इसके पीछे विदेशों से प्राप्त हो रही धनराशि है, जिसकी उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है | वहीँ नामी वकील और नई न्याय संहिता पर पुस्तक के लेखक अश्विनी दुबे ने एक बातचीत में बताया है कि इस तरह के बयान जारी करने वाले न्याय संहिता के सेक्शन 152 के तहत राष्ट्र द्रोह के अपराध के अंतर्गत सजा के पात्र हो सकते हैं |

इस सन्दर्भ में एक और तथ्य की तरफ ध्यान दिलाया जा रहा है – डीप स्टेट से जुड़े अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस ने राष्ट्रवादी सरकारों को उखाड़ फेंकने के लिए 100 अरब डॉलर फंड का एलान किया था। डीप स्टेट अपना एजेंडा चलाने के लिए दुनियाभर से राष्ट्रवादी सरकारों को उखाड़ फेंकना चाहती है और उसने भारत में लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सरकार में आने से रोकने के लिए भरपूर कोशिश की लेकिन उसकी दाल नहीं गली। राहुल गांधी ने अमेरिका में ट्रंप पर हुए हमले की निंदा की है। लेकिन ट्रंप पर हमले की निंदा करने वाले राहुल गांधी लोगों को उकसाते हैं। बनारस में जब पीएम मोदी के काफिले पर जूता फेंका गया तो उन्होंने उसे जायज़ ठहराते हुए कहा कि ‘अब देश में कोई भी नरेंद्र मोदी से नहीं डरता।” 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा था, ”ये जो नरेंद्र मोदी भाषण दे रहा है, छह महीने बाद ये घर से बाहर नहीं निकल पाएगा। हिन्दुस्तान के युवा इसको ऐसा डंडा मारेंगे, इसको समझा देंगे कि हिन्दुस्तान के युवा को रोजगार दिए बिना ये देश आगे नहीं बढ़ सकता।”

केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने एक गैर सरकारी संगठन ‘एनवायरनिक्स ट्रस्ट’ पर बड़ा आरोप लगाया है । सरकार ने अदालत को बताया कि इस एनजीओ ने भारत में विकास की गति को रोकने के लिए विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया है। केंद्र सरकार ने आगे बताया कि एनजीओ को 90% धन विदेशी स्रोतों से प्राप्त होता है। इसने कोयला, इस्पात और ताप विद्युत परियोजनाओं के खिलाफ आंदोलन किए जिसमें उन्हें विदेश से पैसे भेजे गए। आयकर छूट वापस लेने की चुनौती को खारिज करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ एनजीओ की अपील का भी विरोध हुआ। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एनजीओ के घोषित उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्य के लिए विदेशी धन का उपयोग करने के कारण, एफसीआरए के तहत विदेश से धन प्राप्त करने की अनुमति और आयकर भुगतान से छूट रद्द कर दी गई।आयकर विभाग ने हलफनामे में कहा कि ट्रस्ट ने घरों में राहत पैकेज बांटने की आड़ में ओडिशा के एक गांव में विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को वित्तपोषित किया है। ट्रस्ट ने अपने आईसीआईसीआई बैंक खाते से प्रति व्यक्ति 1,250 रुपये की राशि उन व्यक्तियों को हस्तांतरित की है जो उक्त विरोध प्रदर्शन में शामिल थे और इस संबंध में दर्ज एफआईआर में नामित थे। आयकर विभाग ने कहा कि व्हाट्सएप चैट से प्राप्त साक्ष्यों से पता चला है कि एनजीओ के प्रबंध ट्रस्टी श्रीधर राममूर्ति ने ‘प्रतिरोध संग्राम समिति’ के प्रशांत पैकरे को ट्रस्ट की तरफ से 711 लोगों के बैंक खातों में 1,250-1,250 रुपये हस्तांतरित करने के बारे में जानकारी दी थी और स्वीकार किया था कि ट्रस्ट ‘फेयर ग्रीन और ग्लोबल अलायंस ‘ सहित विदेशी संस्थाओं के साथ काम करता है, जिसमें छह डच सदस्य संगठन शामिल हैं।

आईटी ने कहा कि जो वुडमैन और ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी श्रीधर भारत में कोयला संयंत्रों के खिलाफ साजिश रचने और कुछ विदेशी नागरिकों और संस्थाओं की मदद से इन परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाने में शामिल थे। इसमें कहा गया है कि ट्रस्ट ‘यूरोपीय जलवायु परिवर्तन’ के साथ मिलकर भारत में थर्मल पावर प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है। । इन संगठनों के एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और उनके मुख्य व्यक्ति आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए आने वाले महीनों में विभिन्न राज्यों के आंदोलनों और षड्यंत्रों पर सबको सतर्क रहना होगा |

Author profile
ALOK MEHTA
आलोक मेहता

आलोक मेहता एक भारतीय पत्रकार, टीवी प्रसारक और लेखक हैं। 2009 में, उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री का नागरिक सम्मान मिला। मेहताजी के काम ने हमेशा सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।

7  सितम्बर 1952  को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्में आलोक मेहता का पत्रकारिता में सक्रिय रहने का यह पांचवां दशक है। नई दूनिया, हिंदुस्तान समाचार, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान में राजनितिक संवाददाता के रूप में कार्य करने के बाद  वौइस् ऑफ़ जर्मनी, कोलोन में रहे। भारत लौटकर  नवभारत टाइम्स, , दैनिक भास्कर, दैनिक हिंदुस्तान, आउटलुक साप्ताहिक व नै दुनिया में संपादक रहे ।

भारत सरकार के राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य, एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व महासचिव, रेडियो तथा टीवी चैनलों पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण किया। लगभग 40 देशों की यात्रायें, अनेक प्रधानमंत्रियों, राष्ट्राध्यक्षों व नेताओं से भेंटवार्ताएं की ।

प्रमुख पुस्तकों में"Naman Narmada- Obeisance to Narmada [2], Social Reforms In India , कलम के सेनापति [3], "पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा" (2000), [4] Indian Journalism Keeping it clean [5], सफर सुहाना दुनिया का [6], चिड़िया फिर नहीं चहकी (कहानी संग्रह), Bird did not Sing Yet Again (छोटी कहानियों का संग्रह), भारत के राष्ट्रपति (राजेंद्र प्रसाद से प्रतिभा पाटिल तक), नामी चेहरे यादगार मुलाकातें ( Interviews of Prominent personalities), तब और अब, [7] स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ (TRAVELOGUES OF INDIA AND EUROPE), [8]चरित्र और चेहरे, आस्था का आँगन, सिंहासन का न्याय, आधुनिक भारत : परम्परा और भविष्य इनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं | उनके पुरस्कारों में पदम श्री, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, पत्रकारिता भूषण पुरस्कार, हल्दीघाटी सम्मान,  राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, राष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार आदि शामिल हैं ।