Relief to Employees: पदोन्नति से किया इंकार तो स्वीकृत उच्चतर वेतनमान के मिल चुके वित्तीय लाभ वापस नहीं होंगे
भोपाल: मध्यप्रदेश के सरकारी विभागों में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। उच्चतर वेतनमान का वित्तीय लाभ लेने के बाद यदि कर्मचारी नियमित पदोन्नति स्वीकार करने से इंकार करेगा तो उसे पूर्व से स्वीकृत उच्चतर वेतनमान के अंतर्गत मिल चुके वित्तीय लाभ वापस नहीं लिए जाएंगे। लेकिन उसे बाद में कोई उच्चतर वेतनमान का वित्तीय लाभ देय नहीं होगा।
सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 सितंबर 2002को इस संबंध में जारी निर्देशों में अब बदलाव कर दिया है। प्रदेश के सभी सरकारी महकमों में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए वर्ष 2002 में जारी निर्देशों का पालन अब तक किया जा रहा था। इसमें यह प्रावधान था कि यदि किसी शासकीय सेवक को क्रमोन्नति का लाभ दिया गया हो उसे जब उच्च पद पद पदोन्नत किया जाता है और वह ऐसी पदोन्नति लेने से इंकार करता है तो उसे पूर्व में प्रदान किए गए क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ भी तत्काल समाप्त कर दिया जाए साथ ही पदोन्नति आदेश में भी इसका स्पष्ट उल्लेख किया जाए कि यदि शासकीय सेवक इस पदोन्नति का परित्याग करता है तो उसे पदोन्नति के एवज में पूर्व में प्रदान किए गए क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ भी समाप्त कर दिया जाएगा।
इस आदेश से दिक्कत आ रही थी और कई शासकीय सेवकों ने न्यायालय की शरण ली थी। कोर्ट से उनके पक्ष में फैसले भी हो रहे है। इसलिए इस पर विराम लगाने अब सामान्य प्रशासन विभाग ने नियमों में ही संशोधन कर दिया है।
नये प्रावधान के तहत अब इस योजना में यदि कोई शासकीय सेवक उच्चतर वेतनमान का वित्तीय लाभ ले चुका होता है और बाद में नियमित पदोन्नति मिलने पर पदोन्नति स्वीकार करने से इंकार करता है तो उसे पूर्व से स्वीकृत उच्चतर वेतनमान के अंतर्गत वित्तीय लाभ वापस नहीं लिया जाएगा लेकिन उसे बाद में कोई उच्चतर वेतनमान का वित्तीय लाभ नहीं दिया जाएगा। यह निर्देश जारी होने की दिनांक से प्रभावशील माने जाएंगे और पुराने निर्णित प्रकरण पुन: नहीं खोले जाएंगे।