Two Bagh Print Saris and Me: : मध्यप्रदेश की राजधानी में भी यह देखकर दुख हुआ कि बाघ की बहुत कम साडियाँ थीं!

1756
Two Bagh Print Saris and Me
Two Bagh Print Saris and Me

बाग/बाघ प्रिंट की दो साड़ियां और मैं: बाग/बाघ प्रिंट की पुरानी शैदाई हूँ

Two Bagh Print Saris and Me: मध्यप्रदेश की राजधानी में भी यह देखकर दुख हुआ कि बाघ की बहुत कम साडियाँ थीं!

                        अपने देश की पारंपरिक कलाओं को ज़ारी रखने में योगदान दीजिये
सुदीप्ति 
मैं काम के सिलसिले में जून में भोपाल गई। लगभग प्रण करके कि भोपाल में काम, दोस्तों से मिलना और घूमना यही कारना है। शॉपिंग बिल्कुल नहीं। किसी ने साड़ियों की जानकारी दी भी तो मैंने न कह दिया। पर एक दोपहर लंच से पहले दुकानों के आसपास ही किसी का इंतज़ार कर रही थी और लगा देख आते हैं। फिर क्या था मलमल पर हाथ की पारंपरिक छपाई की साडियाँ मुझे ऐसे आने थोड़े देतीं। यूँ भी मैं सांगानेरी, दाबू और बाग/बाघ प्रिंट की पुरानी शैदाई हूँ। दरअलस 80 से 120 काउंट के सूती धागों से बुनी साड़ियों के ऊपर की गई हैंडब्लॉक प्रिंट उसे परफेक्ट वर्क वियर बनाते हैं। न कलफ़ का झंझट न ही ड्राईक्लीन का। दिल्ली का मौसम भी तो साल में आठ महीने सूती वाला ही है। फिर अपन पहुँचे बाग प्रिंट की साड़ियों को देखने और पसंद आए तो खरीदने।
bagh saree 1 10064524 Profile
****
मैं सुदीप्ति,
तो इसे लोकप्रिय अंदाज़ में बाघ ही कहती हूँ जबकि यह बागिनी नदी के तट पर बसे गाँव बाग के नाम पर बाग प्रिंट है।
मध्यप्रदेश की अन्य साड़ियाँ चंदेरी और माहेश्वरी तो वीव हैं पर बाघ प्रिंटिंग/छपाई की कला है जो सूती, कॉटन सिल्क, या सिल्क कॉटन के साथ माहेश्वरी वीव पर भी होता है।
image001XS3E
इसका प्रॉसेस काफी हद तक अजरख की तरह है क्योंकि इसकी छपाई करने वालों के पुरखों के निशान सिंध (पाकिस्तान की ओर वाले) के लरकाना में पाए जाते हैं। हज़ारों साल पहले वे वहाँ से राजस्थान के मारवाड़ और फिर यहाँ मनावर में आ गए। सिंध में प्रचलित मुद्रण तकनीक जिसका वे आज भी अभ्यास करते हैं अजरक/अजरख प्रिंट के रूप में जानी जाती है। सिंधु पार उनके प्रवास के कारण ठीक ठीक पता नहीं हैं। पर सिंध की छपाई की यहकला लेकर ही उन्होंने अपना यह काम शुरू किया। छीपा समुदाय के वे लोग ब्लॉक प्रिंटिंग प्रक्रिया के अपने पारंपरिक कला के ज्ञान के साथ आए थे और इस नए स्थान पर स्थानीय रुझानों और नवाचारों के साथ काम शुरू किया। बाघ प्रिंटिंग की प्रक्रिया के बारे में आसानी से आपको ऑनलाइन जानकारियाँ मिल जाएंगी और ये जानकारियाँ सही हैं।
फिर भी संक्षेप में कहें तो बाग प्रिंट प्राकृतिक रंगों से किया जाने वाला पारंपरिक हैंड ब्लॉक प्रिंट है। इसमें ऑफ व्हाइट/धूसर या बेज़ की पृष्ठभूमि पर लाल और काले वनस्पति रंगों से के साथ ज्यामितीय और पुष्प रचनाओं की छपाई कपड़े पर की जाती है।
इस छपाई की तकनीक में सूती और रेशमी कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें जंग लगी लोहे की भराई, फिटकरी और एलिज़रीन के मिश्रण का उपचार किया जाता है। इसके ब्लॉक्स के डिज़ाइन कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किए गए हैं। आज भी इस्तेमाल किए जाने वाले कोई कोई ब्लॉक तो 300 साल पुराने हैं।
छपाई की प्रक्रिया के पूरा होने पर, मुद्रित कपड़े को नदी के बहते पानी में बार-बार धोया जाता है और फिर अच्छी चमक प्राप्त करने के लिए एक विशिष्ट अवधि के लिए धूप में सुखाया जाता है।
पारंपरिक ज्यामितीय डिजाइनों के साथ-साथ कोमल फूलों और बेलों का पैटर्न, लाल काले प्राकृतिक रंगों का कल्पनाशील उपयोग और नदी के रासायनिक गुणों का लाभ उठाते हुए रंगों को और अधिक प्रभावी बना देने से बाग प्रिंट हैंडब्लॉक प्रिंटिंग में एक अद्वितीय कला रूप में हमारे सामने है।
***
कई बार सांगानेरी और बाग प्रिंट में भ्रम होता है। वह साम्यता बस ब्लॉक्स की डिजाइन से होता है। दोनों का प्रॉसेस कुछ-कुछ भिन्न भी है और सच पूछिए तो परंपरा से चले आ रहे हैंडब्लॉक प्रिंटिंग में ज्यामितीय और फूलों के जो प्रिंट चलते हैं उनमें साम्यता होना इतना भी अचरजकारी नहीं होना चाहिए। पहले के समय में अलग अलग जगहों पर स्थानीय जरूरततों की आपूर्ति के लिए ही तो काम होता था। कारीगरों के पैटर्न में एकरूपता होना संभव ही है।
***
मेरी इन दोनों साड़ियों में दो तरीके के प्रिंट हैं। एक छोटे फूल और दूसरी बेलें। एक साड़ी तहाई हुई भी खूबसूरत लग रही है और दूसरी पहनकर अधिक अच्छी लगती है। जून में खरीदी इन दोनों साड़ियों को मैंने अगस्त में एक हफ्ते के भीतर पहना। एक मुक्तेश्वर में पिछले इतवार को, दूसरे हँस के कार्यक्रम के संचालन वाले दिन यानी बुधवार को। बहुत ही लाइट वेट और आरामदायक है। बेल वाली मुझे ज्यादा पसंद और बूटियों वाली पतिदेव को। मेरे पास बूटियों की पहले की सांगानेरी/बगरू भी है तो ज़ाहिरन बेलों पर ध्यान ज्यादा जाएगा।
458180458 10223421070909349 7767263539887485645 n    458103071 10223421086109729 6840309426913527493 n      457620330 10223421069549315 9084981525337018860 n
***
मध्यप्रदेश की राजधानी में भी यह देखकर दुख हुआ कि दुकानें अजरख के काम से भरी हुईं थीं(माना कि वह अभी बहुत प्रचलित या इन है),कलमकारी के भी बहुत नमूने थे पर बाघ की बहुत कम साडियाँ बची थीं। सबका कहना था सीज़न के पीक के कारण हल्की सूती ये साड़ियां उठ गईं हैं पर मुझे लगता है जिस राज्य की ये साड़ियां हैं उनकी प्रमुख दुकानों में तो यह बहुतायत में होनी ही चाहिए।
एक साड़ी का मूल्य है 1395, जिसपर 10% डिस्काउंट भी मिला था.
Maheshwari Bagh Print Saree at Rs 650 | Near Gopur Circle | Indore | ID: 16536693462
बज़ट फ्रेंडली इन साड़ियों को आप ऑनलाइन/ऑफलाइन खरीद सकते हैं और अपने देश की पारंपरिक कलाओं को ज़ारी रखने में योगदान दे सकते हैं।
{Sudipti Satyanand की फेसबुक वाल से}