दिल हूम-हूम करे, घबराए…
आज रविवार का दिन है और वर्ष 2024 की 8 सितंबर तारीख है। तो रविवार के दिन की शुरुआत एक अच्छा गीत पढ़कर और इच्छा हो तो इसे सुनकर करते हैं। गीत के बोल हैं…
दिल हूम-हूम करे, घबराए
घन धम-धम करे, गरजाए
एक बूँद कभी पानी की
मोरी अँखियों से बरसाए
दिल हूम-हूम करे, घबराए
तेरी झोरी डारूँ
सब सूखे पात जो आए
तेरा छुआ लागे
मेरी सूखी डार हरियाए
दिल हूम-हूम करे, घबराए
जिस तन को छुआ तूने, उस तन को छुपाऊँ
जिस मन को लागे नैना, वो किसको दिखाऊँ?
ओ, मोरे, चन्द्रमा, तेरी चाँदनी अंग जलाए
तेरी ऊँची तोर अटारी, मैंने पंख लिए कटवाए
दिल हूम-हूम करे, घबराए
घन धम-धम करे, गरजाए
एक बूँद कभी पानी की
मोरी अँखियों से बरसाए
दिल हूम-हूम करे, घबराए
यह गीत भावों से भरा है। दर्शन से सराबोर है। और शास्त्रीय संगीत की धुनें मन को आह्लादित कर देती हैं। आत्मा को संतृप्त कर देते हैं गीत के बोल। आज इस गीत पर चर्चा का खास मकसद है गीत के रचियता, संगीतकार और गायक भूपेन हजारिका को याद करने का। आज 8 सितंबर उनका जन्मदिन है।
भूपेन हजारिका (असमिया उच्चारण: भूपेन हाजोरिका) (8 सितंबर, 1926- 5 नवम्बर 2011) भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे
हजारिका को 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2019 में इन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की गई। भूपेन हजारिका को 70 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत रत्न से नवाजा गया यह सम्मान 8 अगस्त 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा दिया गया। साथ ही दो अन्य नाना जी देशमुख,एवं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दिया गया।
अंत में 1993 में रिलीज हुई रुदाली के एक और गीत के बोलों के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं। गीत के बोल हैं-
समय ओ धीरे चलो
बुझ गई राह से छाँव
दूर है दूर है पी का गाँव
धीरे चलो धीरे चलो
जी को बहला लिया
तूने आस निराश का खेल किया
चार दिनों में कोई जिया ना जिया
ज़हर ये साँस का पिया ना पिया
ये हवा सब ले गई
कारवां के निशां भी उड़ा ले गई
उड़ती हवाओं वाले मिलेंगे कहाँ
कोई बता दो मेरे पिया का निशाँ
समय ओ धीरे चलो
बुझ गई राह से छाँव
दूर है, दूर है पी का गाँव
धीरे चलो धीरे चलो…।