Photography of Khorasani Tree :क्या आपने मांडू देखा है ! बाओबाब का वह पेड़ जिसका तना 34 फीट गोलाई का है?
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जी हां .. मांडू के रेस्ट हाउस में लगे पेड़ की गोलाई लगभग 34 फीट है। एशिया के क्षेत्रफल में सबसे बड़े गढ़ मांडव में खुरासानी इमली के अनेक पेड़ है । लेकिन उन सभी में से सर्वाधिक बड़ा पेड़ रेस्ट हाउस में लगा है । इसीलिए इस रेस्ट हाऊस को खुरासानी विला नाम दिए जाने की संभावना है।
माण्डव की मिट्टी का जादू ही ऐसा रहा कि हजारों किलोमीटर दूर अफ्रीका के शुष्क प्रदेश में उगने वाला ‘बाओबाब’ का वृक्ष यहां पर फल फूल रहा है । 14 वीं शताब्दी में महमूद खिलजी के शासन के दौरान यह वृक्ष अफ्रीका से माण्डव लाया गया और ‘बाओबाब’ से इसका नामकरण ‘खुरासानी इमली हो गया। इसी का एक नाम ‘माण्डव इमली’ भी है। कुछ लोग कल्पवृक्ष भी कहते है।
यह पेड़ देखने में ऐसा लगता है जैसे किसी ने इसे उल्टा करके लगाया हो, जड़े ऊपर और तना नीचे। बारिश के मौसम को छोड़कर इस पेड़ में पत्तियाँ नहीं होती। बिना पत्तियों के इसकी जड़े जैसी शाखाओं में लटकते बड़े-बड़े लॉकेटनुमा फल (मंकी ब्रेड) बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेते है ।बाओबाब या खुरासानी इमली की खोज करने वाले फ्रेंच वनस्पति शास्त्री एंडर्सन का कहना है कि इस पेड़ के तने का व्यास 30 मीटर से भी ज्यादा और इसकी उम्र 5 हजार वर्ष से भी अधिक हो सकती है। यह पेड़ अपने जीवन काल में लगभग 1,20,000 लीटर तक का पानी संग्रह कर सकता है। अफ्रीका के जंगलों में हाथी अपनी प्यास बुझाने हेतु अपने दांतों व सिर से तने में गड्ढा करके पानी प्राप्त करते हैं।
इस पेड़ में इंसानों और जानवरों को आश्रय, भोजन और पानी देने की क्षमता है। जिसमें पानी जमा नहीं हो पाता, कई पशु-पक्षी उन्हें घोंसलों के रूप में प्रयोग करते हैं। इस पेड़ की छाल कार्क की तरह और अग्निरोधी होती है। इसमें लगने वाले फल को स्थानीय भाषा में खुरासनी इमली या मंकी ब्रेड कहते हैं। इसमें विटामिन सी भरपूर होता है। ऊपरी आवरण सूखे लौकी की तरह, लेकिन कठोर और भूरा होता है। फल के अंदर के खट्टे गूदे का उपयोग इमली की तरह ही किया जाता है। सैलानी जब खुरासानी इमली और उसके वृक्ष को देखते हैं, तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं। वृक्ष दिखने में डरावना होने से ग्रामीण क्षेत्र में लोग भूतिया वृक्ष भी कहते हैं।
{यह फोटो इंटरनेट से साभार }
गुजरात में इसे रुखड़ोया रुखड़ा दादा कहा जाता है। एक और नाम भी प्रचलित है , चोर आंबलो ..
शायद इसके तने में जो खाली जगह रहती है उसमें पुरातन समय में चोर लोग छुपते थे या इनमें हथियार छुपाकर रखते थे। इस कारण इन्हें चोरआबला कहा जाता होंगा। इनके फल का स्वाद खटा होने की वजह इसे आंबला कहते होंगे।
प्रस्तुति -महेश बंसल, इंदौर
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