Ujjain News: मुख्यमंत्री डॉ यादव को समतामूर्ति अलंकरण सम्मान प्रदान किया गया

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Ujjain News: मुख्यमंत्री डॉ यादव को समतामूर्ति अलंकरण सम्मान प्रदान किया गया

उज्जैन: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका अनंत है। यह नगरी हर काल और हर युग में अपने गुणों ,कीर्ति और प्रसिद्धि से सदैव अलंकृत होती आ रही है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा और गौरवशाली लोकतंत्र है, जिसके तीन आधार स्तंभों में न्यायपालिका प्रमुख आधार स्तंभ है, जो महाराजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता के समान हमारी ताकत को कई गुना बढ़ाती है। महाराजा विक्रमादित्य की न्याय और समानता से प्रेरित मध्य प्रदेश सरकार सभी वर्गों के कल्याण के लिए कृत संकल्पित है। मुख्यमंत्री डॉ यादव आज उज्जैन के रामानुज कोट आश्रम में आयोजित समतामूर्ति अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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समारोह में मुख्यमंत्री डॉ यादव और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री जी के महेश्वरी को रामानुज कोट के धर्माचार्य संत स्वामी श्री गादी जी महाराज द्वारा समतामूर्ति अलंकरण से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी श्री रंगनाथाचार्य जी महाराज सहित अन्य संत आचार्य उपस्थित रहें।

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि 12 वर्षों में आयोजित होने वाले सिंहस्थ की छटा निराली होती है। समारोह में उपस्थित देवतुल्य धर्माचार्य के दर्शन लाभ से परमात्मा की दर्शन की अनुभूति हो रही हैं। स्वामी श्री रामानुज जी महाराज ने अपने अलौकिक दर्शन से सनातन धर्म के संरक्षण के साथ मानव से मानव को जोड़कर जनसेवा का मार्ग भी दिखाया है। समाज में आने वाली विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भी स्वामी जी द्वारा भक्ति मार्ग का निरंतर प्रसार किया गया, जिसकी अविरल धारा आज भी प्रवाहित हो रही है।

न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय श्री माहेश्वरी ने कहा कि समानता हमारे सनातन संस्कृति में वेद पुराणों के साथ हमारे संविधान में भी उल्लेखित है। भारत के संविधान में समानता का अधिकार मानव को प्राप्त पहला अधिकार हैं। ईश्वर का समभाव भी सभी के लिए समान है। अगर कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण पद पर आसीन होता है तो वहां बीना देवीय कृपा के संभव नहीं हैं। ईश्वर नहीं उसे जनहित के लिए चुना है। इसीलिए उसे सदैव मानव सेवा के कार्य में संलग्न रहना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ यादव द्वारा पीठाधीश्वर स्वामी श्री रंगनाथाचार्य जी महाराज सहित अन्य धर्माचार्यों को पुष्पमाला और अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित भी  किया गया।