Kapila Vatsyayan: प्रख्यात कलाविद्’पद्म विभूषण’ कपिला वात्स्यायन का निधन

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Kapila Vatsyayan: प्रख्यात कलाविद्’पद्म विभूषण’ कपिला वात्स्यायन का निधन

कपिला वात्स्यायन प्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय की पत्नी थीं

कपिला वात्स्यायन  , जन्म: 25 दिसम्बर, 1928, दिल्ली; मृत्यु- 16 सितंबर, 2020, दिल्ली) भारतीय कला की प्रमुख विद्वान् थीं। ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित और राज्यसभा की भूतपूर्व मनोनीत सदस्या  कपिला वात्स्यायन प्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय की पत्नी थीं। वह ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र’ की प्रथम अध्यक्ष थीं। साठ के दशक से कपिला वात्स्यायन अपने पति से अलग होकर एकाकी जीवन व्यतीत कर रही थीं। उन्होंने साहित्य, कला और संस्कृति के संवर्धन में अपना पूरा जीवन लगा दिया था।कपिला वात्स्यायन का जन्म 25 दिसंबर, 1928 को एक जागरूक परिवार में हुआ था। पिता रामलाल जाने-माने वकील थे और माता सत्यवती मलिक अच्छी लेखक और कला-संगीत-प्रेमी थी। यह परिवार आज़ादी के संघर्ष से भी गहरे जुड़ा था और उस वक़्त के कई प्रमुख हिंदी लेखक उनके घर में होने वाली गोष्ठियों में शरीक होते थे।दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एमए और फिर मिशिगन से इतिहास में भी एमए किया और बाद में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में वासुदेव शरण अग्रवाल जैसे विद्वान के निर्देशन में विशेष छात्र के तौर पर इतिहास, पुरातत्त्व और वास्तुकला में शोध किया। प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ से विवाह भी उनके जीवन की एक उल्लेखनीय घटना थी। लेकिन यह बंधन सिर्फ़ तेरह साल 1956 से 1969 तक बना रहा। विच्छेद होने के बाद कपिला जी अज्ञेय के निधन (1987) के बाद ही उनके घर गयीं। कपिला वात्स्यायन ने अच्छन महाराज से कथक सीखने के अलावा भरतनाट्यम, मणिपुरी और आधुनिक पश्चिमी नृत्यों की भी शिक्षा ली.डॉ. कपिला वात्स्यायन ने अपना करियर शिक्षण व्यवसाय से शुरू किया लेकिन उनके व्यापक ज्ञान और अनुभव को देखते हुए उन्हें शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय में ले लिया गया। जिस समय शिक्षा की सुविधाएं प्रारंभिक स्तर पर थीं, उस समय कपिला वात्स्यायन ने शिक्षा सुविधाओं के विस्तार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।