Next National President of BJP : भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष 4 राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद!
New Delhi : भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा का बढ़ाया गया कार्यकाल जून में समाप्त हो गया। अब उनका कार्यकाल बढ़ाया नहीं जाएगा, ये इसी बात से तय हो गया कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। लेकिन, अगला अध्यक्ष कौन होगा और उनका कामकाज कब शुरू होगा, ये तय नहीं है। संघ भी कुछ तय नहीं कर सका। केरल के पलक्कड़ में 31 अगस्त से 2 सितंबर तक आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के तीन दिन चले मंथन के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर भी लंबी चर्चा हुई थी।
संघ चाहता था कि इस बैठक के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम तय हो जाए। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के संदेश वाहक बने पार्टी के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि भाजपा हरियाणा और झारखंड दोनों जगह चुनाव जीत रही है। लिहाज़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा चुनाव के परिणाम तक रोक दी जाए। लंबे मंथन के बाद इस बात पर सहमति बनी कि चार राज्यों के चुनाव परिणाम आने तक रुकना चाहिए। कम से कम हरियाणा के चुनाव के नतीजे आने तक तो नया अध्यक्ष नहीं बनाया जाए।
भाजपा मध्य प्रदेश के पैटर्न पर हरियाणा में तीसरी बार अपनी सरकार बनाना चाहती है। उल्लेखनीय है कि अच्छे हालात नहीं होने के बावजूद मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई थी। किस प्रकार से सरकार बनी, क्या-क्या हुआ, कौन से दम लगाए गए? ये सभी जानते हैं। इसलिए हरियाणा में मध्यप्रदेश के पैटर्न पर सरकार बनाने की पूरी-पूरी कोशिश हो रही है।
हरियाणा में अगर भाजपा की सरकार बन जाती है, तो संजय जोशी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना समाप्त हो जाएगी। लेकिन, अगर हरियाणा में भाजपा की सरकार नहीं बनती, तो संजय जोशी के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ताजपोशी की संभावना प्रबल है? लेकिन, इसके लिए 8 अक्टूबर तक इंतजार करना होगा।
चुनाव के बीच में अध्यक्ष क्यों बदला जाए
देश के चार राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में इस साल विधानसभा चुनाव होना हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में तो चुनाव प्रक्रिया शुरू भी हो गई। हालात देखकर लगता है कि चुनावों को देखते हुए भाजपा अपनी वर्तमान स्थिति कायम रखना चाहती है। क्योंकि, जेपी नड्डा के साथ सरकार का कंफर्ट अच्छा है। चुनाव के बीच में किसी नए व्यक्ति को लाने से मुश्किलें बढ़ेंगी, क्योंकि उन्हें चीजों को समझने में बहुत वक्त लग जाएगा। पार्टी के पास नाम हैं, पर वे यथास्थिति बनाए रखते हुए राज्यों के चुनाव तक स्थिति बनाए रखना चाहते हैं।
चुनाव से अध्यक्ष का सीधा सरोकार नहीं
वैसे चार राज्यों के चुनावों का अध्यक्ष पद से कोई लेना देना नहीं है। पार्टी संविधान के मुताबिक कम से कम 15 साल से जो व्यक्ति पार्टी का सदस्य होगा वही अध्यक्ष बन सकता है। ऐसे में जो भी व्यक्ति आएगा, वह संगठन को पहले से जानता होगा। सिर्फ जिम्मेदारियां बदलती हैं, इसलिए नए व्यक्ति को संगठन समझने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।
भाजपा और क्षेत्रीय पार्टियों में एक बड़ा फर्क है कि मायावती, अखिलेश यादव, स्टालिन जैसे नेताओं की पार्टियों में अध्यक्ष बॉस की तरह काम करते हैं, जो भाजपा में नहीं होता। यहां जो भी नया अध्यक्ष बनेगा उसे मोदी और शाह का दबाव तो झेलना ही पड़ेगा और जेपी नड्डा को देखकर यह समझा भी जा सकता है।