पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व सरताज सिंह की पुण्य तिथि पर 15 अक्टूबर को ‘जनभागीदारी से विकास विषयक’ संगोष्ठी आयोजित

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर होंगे मुख्य अतिथि 

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पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व सरताज सिंह की पुण्य तिथि पर 15 अक्टूबर को ‘जनभागीदारी से विकास विषयक’ संगोष्ठी आयोजित

चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट 

इटारसी। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व सरताज सिंह की पुण्य तिथि पर 15 अक्टूबर को ‘जनभागीदारी से विकास विषयक’ संगोष्ठी आयोजित की गई है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर होंगे मुख्य अतिथि के रूप में भाग ले रहे है।

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जनसंघ के समय से नर्मदापुरम संभाग के एक बड़े,सर्वमान्य भाजपा नेता रहे, पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा चुनावों में सदा अजेय रहने वाले, 5 बार सांसद और 2 बार विधायक निर्वाचित,पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. श्री सरताज सिंह की प्रथम पुण्य तिथि पर जनभागीदारी के माध्यम से क्षेत्र के विकास की उनके लोक मंगल की राजनीति के कृतित्व की पुण्य स्मृति में एक विराट संगोष्ठी का आयोजन,उनके ही राजनीतिक शिष्य माने जाने वाले और 2018 में विधानसभा चुनाव में अपने इन्हीं राजनीतिक गुरु को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पराजित करने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में नर्मदापुरम,इटारसी के विधायक डॉ सीतासरन शर्मा के नेतृत्व में गठित एक आयोजन समिति द्वारा 15 अक्टूबर को दोपहर बाद 3.30 बजे से साईं कृष्णा रिसोर्ट सभागार,इटारसी में किया जा रहा है। इस गोष्ठी का विषय होगा, जनभागीदारी के माध्यम से क्षेत्र के विकास में जनप्रतिनिधियों की भूमिका, जिसमें भाग लेने के लिए मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में श्री नरेंद्र सिंह तोमर अध्यक्ष,मध्यप्रदेश विधानसभा कल दोपहर 2.45 बजे इटारसी पहुंच रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षेत्रीय सांसद श्री दर्शन सिंह चौधरी करेंगे।

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इस पुण्य स्मरण को सार्थक बनाने के भाव से कार्यक्रम के सूत्रधार,विधायक डा. सीतासरन शर्मा जो आयोजन समिति के संयोजक भी हैं,ने अपने क्षेत्र के साथ ही जिले भर के और लोकसभा क्षेत्र के भी उनसे जुड़े सैकड़ों लोगों को आमंत्रित किया है। भाजपा के सबसे पुराने नेताओं में से एक सरताज सिंह चुनावी राजनीति में अजेय माने जाते थे। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था। 1960 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वे समाजवादी नेता हरि विष्णु कामथ के संपर्क में आए और उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा।

1971 में सरताज सिंह इटारसी नगर पालिका के कार्यवाहक नगर पालिका अध्यक्ष बने। वे अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। 2008 से 2016 तक मप्र सरकार में मंत्री रहे। केंद्र में एक बार स्वास्थ्य मंत्री और प्रदेश में वन व लोक निर्माण मंत्री रह चुके हैं।नर्मदापुरम संसदीय क्षेत्र से 1989 से 1996 तक की अवधि में तीन लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा को लगातार हराया। 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अर्जुन सिंह को हराया। 1999 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। 2004 में पुनः लोकसभा चुनाव में विजयी रहे।

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2008 में होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी व तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराया। 2013 के विधानसभा चुनाव में वे फिर जीतकर आए और मंत्री बने पर फिर कुछ ऐसा हुआ कि सरताज सिंह को कांग्रेस ज्वाइन करनी पड़ी और 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में वे नर्मदापुरम,इटारसी विधानसभा क्षेत्र से अपने ही राजनीतिक शिष्य डॉ सीतासरन शर्मा से पराजित हो गए। सरताज सिंह 5 बार के सांसद और 2 बार के विधायक थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट सिवनी मालवा (जिला नर्मदापुरम) से टिकट नहीं मिलने पर वे भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। भाजपा ने उनका टिकट अधिक उम्र का हवाला देकर काटा गया था। कांग्रेस ने उन्हें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और नर्मदापुरम विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा के सामने नर्मदापुरम से लड़ाया था। सीतासरन शर्मा राजनीति में सरताज सिंह के शिष्य माने जाते रहे हैं।सरताज सिंह यह चुनाव हार गए थे। बाद में भाजपा में उन्होंने फिर वापसी कर ली। पर विधानसभा चुनाव हारने के बाद वे नर्मदापुरम और प्रदेश की राजनीति में बहुत ज्यादा एक्टिव नहीं रहे। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सरताज सिंह ने कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के कदम को सही बताया । उन्होंने कहा कि वे सिंधिया के साथ हैं। तब लगने लगा था कि वे भी जल्द भाजपा में वापसी कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने तत्काल वापसी नहीं की। पर अंततः वे पुनः सिंधिया का अनुगमन करते हुए भाजपा में शामिल हो गए। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई नए प्रयोग किए। विकास की रफ्तार तेज करने और उसे अधिकाधिक गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए उन्होंने जनभागीदारी के माध्यम से कई विकास कार्य अपने क्षेत्र में कराए। वे सीधे आम जनता और आम कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहते थे। हमेशा बहुत सादगी के साथ लो प्रोफाइल रहे। दिल्ली से आते तो ऑटो में बैठकर अपने गृह नगर इटारसी स्थित अपने घर चले जाते। राजनीति में उनके शत्रु भी उनकी कई बातों की प्रशंसा करते थे। उन पर कभी भी भ्रष्टाचार का कोई आरोप,कोई भी नहीं लगा पाया।

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर इस संगोष्ठी के पूर्व एक दैनिक के किसान सम्मेलन में शरीक होंगे और संगोष्ठी के बाद विश्राम गृह इटारसी में गणमान्य नागरिकों और स्थानीय भाजपा नेताओं,कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। ज्ञात रहे कि श्री तोमर पहले भाजपा युवा मोर्चा में फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहते हुए इस क्षेत्र के कई भाजपाइयों से सीधे परिचित भी हैं।