Harikrishna Kadam’s Art Exhibition :अचेतन स्मृति और अवचेतन कलाक्रम का संगम है हरिकृष्ण कदम का कला संसार

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Harikrishna Kadam's Art Exhibition

Art Exhibition :अचेतन स्मृति और अवचेतन कलाक्रम का संगम है हरिकृष्ण कदम का कला संसार

  ग्वालियर से सुभाष अरोड़ा की विशेष  रिपोर्ट 

स्मृति परिदृश्य चित्रण का चौथा आयाम होती है। कलाकार की अचेतन स्मृति और अवचेतन कला कर्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है हरि कृष्ण कदम की पेंटिंग्स में। पेंटिंग करते हुए रंग और ब्रश से कैनवास पर उतरती कुदरत के परिदृश्य ऐसे लगते हैं जैसे हरि कृष्ण कदम के इशारों पर कदमताल करते हुए चले आ रहे हों। मैं ऐसे ही कुछ अवसरों का पूर्व में आनंद भी उठ चुका हूं। कल इत्तेफाकन में अपने दो कला प्रेमी मित्रों प्रताप सिंह और नवीन श्रीवास्तव के साथ ग्वालियर के ख्याति नाम कलाकार हरि कृष्ण कदम के घर जा धमका। वह वहां अपने 25 अक्टूबर को होने वाली एकल प्रदर्शनी की तैयारी में जुटा था। घर के बाहर भी बहुत से कनवास रखे थे और घर के भीतर जाने पर तो हमें सैकड़ो पेंटिंग देखने को मिली। पूरे कक्ष में प्रकृति वैविध्यपूर्ण कलाकृतियों में फैली थी।

 

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पृथ्वी पर भू-दृश्यों की अनंत श्रृंखला है जो दृश्यमान विशेषताओं ध्रुवीय क्षेत्र बर्फीले पहाड़, रेगिस्तान,बीहड़, समुद्र, समुद्री तटवर्ती परिदृश्य, पहाड़-पहाड़ियां,वाटर बॉडी, वनस्पति आदि-आदि का ऐसा जीवित संश्लेषण जो कलाकार और दर्शकों के सौंदर्यबोध को झंकृत दे। ऐसी ही टंकार हमें हरि कृष्ण कदम की पेंटिंग्स देखकर महसूस हुई।
लैंडस्केप शब्द का प्रथम उल्लेख 1598 में किया गया था। दो दशक बाद शब्द चित्रण के माध्यम से कविता में भी इसका प्रवेश हुआ। लैंडस्केप जो मूलतः डच भाषा का शब्द है जल्द ही आंगल भाषा में अपना लिया गया और फिर आज तो लैंडस्केप कला जगत में व्यापक स्वीकृति अर्जित कर चुका है। पाश्चात्य कला जगत में प्राकृतिक चित्रण को रोमांटिक संज्ञा दी जाती है वहीं पूर्व एशियाई कला दृष्टि ताओवाद सहित अन्य दार्शनिक परंपराओं से समृद्ध अध्यात्म वादी रूप में अंगीकार करती है। हरि कृष्ण कदम की पेंटिंग्स देखने पर उत्तर प्रभावादी कलाकार सेजान का कथन स्मरण हो आता है” हमारा ज्ञान संकुचित है और हमारी अभिव्यक्ति आत्मवादी ” दरअसल कवि और लेखक के समान ही कलाकार की स्मृति भी परिदृश्य चित्रण में चौथे आयाम का काम करती है। हरे कृष्णा कदम की भू- दृश्य चित्रण में उनका समूचा परिवेश सजीव हो जाता है।

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अरसा पूर्व नगर में सबसे बड़ी पेंटिंग बनाकर हरि कृष्ण कदम गिनीज बुक में कीर्तिमान दर्ज कर चुका है। समकालीन चित्रण पद्धति में महारत हासिल हरि कृष्ण कदम रंगों से खेलते खेलते दम भर में चित्र तैयार कर देता है । उसे चलती फिरती लैंडस्केप फैक्ट्री की संज्ञा दी जाए तो गलत न होगा। उसके लैंडस्केप में कोमल,कठोर और विरोधी रंगों का संतुलित संयोजन और संगति कलाकृति में दर्शक की दृष्टि को चलायेमान रखती है। नीले रंग वाली पेंटिंग में परलोकिकता और सादे रंगों वाली पेंटिंग्स में विराट सत्यबोधिता परिदृश्य होती है।शारीरिक और भौतिक चुनौतियों के बावजूद उनका कला के प्रति समर्पण और अटूट साधना सबके लिए प्रेरणादायी है ।
ग्वालियर नगर के इस अप्रीतम लैंडस्केप पेंटर की तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी 25 से 27 अक्टूबर तक तानसेन कला विथिका में आयोजित है। नगर के सभी कला प्रेमियों से अनुरोध है कि समय निकालकर अनूठे खूब परिदृश्य वाली इस प्रदर्शनी का अवश्य अवलोकन करें जो आप सबके लिए अविस्मरणीय अनुभव होगा।