CS Family : इस IAS अफसरों के परिवार में CS बनने की होड़, 2 बन चुके एक लाइन में, फिर एक का नंबर!

ब्यूरोक्रेसी में इस परिवार की उपलब्धि बेमिसाल है, किसी और परिवार में ऐसे उदाहरण नहीं!

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CS Family : इस IAS अफसरों के परिवार में CS बनने की होड़, 2 बन चुके एक लाइन में, फिर एक का नंबर!

 

MAhoba (UP) : महोबा के इस तिवारी परिवार में ब्यूरोक्रेसी का जलवा कुछ अलग ही है। यह परिवार ऐसा अनोखा रेकॉर्ड बनाने जा रहा है, जिसके टूटने के आसार कम ही हैं। इस परिवार के तीन मेंबर देश के अलग-अलग राज्यों में मुख्य सचिव (CS) के पद पर रह चुके हैं या बनने की लाइन में हैं।

महोबा के गयाप्रसाद तिवारी के बेटे राजेंद्र कुमार तिवारी और देवेंद्र कुमार तिवारी उत्तर प्रदेश और झारखंड के मुख्य सचिव रह चुके हैं। अब उनकी बहू अलका तिवारी को झारखंड की मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है, जो इस परिवार की तीसरी मुख्य सचिव बनेंगी। इसके बाद धीरेन्द्र कुमार तिवारी हैं जो फिलहाल पंजाब कैडर में अपर मुख्य सचिव के पद पर हैं। उनके भी मुख्य सचिव बनने की संभावना पूरी है।

 

यह है तिवारी परिवार के चिराग

● राजेंद्र कुमार तिवारी : सबसे पहले परिवार के ये सदस्य उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे। राजेंद्र तिवारी ने प्रशासनिक सेवा में अपनी अलग पहचान बनाई है। उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव के रूप में उनका कार्यकाल प्रभावी और प्रेरणादायक रहा।

● देवेंद्र कुमार तिवारी : परिवार के दूसरे सदस्य और राजेंद्र तिवारी के छोटे भाई देवेंद्र तिवारी झारखंड में मुख्य सचिव पद पर रह चुके हैं। रिटायर होने के बाद वे वर्तमान में झारखंड के राज्य निर्वाचन आयुक्त हैं।

● अलका तिवारी : इस परिवार की तीसरी सदस्य और देवेंद्र तिवारी की पत्नी और राजेंद्र तिवारी की भाभी श्रीमती अलका तिवारी को हाल ही में झारखंड का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। वे परिवार की तीसरी सदस्य हैं जिन्होंने ब्यूरोक्रेसी में यह उच्च पद हासिल किया।

● धीरेन्द्र कुमार तिवारी : तिवारी परिवार के तीसरे और सबसे छोटे भाई धीरेन्द्र कुमार तिवारी पंजाब कैडर में अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्य कर रहे हैं। उनके भी मुख्य सचिव बनने की पूरी संभावना है, जिससे यह परिवार इंडियन ब्यूरोक्रेसी में कुछ अलग ही इतिहास बनाएगा।

महोबा के इस तिवारी परिवार का यह कीर्तिमान भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपने आपमे मिसाल है। यह परिवार न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि झारखंड और पंजाब में भी अपनी योग्यता और प्रशासनिक क्षमताओं से जाना जाता है। इस तरह का उदाहरण आईएएस संवर्ग में बहुत कम देखने को मिलता है। यह इस परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात मानी जा रही है।