33 .In Memory of My Father-Dr. Sharad Pagare: पिताजी की साधारण से कालजयी तक की अद्भुत यात्रा………….

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Dr. Sharad Pagare
Dr. Sharad Pagare

मेरे मन/मेरी स्मृतियों में मेरे पिता

पिता को लेकर mediawala.in में शुरू की हैं शृंखला-मेरे मन/मेरी स्मृतियों में मेरे पिता। इस श्रृंखला की 33 rd किस्त में आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं इतिहास के प्राध्यापक और खेल पत्रकार श्री सुशीम पगारे को. उनके पिता भारत के प्रख्यात ऐतिहासिक उपन्यासकार और कथाकार शरद पगारे को उनके असंख्य पाठक,प्रशंसक ‘‘कालजयी’’मानते रहे हैं.उनका उपन्यास गुलारा बेगम हो या बेगम जैनाबादी या फिर पाटलीपुत्र की सम्राज्ञी वह उनकी लेखनी से निकले अमर किरदार बन गए. ऐसे विशिष्ठ व्यक्तित्व पर लिखना एक बेटे के लिए सचमुच कठिन होता है क्योंकि वह अन्दर से कहीं शंकाग्रस्त भी होता है कि मैं उन पर ,उनके विराट व्यक्तित्व को सही शब्द दे भी पाउँगा या नहीं? यह सच है कि एक लेखक का अपनी इस यात्रा में जितना अवदान होता है उतना ही अवदान उनके परिवार का भी होता है. अपने पिता की इस साहित्यिक यात्रा को बहुत दिल से याद करते हुएअपनी भावांजलि दे रहे हैं  सुशीम पगारे ………

मैनेँ भी मन मे जज़्बातोँ के तूफान समेटे हैँ,
ज़ाहिर नही किया, न सोचो पापा के दिल मेँ प्यार न हो!
थी मेरी ये ज़िम्मेदारी घर मे कोई मायूस न हो,
मैँ सारी तकलीफेँ झेलूँ और तुम सब महफूज़ रहो,
सारी खुशियाँ तुम्हेँ दे सकूँ, इस कोशिश मे लगा रहा,
मेरे बचपन मेँ थी जो कमियाँ, वो तुमको महसूस न हो!
हैँ समाज का नियम भी ऐसा पिता सदा गम्भीर रहे,
मन मे भाव छुपे हो लाखोँ, आँखो से न नीर बहे!--हरिवंश राय बच्चन

33 .In Memory of My Father-Dr. Sharad Pagare: पिताजी की साधारण से कालजयी तक की अद्भुत यात्रा………….

डॉ. सुशीम  पगारे