Whose Wealth is Worth Billions : 84 महीने की RTO की नौकरी में अरबों की संपत्ति, सौरभ शर्मा की या किसी और की, मिली डायरी में किसके नाम!

सौरभ शर्मा तो सिर्फ 'ब्लैक मनी ऑपरेटर', पकड़ा गया माल कही अफसरों और नेताओं का तो नहीं!

305

Whose Wealth is Worth Billions : 84 महीने की RTO की नौकरी में अरबों की संपत्ति, सौरभ शर्मा की या किसी और की, मिली डायरी में किसके नाम!

 

Bhopal : राजधानी में बीते बुधवार और गुरुवार को जो हुआ वो किसी धमाके से कम नहीं कहा जा सकता। हुआ ये कि RTO के एक पूर्व हेड कांस्टेबल सौरभ शर्मा के यहां छापे में लोकायुक्त और आयकर विभाग को अरबों की संपत्ति का जखीरा मिला। करोड़ों कैश, कई किलो सोना और उससे ज्यादा चांदी की सिल्लियां और जेवरात मिले। लेकिन, कोई इस सच पर भरोसा नहीं कर रहा कि 7 साल की नौकरी में RTO का कोई कांस्टेबल इतना माल कमा सकता है। उसे ये नौकरी भी पिता की जगह अनुकंपा से मिली थी।

IMG 20241223 WA0021

राजधानी में चर्चा ये भी है कि सौरभ शर्मा तो सिर्फ एक मोहरा है, उसका तो इस्तेमाल किया गया। असल में अरबों का माल तो उन लोगों का है, जिनके चेहरे अभी बेनकाब नहीं हुए और कभी होंगे भी नहीं! उसके यहां छापे में मिली डायरी में कई राज छुपे हैं, जिसमें करोड़ों का हिसाब-किताब है। सौरभ शर्मा के नौकरी छोड़ने के साल भर बाद जब लोकायुक्त ने उसके गिरेबान में हाथ डाला तो बहुत कुछ हाथ आया।

छापामार टीम तो समझ ही नहीं सकी, कि उन्हें जो शिकायत मिली थी, उसमें भी इस जखीरे का जिक्र नहीं था। जब इस RTO कांस्टेबल के ठिकानों को तलाशा गया, तो जो मिला वो अनुमान से कई गुना ज्यादा है। भोपाल के पॉश इलाके अरेरा कॉलोनी में इसकी दो-ढाई करोड़ की कोठी है, जो उसने नौकरी में होते हुए खरीदी थी। इसके अलावा करोड़ों रूपए कैश, करोड़ों के सोने-चांदी के जेवर, सिल्लियां और संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं।

इसके अलावा एक ब्रांडेड स्कूल की फ्रेंचाइजी के दस्तावेज और अधूरी बनी बिल्डिंग भी हाथ लगी। यह बिल्डिंग ही करोड़ों की लागत से बन रही थी। आयकर विभाग ने भी 18 दिसंबर को त्रिशूल कंस्ट्रक्शन, क्वालिटी ग्रुप और ईशान ग्रुप के भोपाल, इंदौर के 51 ठिकानों पर छापेमारी की। जिसमें सबसे ज्यादा 49 ठिकाने भोपाल के शामिल थे। इनमें IAS, IPS और राजनेताओं की पसंद वाले नीलबड़, मेंडोरी और मेंडोरा जैसे इलाके शामिल थे। यानी ये पैसा उसी काली कमाई का है जो अफसरों या नेताओं ने कमाई है।

*लोकायुक्त की पहली छापेमारी* 

सौरभ शर्मा पर लोकायुक्त की नजर कई दिनों से थी। जब उसके अरेरा कॉलोनी वाले मकान पर टीम ने छापा मारा तो 2.85 करोड़ कैश मिले। इसके अलावा 60 किलो सोना और नोट गिनने की सात मशीनें भी हाथ लगी। साथ ही निवेश के कई दस्तावेज भी मिले। अभी और भी बहुत कुछ हाथ आने की उम्मीद है। उसी दिन देर रात आयकर विभाग की भी लोकायुक्त के साथ एंट्री हो गई। आयकर विभाग ने भोपाल से लगे मेंडोरी के जंगल से एक लावारिस कार पकड़ी। इसमें आधा क्विंटल से ज्यादा सोना और 10 करोड़ कैश मिले। फिर आयकर विभाग की टीम ने छापेमारी को आगे बढ़ाया। यह जखीरा भी सौरभ शर्मा का मिला जो उसके पार्टनर चंदन सिंह गौर के पास था। अब इस कार में मिले सोने और नोटों का भी राज खुलने वाला है।

*इतना सोना और कैश का रहस्य*  

अभी तक लोकायुक्त और आयकर विभाग ने अंदाजन एक अरब की संपत्ति बरामद की है। इसके अलावा निवेश के इतने दस्तावेज मिले, जिसका अंदाजा नहीं लगाया जा सका। घर से चार एसयूवी गाड़ी भी मिली। इन चार में से एक एसयूवी गाड़ी से 80 लाख रुपए कैश मिले। घर की अलमारियों में भी बडी मात्रा में कैश रखा था।

इसके अलावा ये पूर्व RTO कांस्टेबल एक स्कूल की बिल्डिंग भी बनवा रहा था, जो करीब 20 हजार वर्ग फीट की है। अरेरा कॉलोनी में उसकी मां के नाम पर भी बंगला है। फ़िलहाल जांच चल रही है। किंतु, छापा मारने वाली दोनों एजेंसियों के मुंह बंद हैं, जो होना ही थे। पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के पिता आरके शर्मा सरकारी डॉक्टर थे। लेकिन, 2015 में उनका देहांत हो गया। इसके बाद सौरभ को RTO में अनुकंपा नियुक्ति मिली। केवल 7 साल नौकरी करने के बाद उसने वीआरएस ले लिया। इसके बाद उसने कंस्ट्रक्शन लाइन पकड़ी। उसने इतनी संपत्ति कैसे बनाई, इसे लेकर अभी कोई खुलासा नहीं हुआ। आयकर विभाग ने दो दिन में भोपाल और इंदौर में 51 ठिकानों पर भी छापेमारी की।

IMG 20241223 WA0018

*ये पैसा कहां से, कैसे और क्यों आया*    

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि RTO के कांस्टेबल ने इतना पैसा कैसे कमा लिया! ऐसे में ये कयास सही लग रहे हैं कि सौरभ और चंदन गौर तो सिर्फ मोहरा है। इस संपत्ति के असली मालिक तो कुछ बड़े अफसर और पूर्व मंत्री हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि कई बड़े नेता भी इसमें शामिल मिल सकते हैं। काले पैसे को ठिकाने लगाना आसान नहीं होता और ये पूरा मामला उसी काले-सफ़ेद धंधे का है। अफसरों और नेताओं की सबसे बड़ी चिंता ऐसे काले पैसे को सही जगह इन्वेस्ट करने की होती है। ऐसे में सौरभ शर्मा जैसे लोग सामने आते हैं, जिन पर आसानी से शक नहीं किया जा सकता। सौरभ जैसे लोगों का हाजमा बहुत अच्छा होता है। वे बहुत कुछ खाकर भी मुंह नहीं खोलते। इस मामले में भी बाद में यही होगा। कोई RTO के कांस्टेबल की 7 साल की नौकरी में इतना माल कैसे कमा सकता है। यदि मान भी लिया जाए, तो RTO के बड़े अफसरों की नंबर दो कमाई का तो अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता।

दरअसल, ये पैसा न तो RTO की कमाई का है और न उसका अकेले का है। सौरभ शर्मा सिर्फ ‘ब्लैक मनी-ऑपरेटर’ है, जो ‘बड़े लोगों’ के पैसे को बाजार में अलग-अलग तरीके से चलाता होगा। कभी जमीन में निवेश किया, सोना और चांदी खरीदकर उसे दबाकर रख लिया या किसी बड़े प्रोजेक्ट में निवेश कर दिया। ऐसे में यदि पूछताछ में सौरभ कमजोर पड़ा, तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। लेकिन, यदि हुए भी तो वे सामने नहीं आ सकेंगे। क्योंकि, भ्रष्टाचार के हमाम में स्नान करने को सभी बेताब हैं। इस घटना के बाद उसका कथानक भी लिखा जा चुका होगा। अभी तो ये राज खुलना बाकी है कि सौरभ शर्मा के यहां से मिली डायरी में किस-किस के नाम हैं! जिनके भी नाम होंगे, उनकी तो रातों की नींद हराम हो गई होगी!