ये नहीं प्यारे कोई मामूली अंडा..!!
संजीव शर्मा की खास रिपोर्ट
‘आओ सिखाऊँ तुम्हें, अंडे का फंडा
इसमें छिपा है जीवन का फलसफ़ा
अंडे में अंडा,फंडे में फंडा…।’
फिल्म ‘जोड़ी नंबर-एक’ का यह गाना भले ही मनोरंजन के लिए हो लेकिन अंडों में वाकई जीवन का फलसफा छिपा होता है और यदि वह अंडा ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’ विज्ञापन वाला या हमारे राज्य की शान ‘कड़कनाथ’ का न होकर दुनिया के सबसे बड़े और शायद सबसे खतरनाक डायनासोर का हो तो सारा स्वाद धरा रह जाएगा।
डायनासोर तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके अंडे जरूर इतिहास से वर्तमान को जोड़ने की अहम कड़ी हैं। अब करोड़ों साल पहले पाए जाने वाले डायनासोर के अंडे कोई समोसा या ब्रेड पकौड़ा तो हैं नहीं कि कहीं भी मिल जाएंगे। सबसे पहले तो इन अंडों का मिलना और फिर इतने साल बाद देखने का अवसर मिलना वाकई प्रकृति और विज्ञान के समन्वय के चमत्कार से कम नहीं है। वैसे, व्यंग्यात्मक अंदाज में कहें तो असल डायनासोर भले ही नहीं बचे लेकिन इंसानों के भेष में डायनासोर लगातार बढ़ रहे हैं। इनमें से कोई अरबों रुपए खा जाता है तो कोई सोना निगलने-उगलने लगता है।
खैर, मूल विषय पर लौटते हैं…हाल ही भोपाल में अंतरराष्ट्रीय वन मेले में विज्ञान ने प्रकृति की गोद में बैठकर इन अंडों का फंडा दिखा दिया। यहां डायनासोर की एक प्रजाति टाइटेनोसोर के ऐसे अंडे प्रदर्शित किए गए थे जो 650 लाख वर्ष पुराने हैं और अब अनमोल हैं। हम सभी जानते हैं कि डायनासोर, पृथ्वी पर लाखों साल पहले राज करने वाले विशालकाय जीव थे और आज तक हमेशा से वैज्ञानिकों और आम लोगों की जिज्ञासा का विषय हैं। जुरासिक पार्क, द लैंड ऑफ द लॉस्ट, डायनासोर आइसलैंड, गॉडजिला, वॉकिंग विद डायनासोर, द वैली ऑफ ग्वांगी, गोर्गो, थिओडोर रेक्स, टैमी और टी-रेक्स जैसी फिल्मों ने इन शक्तिशाली जीवों के बारे में जिज्ञासा और खौफ दोनों बढ़ाने का काम किया है।
यही वजह है कि इनके बारे में जानने के लिए वैज्ञानिक लगातार नए-नए तरीके खोज रहे हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण तरीका है डायनासोर के अंडों का अध्ययन। वैज्ञानिकों का कहना है कि डायनासोर के अंडे हमें इन प्राचीन जीवों के जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। इनसे हमें डायनासोर के आकार, आहार, प्रजनन और विकास के बारे में पता चलता है। डायनासोर के अंडे अब आमतौर पर जीवाश्म के रूप में पाए जाते हैं। जीवाश्म वे अवशेष होते हैं जो लाखों साल पहले जीवों के मरने के बाद बनते हैं। डायनासोर के अंडे के जीवाश्म आमतौर पर चट्टानों में दबे हुए पाए जाते हैं।
डायनासोर के अंडे हमें डायनासोर के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। इनसे हमें डायनासोर के विकास और विलुप्त होने के कारणों के बारे में समझने में मदद मिलती है। इसके अलावा, डायनासोर के अंडे हमें पृथ्वी के इतिहास के बारे में भी बताते हैं। बताया जाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा डायनासोर का अंडा चीन में मिला था।
हमारे लिए सबसे बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश भारत का एक ऐसा राज्य है जहां बड़ी संख्या में डायनासोर के अंडे मिले हैं। प्रदेश में इन अंडों की खोज वैज्ञानिकों के लिए बेहद रोमांचक है क्योंकि ये अंडे हमें डायनासोर के जीवन और मध्य प्रदेश में उनके अस्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि मध्य प्रदेश की भौगोलिक संरचना और जलवायु लाखों साल पहले डायनासोर के रहने के लिए अनुकूल थी। इसी कारण यहां डायनासोर के अंडे, जीवाश्म और अन्य अवशेष बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
मध्य प्रदेश के कई जिलों में डायनासोर के अंडे मिले हैं, जिनमें धार, झाबुआ और रतलाम प्रमुख हैं। एक और मजेदार तथ्य यह भी है कि मध्य प्रदेश के कुछ गांवों में तो लोग डायनासोर के अंडों को देवता मानकर पूजा करते थे। जब वैज्ञानिकों ने इन अंडों की जांच की तो पता चला कि ये वास्तव में डायनासोर के अंडे हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि मध्य प्रदेश में अभी भी बड़ी मात्रा में डायनासोर के अंडे और जीवाश्म मिल सकते हैं और इनसे हमें डायनासोरों के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकती है। आप भी देखिए, कहीं आपके आसपास भी तो कहीं डायनासोर का कोई अंडा भगवान बनकर पूजा तो नहीं जा रहा..!!