HMPV Infection : एचएमपीवी के मामले बढ़ रहे, अब असम में 10 महीने का बच्चा संक्रमित मिला!

भारत में बढ़ रहे मामले, लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं!

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HMPV Infection : एचएमपीवी के मामले बढ़ रहे, अब असम में 10 महीने का बच्चा संक्रमित मिला!

 

New Delhi : कोरोना के बाद अब चीन का वायरस एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) अब देश के कई हिस्सों में असर दिखा रहा है। कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में मामले सामने आ चुके हैं। अब असम का भी नाम भी इस सूची में जुड़ गया। यहां 10 महीने के एक बच्चे में एचएमपीवी संक्रमण का पता चला। बच्चे का डिब्रूगढ़ स्थित असम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एएमसीएच) में इलाज हो रहा है।

एएमसीएच के अधीक्षक डॉ ध्रुबज्योति भुइंया ने बताया कि बच्चा चार दिन पहले सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों के कारण अस्पताल में भर्ती हुआ था। लाहोवाल स्थित आईसीएमआर-आरएमआरसी से परीक्षण रिपोर्ट मिली, जिसमें एचएमपीवी संक्रमण की पुष्टि हुई। भुइंया ने कहा कि इन्फ्लूएंजा और फ्लू जैसे मामलों के लिए नियमित रूप से नमूने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भेजे जाते हैं। यह एक नियमित जांच थी, जिसमें संक्रमण का पता चला। बच्चे की हालत स्थिर है। यह एक सामान्य वायरस है और चिंता की कोई बात नहीं है।

ऐसे मामले पहले भी आ चुके 

लाहोवाल स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र एनई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बिस्वजीत बोर्काकोटी ने बताया कि 2014 से अब तक हम डिब्रूगढ़ जिले में 110 एचएमपीवी मामलों का पता लगा चुके हैं। यह इस मौसम का पहला मामला है। यह हर साल पाया जाता है और इसमें कुछ नया नहीं है। एएमसीएच से हमें जो नमूना मिला था, वह एचएमपीवी पॉजिटिव पाया गया।

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस क्या है

एचएमपीवी के छोटे नाम से भी जाना जाता है, इंसानों की श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव डालने वाला वायरस है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हो गई थी। तब नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था। यह पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है। श्वसन संबंधी अन्य वायरस की तरह यह भी संक्रमित लोगों के खांसने-छींकने के दौरान उनके करीब रहने से फैलता है। कुछ स्टडीज में दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है।

किस पर और कितना असर?

मुख्य तौर पर यह बच्चों पर असर डालता है। हालांकि, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बुजुर्गों पर भी इसका प्रभाव दर्ज किया गया है। इस वायरस की वजह से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वांस नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है।

इसके लक्षण कोरोना वायरस जैसे

इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। इसके लक्षण कोरोना वायरस संक्रमण और आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इन दोनों में अंतर बता पाना मुश्किल है। हालांकि, जहां कोरोनावायरस की महामारी हर सीजन में फैली थी।

वहीं एचएमपीवी अब तक मुख्यतः मौसमी संक्रमण ही माना जा रहा है। हालांकि, कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी दर्ज की गई है। कोरोना से अलग इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। सामान्य मामलों में इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है।

इन देशों में दिखा चुका असर

2023 में एचएमपीवी के कई मामले नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और चीन में दर्ज किए गए हैं। बीजिंग की कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के यू’आन अस्पताल में श्वसन और संक्रामक रोग विभाग के मुख्य चिकित्सक ली तोंगजेंग के मुताबिक, मास्क पहनने, हाथों को लगातार धोने और प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने से बीमारी से राहत मिल सकती है।