List of BJP District Presidents : भाजपा जिला अध्यक्षों के 62 नाम में कौनसा पेंच, दिल्ली में क्यों अटके नाम!
Bhopal : भाजपा जिला अध्यक्षों की सूची को लेकर फंसा पेंच लगता है अभी तक सुलझा नहीं है। शनिवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपना रटा रटाया जवाब फिर दोहराया कि जिला अध्यक्षों की लिस्ट जल्दी जारी की जाएगी। पर, वे ये नहीं बता पाए कि उनकी ‘जल्दी’ का मतलब क्या निकाला जाए! क्योंकि, पार्टी के कार्यक्रम के मुताबिक तो 5 जनवरी को सभी जिलों के अध्यक्षों के नाम सामने आ जाना थे, जो नहीं आए। यानी अभी भी कुछ जिलों में नामों को लेकर उलझन है। उधर, पार्टी के दिल्ली में बैठे नेता अधूरी लिस्ट जारी करने के पक्ष में नहीं है। एक अनुमान यह भी है कि मलमास की वजह से यह लिस्ट शायद 14 जनवरी के बाद जारी हो!
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पार्टी के जिलों के अध्यक्ष को लेकर जिस तरह के दावे कर रहे हैं, अब वे दावे भरोसे वाले नहीं कहे जा सकते। क्योंकि, वे भी हितानंद शर्मा के साथ इस मामले को लेकर दिल्ली तलब किए जा चुके हैं। इसके बावजूद अभी उन 62 नामों लिस्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका, जो भाजपा के लिए जिलों की जिम्मेदारी संभालेंगे। वीडी शर्मा का यह भी कहना था कि मंडल स्तर पर लिस्ट को अलग से जारी नहीं किया गया था। वैसे ही जिला अध्यक्ष की ही प्रोसेस होगी। इतनी बड़ी पार्टी में सभी फैसले संवाद और समन्वय के आधार पर ही होते हैं। हम लोग लगे हुए हैं। जो भी होगा जल्द आपके समक्ष होगा। सवाल उठता है कि फिर पार्टी ने 5 जनवरी किस आधार पर तय थी!
भाजपा पहले 60 संगठनात्मक जिलों के लिए लिस्ट जारी करने वाली थी, अब 62 अध्यक्षों की घोषणा करेगी। सीधा सा आशय है कि बड़े जिलों में शहर और ग्रामीण के लिए अलग-अलग को जिम्मेदारी दी जाएगी। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की ही तरह सागर और धार में भी दो अध्यक्ष बनाए जाएंगे। अभी तक भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर ही चार ऐसे जिले थे, जहां दो अध्यक्षों की व्यवस्था थी, अब इसमें सागर और धार को भी जोड़ा गया है। प्रदेश संगठन ने पहले 60 संगठनात्मक इकाइयों में से प्रत्येक के लिए नामों का एक पैनल दिल्ली भेजा था। बताया गया कि इसके बाद बड़े नेताओं ने दिल्ली तक भागदौड़ करके अपनी पसंद के नाम पर दबाव बनाया।
बीजेपी से जुड़े एक पदाधिकारी ने कहा कि जब पैनल की सूची दिल्ली पहुंची, तो इसमें एक और पेंच आया। बड़े नेता ने पैनल पर सहमत नहीं हुए और उन्होंने अपनी आपत्ति लगाई। इसलिए कि पार्टी का कोई भी बड़ा नेता अपने खेमे के आदमी को ही अध्यक्ष बनाने से चूकना नहीं चाहता। इसका कारण यह है कि 2028 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव तक यही अध्यक्ष पद पर रहेंगे और उनकी अनुशंसा उम्मीदवार के पैनल में मायने रखती है। ऐसे में उन्हें जिला अध्यक्ष कुर्सी पर अपना ही आदमी चाहिए, ताकि वे जिले में अपनी पसंद को आगे बढ़ा सकें।
जिलों का पैनल भोपाल पहुंचने के बाद 3 जनवरी को मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा की बंद कमरा बैठक हुई थी। अंदर क्या हुआ, ये तो औपचारिक रूप से बाहर नहीं आया, पर बताते हैं कि इस बैठक में कई जिलों के पैनल के नामों पर गतिरोध था। सभी जिलों के पैनल तो दिल्ली भेज दिए गए, पर 5 जनवरी को नाम घोषित नहीं हुए। दिल्ली में यदि नाम फाइनल हो जाते तो अभी तक लिस्ट घोषित हो जाती, पर अंदर की ख़बरें बताती है कि अभी कुछ जिलों के नाम फंसे हुए हैं। अधिकांश नाम तय हो गए, पर दिल्ली के नेता अधूरी लिस्ट जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। क्योंकि, जो जिले बचेंगे उनके बारे में साफ़ समझा जाएगा कि पेंच की वजह से इन्हें रोका गया है। दिल्ली का संगठन यह भी नहीं चाहता कि नाम की लिस्ट जारी होने के बाद कोई असंतोष सामने आए और अनुशासनहीनता जैसे हालात बने।
इसके अलावा लिस्ट अटकने का एक कारण यह भी बताया जा रहा कि सनातन पार्टी मलमास में किसी अच्छे फैसले को अंतिम रूप देना नहीं चाहती। समझा जाता है कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस एक माह में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। यही वजह है कि नाम फ़ाइनल होने के बाद भी लिस्ट को 14 जनवरी तक रोक लिया गया। कारण चाहे जो भी हो, पर 5 जनवरी को भाजपा ने किस आधार पर सभी जिलों के अध्यक्षों की घोषणा का दावा किया था उसकी हवा जरूर निकल गई। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष जिस ‘जल्दी’ की बात कर रहे हैं, कहीं वो 14 जनवरी ही तो नहीं है!