मेट्रोपॉलिटन रीजन के बनने की कवायद के कारण उलझे अफसर, CPA को दोबारा शुरू करने में है कई दिक्कतें

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मेट्रोपॉलिटन रीजन के बनने की कवायद के कारण उलझे अफसर, CPA को दोबारा शुरू करने में है कई दिक्कतें

भोपाल। राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) का फिर से गठन करने का मामला अब उलझता जा रहा है। इसमें सबसे बड़ी उलझन कौन सा काम किसको बांटे है। इसके अलावा मेट्रोपॉलिटन रीजन के बनने की कवायद के कारण भी अब अफसर इसमें उलझ गये हैं कि इससे सीपीए का एरिया बढ़ेगा तो उसको और संसाधन और मैनपावर की आवश्कता होगी। अब इसको कैसे जुटाये जाए यह भी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आयी है।

एक अप्रैल से शुरू करना था…
इससे पहले जो प्लानिंग की गयी थी उसके हिसाब से CPA वित्त वर्ष यानी एक अप्रैल से ही शुरू करना था लेकिन इसके पहले सीपीए का सेटअप नए सिरे से तैयार नहीं हो पाया। पीडब्ल्यूडी और वन विभाग को सौंपे गए सीपीए के काम उनसे वापस लेकर फिर से सीपीए को सौंपने थे पर इसमें भी तय नहीं हो पाया कि कौन सा काम किसको दिया जाए और कौन सा नहीं।

मेट्रोपॉलिट सिटी बनने से नवगठित CPA की शहर के विकास में भूमिका बढ़ भी सकती है इसलिये इसको अब नये संदर्भ ने बनाने की चुनौती भी अधिकारियों के सामने है।

क्या है दिक्कतें …
– सीपीए को सड़कों के मामले में पहले घेरा गया था। अब फिर इसका काम अगर इसको पूरी तरह से दिया गया तो दूसरी एजेंसियां क्या करेंगी।
– भोपाल रीजन का एरिया बढ़ कर विदिशा,रायसेन, सीहार, नर्मदापुरम और राजगढ़ तक पहुंच जाएगा। ऐसे में सीपीए का काम करने के लिये अतिरिक्त संसाधनों की कमी महसूस होगी।
– सीपीए के गठन के लिये कामों का बंटवारा कैसे होगा। इसका काम वन विभाग और पीडब्ल्यूडी के पास है। अब कोई विभाग अपना काम छोड़ना नहीं चाहेगा।
– अगर दूसरी विकास एजेंसियां एक्टिव रहेगी तो फिर सीपीए का औचित्य ही खत्म हो जाएगा। इसके लिये सभी एजेसियों का काम भी सीपीए को नहीं दिया जा सकता है।

कहीं फिर आरामगाह न बन जाए
राजधानी के विकास के लिये बनी CPA को इसलिये खत्म किय गया था क्योंकि वह काम की बजाय औपचारिकताओं पर ज्यादा ध्यान देता था। कहा यह जा रहा था कि उस समय यह इंजीनियर्स, अफसरों और ठेकेदारों की आरामगाह बन गया था। अब सवाल यह उठता है कि अगर इसको पुराने ढर्रे पर लाया गया तो फिर वहां पुराना माहौल ही न बन जाए। इसलिये जब तक मेट्रोपॉलिटन सिटी का एरिया क्लियर नहीं होगा सीपीए का गठन होना कठिन है।