पन्ना के प्राणनाथ मंदिर में होली का त्यौहार मथुरा, वृंदावन की तर्ज पर, फूलों की पंखुड़ियां और केसर के रंगों में रंगे देश विदेश के हजारों लोग

वर्षो से चली आ रही परंपरा

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पन्ना के प्राणनाथ मंदिर में होली का त्यौहार मथुरा, वृंदावन की तर्ज पर, फूलों की पंखुड़ियां और केसर के रंगों में रंगे देश विदेश के हजारों लोग

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पन्ना: प्रणामी धर्म का आस्था का केंद्र धाम पन्ना के श्री प्राणनाथ जी मंदिर में वैसे तो प्रत्येक त्योहार बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में शिरकत करने जहां देश के कोने कोने से लोग आते हैं तो वहीं विदेश से भी एनआरआई यहां के त्यौहारों का आनंद लेने आते हैं। इस मंदिर में अनेक भाषाओं और वेशभूषा के लोग जब हजारों की संख्या में एकत्रित होते हैं, ये सभी एक ही रंग में रंगे दिखते हैं ऐसा दृश्य शायद ही कहीं और देखने को मिलता हो।

प्राणनाथ जी मंदिर में होली का त्यौहार मथुरा, वृंदावन की तर्ज पर मनाया जाता है। इसी क्रम में पन्ना शहर में एक मंदिर ऐसा भी है जहां सुंगधित फूलों एवं केशर के रंग से होली खेली जाती है। मंदिर की इस अनूठी होली का आनंद लेने देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं और यहां की होली के रंग में सराबोर होते हैं। पन्ना के श्री प्राणनाथ जी मंदिर में होली का त्यौहार मथुरा, वृंदावन की तर्ज पर मनाया जाता है। हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से लोग आकर पूरी श्रद्धाभाव से त्योहार मनाते हैं। यहां केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग नहीं होता सिर्फ फूल के रंग के साथ-साथ शुद्ध गुलाल जिसमें किसी प्रकार का केमिकल नहीं होता उसी का उपयोग किया जाता है। सभी एक ही रंग में रंग जाते हैं, जहां अपने-पराये का कोई भेदभाव नहीं रहता।

बता दें कि सुप्रसिद्ध प्राणनाथ जी मंदिर की बात की जाएं तो होलिकादहन के एक दिन पूर्व ही फागों के स्वरलहरी में सुंदरसाथ आत्मविभोर होकर अपने धाम धनी को मनाते हैं। होली जलने के दूसरे दिन दोपहर 12 से फागों का गायन शुरू होता है, जिसमें महिला पुरुष बच्चे सभी शामिल रहते हैं। शाम 4 बजे से माहौल बदलता है और वहां उपस्थित हजारों श्रद्धालु श्री जी के रंग में रंगने लगते हैं। यहां चांदी की पिचकारी में रंग भरकर सभी श्रद्धालु सुंदरसाथ को केसर मिश्रित सुगंधित रंगों के साथ- साथ फूलों की पंखुड़ियों की बरसात कर सराबोर कर देते हैं। यह अनूठी होली शाम 6 बजे तक चलती रहती है। इसके बाद पुनः रात्रि 10 से फागों के स्वरलहरी गायन शुरू होता है जो पूरी रात चलता है।