

जांच आयोगों की रिपोर्ट मिले सालों बीते , विधानसभा के पटल पर रखे जाने से परहेज
भोपाल: मध्य प्रदेश में आधा दर्जन जांच आयोगों की रिपोर्ट सरकार तक पहुंचे सालों बीत गए, लेकिन अब तक इन रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गया। इनमें सबसे ज्यादा मामले गृह विभाग से जुड़े हुए हैं। जबकि करीब ढाई साल पहले विदिशा जिले के लटेरी में हुई गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट शासन को अब तक नहीं मिली है। यह घटना 9 अगस्त 2022 की है।
गृह विभाग के पास चार जांच रिपोर्ट आई, लेकिन पटल पर एक भी नहीं रखी।
गृह विभाग के पास चार जांच आयोगों की रिपोर्ट आ चुकी है। इसमें सबसे पुरानी जांच रिपोर्ट करीब दस साल पहले आई थी। झाबुआ जिले के पेटलावद में विस्फोट की घटना हुई थी। इसके लिए जांच आयोग बनाया गया था। जांच आयोग ने तीन महीने में ही अपनी रिपोर्ट बना कर मुख्य सचिव कार्यालय को भेज दी थी । 11 दिसंबर 2015 को यह रिपोर्ट मुख्य सचिव कार्यालय में पहुंच गई थी। तब से लेकर अब तक गृह विभाग में इस पर कार्यवाही प्रचलित बताई जा रही है। वहीं ग्वालियर के गोसपुरा नंबर दो मान मंदिर में पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत के लिए जांच आयोग बनाया गया था। अगस्त 2015 में आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट जनवरी 2017 में शासन को दे दी। यह रिपोर्ट भी गृह विभाग के पास कार्यवाही के लिए प्रचलित बताई जाती है।
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इसी तरह भिंड में गोली चालन की घटना की न्यायिक जांच आयोग बनाया गया था। जुलाई 2012 में यह आयोग बना था, आयोग ने अपनी रिपोर्ट 31 दिसंबर 2017 को शासन को दे दी। वहीं मंदसौर में हुई घटना को लेकर भी जांच आयोग बनाया गया था। आयोग 12 जून 2017 को बनाया गया और ठीक एक साल बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट भेज दी। ये चारों रिपोर्ट गृह विभाग के पास हैं, लेकिन विधानसभा के पटल पर अब नहीं रखी गई हैं। इनके अलावा भोपाल यूनियन कार्बाइड जहरीली गैस रिसाव जांच आयोग 2010 में बनाया गया था। फरवरी 2015 में इसकी रिपोर्ट प्राप्त हो गई।
*12 साल पहले आई रिपोर्ट अब तक शासन के पास*
इसमें सबसे पुराना मामला सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं वृद्धावस्था पेंशन की जांच के लिए गठित किए गए जांच आयोग का है। यह आयोग आठ फरवरी 2008 को बनाया गया था। आयोग ने चार साल में अपनी जांच पूरी की और 15 सितम्बर 2012 को शासन को यह रिपोर्ट भेज दी। अब बताया जा रहा है कि इस जांच रिपोर्ट पर सामाजिक न्याय विभाग में कार्यवाही चल रही है। इस रिपोर्ट को भी अब तक विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गया।
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