International Sex Workers Day: दुनिया का सबसे पुराना पेशा प्रॉस्टिट्यूशन

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International Sex Workers Day

International Sex Workers Day: दुनिया का सबसे पुराना पेशा प्रॉस्टिट्यूशन

2 जून को इंटरनेशनल डे फॉर सेक्स वर्कर मनाया जाता है। दुनिया के कई देशों वेश्यावृत्ति को अपराध नहीं माना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के करीब 300 ऑर्गेनाइजेशमन सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। भारत में वेश्यावृत्ति को अपराध नहीं माना जाता है। भारत में वेश्यावृत्ति की शुरुआत हजारों साल पुरानी है। करीब 3500 साल पहले वेश्यावृत्ति का जिक्र मिलता है। ऋगवेद में जतिनी शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिसका मतलब विवाहित पुरुष से अवैध संबंध बनाने वाली महिला है। ऐसी महिलाओं को बदले में कुछ तोहफा या फिर पैसे दिए जाते थे। हजारों साल पुरानी वेश्यावृत्ति का अब काफी बदल चुकी है। जहां पहले के समय में वेश्याएं धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी रहती थीं वहीं अब पोनोग्राफी ने बदलते परिवेश में अपनी जगह ले ली है।दुनियाभर में देह व्यापार सबसे बड़े धंधे के रुप में उभर रहा है। कई देशों मे देह व्यापार को कानूनी मान्यता है तो कहीं सब कुछ गैरकानूनी है। कुछ देश ऐसे भी है जो सेक्स टूरिज्म से बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। चलिए जानते हैं दुनिया के उन देशों के बारे में, जहां ये धंधा अरबों का है।

 यह दिन उनके अधिकारों को लिए होता है. उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए होता है. सेक्स वर्कर्स के साथ दुनिया के तमाम देशों में भेदभाव किया जाता है. उनके खिलाफ हिंसा की जाती है.

तो वहीं उन्हें  अपने खिलाफ हुई अत्याचार के लिए न्यायिक संस्थाओं से सही न्याय भी नहीं मिलता.  आज का दिन इन सभी बातों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि आज के दिन सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए आवाज उठाई गई थी. चलिए जानते हैं क्या है इस दिन का इतिहास और कब से मनाया जा रहा है अंतरराष्ट्रीय सेक्स वर्कर्स दिवस.

अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर्स दिवस का इतिहास

साल 1975 में 2 जून के दिन ही फ्रांस के लियोन शहर में बने चर्च सेंट-निज़ियर में करीब 100 सेक्स वर्कर  एकजुट हुए. सेक्स वर्कर के काम करने की खराब हालत को लेकर यहां उन्होंने अपनी मांगे रखी. इस आंदोलन के दौरान चर्च के स्टीपल पर सेक्स वर्कर्स ने एक बैनर लटकाया जिस पर लिखा था, ‘हमारे बच्चे नहीं चाहते कि उनकी मां जेल जाएं’.

सेक्स वर्कर्स द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन 8 दिनों तक चला जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी और खींचा. शुरुआत में फ्रांस की पुलिस ने इन मांगों को खारिज कर दिया था और सेक्स वर्कर्स को कार्रवाई करने की धमकी दी थी. पुलिस ने चर्च पर हमला करके सेक्स वर्कर से चर्च को खाली करा दिया.

लेकिन तब तक यह बात फ्रांस से बाहर यूरोप के बाकी देशों में भी फैल चुकी थी. और इसी के परिणाम स्वरूप ग्लोबल नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्क प्रोजेक्ट यानी NSWP का गठन किया. क्योंकि आंदोलन 2 जून को शुरू हुआ था. इसीलिए संगठन द्वारा 2 जून को अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया.

क्यों है इसकी जरूरत?

सेक्स वर्कर्स का काम बेहद कठिन होता है. बाकी कामों की तरह इस काम को लोगों का समाज और कानून का समर्थन नहीं मिलता. साल 2023 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के किस देश में प्रॉस्टिट्यूशन यानी सेक्स वर्कर्स के काम को कानूनी तौर पर मान्यता दी गई है.