Chambal Chaupal: काम के बोझ तले दबा एक अधिकारी, प्रभारी मंत्री ने भी लगाई थी सरेआम फटकार
भिण्ड जिले के एक अधिकारी इन दिनों सुर्खियों में हैं जिन्हें हाल ही में प्रभारी मंत्री ने सर्किट हाउस पर सरेआम फटकार लगाई थी। यह अधिकारी हैं उदय सिंह सिकरवार जो मूल रूप से अटेर एसडीएम के रूप में भिंड जिले में पदस्थ हुए थे। लेकिन बाद में भिंड एसडीएम के ट्रांसफर के बाद यहां का चार्ज भी उन्हीं को दे दिया गया। यही नहीं जानकारी के मुताबिक इसके अलावा दो चार्ज और वह संभाल रहे हैं।
एक अधिकारी पर इतना बोझ डालने से उसके ऊपर जिम्मेदारियां तो बढ़ ही जाती हैं। ऐसे में मंत्री जी को भी इस अधिकारी को फटकार लगाने से पहले सोचना चाहिए था कि पहले उनका बोझ कम करें और उसके बाद अगर अव्यवस्था मिलती हैं तो फटकार लगाएं। हालांकि सूत्रों के अनुसार इस अधिकारी पर दद्दा की विशेष कृपा है, जिसकी वजह से इनको इतने बोझ तले दबा दिया गया है। अब भिण्ड के अटेर क्षेत्र में तो एक ही कहावत चल रही है ‘जा पर कृपा दद्दा की होई, ता को कहा कर सके कोई’। और शायद इसी के चलते फटकार लगा रहे मंत्री को भी एसडीएम महोदय ने दो टूंक जवाब दिया ‘ठीक है’।
सर्वे के छः साल बाद भी रेलवे लाइन को बजट ना मिलने पर पूर्व मंत्री ने भाजपा सांसद को लिया आढ़े हाथों
भिंड से कौंच के बीच रेलवे लाइन बिछाए जाने को लेकर 2015 में सर्वे किया गया था। लेकिन 2021 के बजट में इस रेल लाइन को शामिल न किए जाने पर भिंड के पूर्व विधायक एवं प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी ने सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने लिखा है कि 2015 में भिण्ड से कौंच के बीच 89 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाए जाने को लेकर सर्वे कार्य किया गया था। जिसमें भिंड से कौंच के बीच कुल सात रेलवे स्टेशन बनाए जाने का तय हुआ था। लेकिन 6 साल बाद भी इसके लिए बजट में कोई स्थान नहीं दिया जाना बेहद ही निराशाजनक और भाजपा की सांसद की असफलता है।
आखिर विधायक को क्यों बोलनी पड़ी ठेकेदारों और इंजीनियरों को सबसे ऊंची बिल्डिंग पर लटकाने की बात?
भिंड से बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने 2018 के चुनावों में रिकॉर्ड मतों से विजय हासिल की थी। क्योंकि लोगों को भरोसा था कि यह युवा विधायक बनकर भिंड के लिए कुछ अच्छा करेगा। लेकिन शायद यह विधायक का दुर्भाग्य रहा हो या उनके अनुसार भाजपा वालों की चाल, कि उनके ही कार्यकाल में अमृत परियोजना के तहत सीवर लाइन और आर ओ वाटर लाइन का काम शुरू हुआ। जिससे पूरे भिंड शहर की सड़कें बेतरतीब तरीके से खोद दी गईं। सड़कों की खुदाई तो बेतरतीब तरीके से हुई ही, उनके रेस्टोरेशन का कार्य भी सही तरीके से नहीं हुआ।
ज्यादातर जगहों पर पूरी तरह से खुदी हुई जगह को भरे बिना ही रेस्टोरेशन कर दिया गया, वहां पर बरसात में सड़क धंस गई, जिनमें कई वाहन फंसे तो कई वाहन चालक जख्मी भी हुए। लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं दिखाई दी। हालांकि जब भिंड विधायक ने ओपन जिम बनवाई तो उसका निरीक्षण करने गए और वहां पर घटिया निर्माण किए गए पिलर को उन्होंने हाथों से ही धक्का देकर गिरा दिया। वही हाल ही में उन्होंने सड़क के रेस्टोरेशन कार्य के निरीक्षण के दौरान कुदाली से सड़क खोदी और इंजीनियरों एवं ठेकेदारों को सबसे ऊंची बिल्डिंग से लटकाने तक की धमकी दे डाली अब विधायक जी की यह धमकी कितनी कारगर साबित होती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
रेत माफिया और फरार आरोपियों से माला डलवाते नजर आए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा पिछले हफ्ते भिण्ड जिले के दौरे पर आए। यहां पर वह मेहगांव और लहार क्षेत्र के दौरे पर रहे। इस दौरान भाजपा नेताओं का उनका स्वागत करना तो लाजमी था, लेकिन उनके स्वागत में रेत माफिया और फरार चल रहे लोग भी शामिल रहने से स्वागत पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं।
मेहगांव से लहार तक कई क्रिमिनल चेहरे नेताजी के स्वागत में नजर आए। अब भला अध्यक्ष जी को तो शायद नहीं मालूम कि कौन कौन उनका स्वागत कर रहा है! लेकिन स्वागत करवाने वाले मंत्री महोदय को तो पता था कि जिनसे माला डलवाई जा रही है वह किस किस्म के लोग हैं। अब आरोपियों को साथ लेकर भला क्या संदेश देने की कोशिश की जा रही है? इसका अगले चुनावों में क्या परिणाम देखने को मिल सकता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
ओलों की मार से बेहाल अन्नदाता पर प्रशासन कितना लगा पाएगा मरहम?
भिण्ड में पिछले महीने और इस हफ्ते ओलों की जबरदस्त बौछार हुई। ओलों की बौछार में कई किसानों की पूरी की पूरी फसल तबाह हो गई। आम लोगों को तो सड़क पर बिछे ओलों का नजारा शिमला मनाली जैसा नजर आ रहा था, लेकिन किसानों के ऊपर यह घाव करने वाले पत्थर के समान पड़े थे। क्योंकि सरसों की खड़ी फसल जो कुछ समय में कटने के लिए तैयार हो जाती, वह पूरी की पूरी बर्बाद हो गई। ओलावृष्टि के बाद हमेशा की तरह प्रशासन भी मौका मुआयना में जुट गया। लेकिन अब किसानों के बड़े-बड़े घावों पर मरहम कितना लग पाएगा यह तो वक्त ही बताएगा। या फिर पिछले कई बार की तरह महज कुछ एक सौ रुपये का मुआवजा देकर शासन प्रशासन अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेगा?