
Special on World Blood Donor Day : ग्रुप में मैसेज आते ही चल पड़ते हैं देश भर में कहीं भी खून देने ग्रुप के सदस्य!
Ratlam : मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया.. यह पंक्तियां हेल्पिंग हेंड्स ग्रुप के लिए चरितार्थ होती है। वर्ष 2016 में 5 सदस्यों ने मिलकर ग्रुप बनाया जिसकी आज 184 शाखाएं होने के साथ ही देश व विदेश के युवा भी इसमें जुड़े हैं। ग्रुप में मैसेज मिलते ही युवा कहीं भी रक्तदान करने के लिए पहुंच जाते हैं। 1 से 700 किमी से अधिक दूरी तक युवा रक्तदान करने पहुंचते हैं और पीड़ित परिवार से आने-जाने का खर्च तो दूर चाय-काफी भी नहीं पीते हैं। निःस्वार्थ सेवा करने वाले इस ग्रुप के सदस्यों ने अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर 50 हजार यूनिट से ज्यादा रक्तदान कर दिया हैं।
इस तरह हुई ग्रुप की शुरुआत!
वर्ष 2016 में दिल्ली के एक जरूरतमंद को खून की आवश्यकता थी। रक्त नहीं मिलने के कारण परिवार 3 दिनों से परेशान था सोशल मीडिया के माध्यम से रतलाम जिले के आलोट के ग्राम बामनखेड़ी निवासी अनिल रावल तक यह जानकारी पहुंची तो उन्होंने दिल्ली के कोऑर्डिनेटर और स्वयं भी रक्तदाता को तलाशने का प्रयास किया और सफल हुए। उन्होंने रतलाम से 1 युवक को दिल्ली पहुंचाया और रक्तदान करवाया। इसके बाद 1 ग्रुप बनाने का निर्णय लिया जिससे जरूरतमंद को रक्त मिलने में परेशानी ना हो और रक्तदाता जरूरतमंद तक जल्दी पहुंच जाए। उन्होंने अपने 5 दोस्तों के साथ मिलकर ग्रुप बनाया जो कि सभी अलग-अलग जिले और राज्य में निवासरत हैं।
यह ग्रुप आज एक विशाल वटवृक्ष के रूप में बनकर तैयार हो गया और कहीं भी जरूरतमंद के पास पहुंचकर खून को उपलब्ध करवा रहा है। ग्रुप के सदस्यों द्वारा सभी के सहयोग से और रतलाम जिले व राज्यों के जिले के लोकल कोऑर्डिनेटर अलावा अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर 50 हजार से अधिक यूनिट रक्तदान किया जा चुका है। रक्तदान करने वाले सम्मानित भी हुए कई सामाजिक संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित किया है। विजय सचदेवा (इंदौर)-87, आशिका पाठक (रतलाम) 99 से अधिक बार रक्तदान व (एसडीपीए) डोनेशन कर चुके हैं।
इन रक्तवीरों पर हैं सबको गर्व!
वेणु हरिवंश शर्मा अंश विजयवर्गीय, अक्षांश मिश्रा शांतिलाल पाटीदार, नागेश्वर पाटीदार, हर्षित महावर, रोहित भरकुंदिया, राकेश पाटीदार, विजय पाटीदार, हेमंत पाटीदार, मुकेश पाटीदार, दीपांशु शर्मा प्रेम प्रकाश मचार दीपक पाटीदार हर्षिता शाहू, करुणा मिश्रा, अभिलाषा गर्ग, पूर्णिमा अग्रवाल कई बार रक्तदान कर चुके हैं। इस नेक कार्य के लिए उनका सम्मान भी किया गया हैं।
इन क्षेत्रों में सक्रिय हैं ग्रुप के सदस्य!
रतलाम जिले के अलावा प्रमुख रूप से इंदौर, दिल्ली, ग्वालियर, अहमदाबाद, वड़ोदरा, जयपुर, झालावाड़, कोटा, चेन्नई, बैंगलोर, पुणे, मुंबई, जम्मू कश्मीर यहां तक विदेश में भी हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप के सदस्य सक्रिय हैं। निःस्वार्थ सेवा-निःशुल्क सेवा को सार्थक कर रहे हैं। जिले के अधिकांश सदस्य 15 से 80 बार तक रक्तदान कर चुके हैं। इनमें से कई ऐसे सदस्य हैं जो ग्रुप में शामिल होने के पहले से ही रक्तदान करने में सक्रिय रहे हैं।
को-ऑर्डिनेटर बनाकर रक्तदाता को पहुंचाया!
रीवा के संजय गांधी को निगेटिव रक्त की आवश्यकता थी। रीवा प्रशासन ने सहयोग करते हुए रक्तदाता को रात 2 बजे सीधी से रीवा 82 किमी दूर ले जाया गया। ऐसी कई घटनाएं हैं जिन्हें याद करने पर भी आंखें नम हो जाती हैं।
सेवा करना ही उद्देश्य!
ग्रुप के संस्थापक अनिल रावल ने बताया कि हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप का एक ही उद्देश्य है कि निःशुल्क सेवा, निःस्वार्थ सेवा। बचे हुए भोजन को जरूरतमंद को वितरित करना, धर्मानुसार अंतिम संस्कार, हरित धरती श्रृंगार, नेत्रदान, देहदान, एनिमल वेलफेयर और कई आपातकालीन सेवाएं प्रदान करता हैं!





