बड़ी सोच को दर्शाती तोमर की अतीत को भविष्य से जोड़ने की यह पहल…

544

बड़ी सोच को दर्शाती तोमर की अतीत को भविष्य से जोड़ने की यह पहल…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्य प्रदेश के गठन से अब तक प्रदेश का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्षों को उनकी जयंती पर स्मरण करने की पहल वास्तव में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की बड़ी सोच को दर्शाती है। मध्‍यप्रदेश विधानसभा अध्‍यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर यह नवाचार करने का नि‍र्णय मानसून सत्र में एक अगस्त 2025 को कार्यमंत्रणा समिति में लिया गया। और यह संयोग ही है कि 2 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व. पं. रविशंकर शुक्ल की जयंती से इस परंपरा की शुरुआत हुई और 3 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे बेरिस्टर गुलशेर अहमद को याद किया जा रहा है।विधानसभा अध्‍यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का यह मत ही उनकी बड़ी सोच का प्रतिबिंब है कि प्रदेश के विकास एवं संसदीय पंरपरा को समृद्ध करने वाले दिवंगत मुख्‍यमंत्रियों और विधानसभा अध्‍यक्षों का पुण्‍य स्‍मरण उनकी जन्‍म जयंती पर अवश्‍य होना चाहिए। इस परंपरा से नई पीढ़ी में उन नेताओं के कृतित्‍व एवं प्रदेश के विकास में उनके योगदान की जानकारी पहुंच सकेगी। यह अतीत को भविष्य से जोड़ने की एक पहल है। और मध्‍यप्रदेश विधानसभा का सेंट्रल हॉल विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का अतीत को भविष्य से जोड़ने के इस नवाचार का साक्षी बनेगा। जहां प्रदेश के दिवंगत मुख्‍यमंत्रियों एवं विधानसभा अध्‍यक्षों की जन्‍म जयंती पुष्‍पांजलि‍ सभा के साथ मनाई जाएगी।

1000554146

तो मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व. रविशंकर शुक्ल की जयंती से इस नवाचार की शुरुआत हो गई है।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने 2 अगस्त 2025 को अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पं. रविशंकर शुक्ल की जयंती पर विधानसभा के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री रहे पं. रविशंकर शुक्ल ने प्रदेश के विकास के लिए आधारभूत रूप से जो कार्य आरंभ किया, उस नींव पर ही प्रदेश के वर्तमान स्वरूप ने आकार लिया है। विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा राज्य के श्रद्धेय मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्षों की जयंती पर उन्हें स्मरण करने की परम्परा आरंभ करने की पहल स्वागत योग्य है। राज्य के विकास में इन पुण्यात्माओं के योगदान से नई पीढ़ी को परिचित कराने में उनके स्मरण का यह नवाचार सहायक होगा। विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रदेश के श्रद्धेय मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्षों के योगदान का स्मरण किया जाना आवश्यक है। 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य का गठन हुआ। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री श्रद्धेय पं. रविशंकर शुक्ल जी के जीवन और संघर्ष से हम सभी प्रेरणा लेते हैं। आज उनकी जयंती है, उन्हें स्मरण कर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि हम सभी को उनके बताए मार्ग पर चलने की शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करें।

1000554145

आईए जानते हैं मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व. पंडित रविशंकर शुक्ल के बारे में। रविशंकर शुक्ल (जन्म- 2 अगस्त, 1877, मृत्यु- 31 दिसम्बर, 1956) ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के प्रसिद्ध नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। आप 1 नवम्बर, 1956 को अस्तित्व में आये नये राज्य मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। पण्डित रविशंकर शुक्ल को “नये मध्य प्रदेश के पुरोधा” के रूप में स्मरण किया जाता है।

पंडित रविशंकर शुक्ल का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 2 अगस्त, 1877 ई. में सीपी और बेरार के सागर शहर में हुआ था। इनके पिता पंडित जगन्नाथ शुक्ल और माता श्रीमती तुलसी देवी थीं। रविशंकर शुक्ल 27 अप्रेल 1946 से 14 अगस्त 1947 तक सीपी और बेरार के प्रमुख, 15 अगस्त 1947 से 31 अक्टूबर 1956 तक सीपी और बेरार के प्रथम मुख्यमंत्री और 1 नवम्बर 1956 को अस्तित्व में आये नये राज्य मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। अपने कार्यकाल के दौरान 31 दिसम्बर 1956 को शुक्ल जी का निधन दिल्ली में हुआ। सागर विश्वविद्यालय परिसर में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां पंडित रविशंकर शुक्ल की समाधि बनी है। शुक्ल जी की स्मृति में विधान सभा सचिवालय द्वारा वर्ष 1995-1996 से उत्कृष्ट मंत्री पुरस्कार स्थापित किया गया है।

आइए अब थोड़ा गुलशन अहमद के बारे में भी जानते हैं। गुलशेर अहमद (3 अगस्त 1921 – 20 मई 2002) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक नेता थे। उन्होंने इंग्लैंड में पढ़ाई की और बैरिस्टर बने। सतना के रहने वाले गुलशेर अहमद सन् 1952 में विंध्‍य प्रदेश से राज्‍य सभा के लिए सदस्‍य निर्वाचित हुए। सन् 1962 के आम चुनाव में मध्‍यप्रदेश विधान सभा के लिए सदस्‍य निर्वाचित हुए। मई 1963 से अक्‍टूबर 1963 तक विधि एवं वित्‍त विभाग के उप मंत्री रहे। उसके पश्‍चात् विधि मंत्री एवं पृथक आगम विभाग के मंत्री के रूप में मार्च 1967 तक कार्य किया। सन् 1972 के आम चुनाव में विधान सभा के लिए अमरपाटन से निर्वाचित हुए। दिनांक 14 अगस्‍त, 1972 से 14 जुलाई, 1977 तक मध्‍यप्रदेश विधान सभा के अध्‍यक्ष रहे। सन् 1980 के आम चुनाव में लोक सभा के सदस्‍य निर्वाचित हुए। आप 30 जून, 1993 से नवंबर, 1993 तक हिमाचल प्रदेश के नौवें राज्‍यपाल रहे। आप महात्‍मा गांधी ग्रामोदय विश्‍वविद्यालय, चित्रकूट के कुलपति भी रहे।

आईए अब अंत में देश के प्रसिद्ध गीतकार शकील बदायूंनी के बारे में जानते हैं। शकील बदायूंनी (3 अगस्त 1916 – 20 अप्रैल 1970) एक भारतीय उर्दू कवि, गीतकार और हिंदी/उर्दू भाषा की फिल्मों के गीतकार थे।शकील बदायूंनी का जन्म 3 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूँ में हुआ था। शकील बदायूंनी का मधुमेह संबंधी जटिलताओं के कारण 20 अप्रैल 1970 को, 53 वर्ष की आयु में, बॉम्बे अस्पताल में निधन हो गया। शकील बदायूंनी का 1948 में बनी फिल्म मेला का यह गीत ‘ये ज़िंदगी के मेले…’ जिंदगी का यथार्थ वर्णित करते हुए दिल को छू जाता है। मोहम्मद रफी की आवाज में गाए गए इस गीत के बोल इस प्रकार हैं-

ये ज़िंदगी के मेले -ये ज़िंदगी के मेले, दुनिया में कम न होंगे

अफ़सोस हम न होंगे

इक दिन पड़ेगा जाना, क्या वक़्त, क्या ज़माना

कोई न साथ देगा, सब कुछ यहीं रहेगा

जाएंगे हम अकेले, ये ज़िंदगी …

तो विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का यह नवाचार वास्तव में अनुकरणीय है। देश की दूसरी विधानसभाओं को भी इस तरह की परंपरा की शुरुआत करनी चाहिए। ताकि राज्यों के विकास के उन अहम किरदारों को याद किया जा सके, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। ताकि भविष्य, अतीत से जुड़े और प्रेरणा ले सके…।