Shubhanshu Still Remembers Space : स्पेस से वापसी की बात क्या शुभांशुु शुक्ला भूल गए, लैपटॉप हवा में छोड़ा!  

जब लैपटॉप गिरा तो आया याद कि वे धरती पर आ गए, उन्हें तो मोबाइल भी भारी लगा!   

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Subhanshu Still Remembers Space : स्पेस से वापसी की बात क्या शुभांशुु शुक्ला भूल गए, लैपटॉप हवा में छोड़ा! 

Houston : कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिन के ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से वापस लौटे। उन्होंने एक ऐसा पल जिया, जो जितना मजेदार था, उतना ही गंभीर भी। ह्यूस्टन में अपने कमरे में आराम करते हुए उन्होंने अपना लैपटॉप बंद किया और वहीं छोड़ दिया, जैसे वह अंतरिक्ष में तैरता रह जाएगा। लेकिन, यह पृथ्वी थी और लैपटॉप जमीन पर गिर गया। अंतरिक्ष नहीं कि हवा में ही तैरता रहे। यह स्थिति उस व्यापक बदलाव की झलक है, जो अंतरिक्ष यात्री अपनी वापसी पर महसूस करते हैं। यह बदलाव सिर्फ़ शरीर का नहीं होता, दिमाग, संवेदना और आदतों का भी होता है।

एक ऐसी दुनिया से वापस आना जहां गुरुत्वाकर्षण नहीं है, यह उतना ही चुनौतीपूर्ण है जितना वहां जाना। भारत के अंतरिक्ष मैन सुभांशु शुक्ला ने ‘एक्सिओम मिशन-4’ के तहत 433 घंटे, यानी 18 दिन में पृथ्वी की 288 परिक्रमाएं कीं। उनकी यह यात्रा लगभग 1.22 करोड़ किलोमीटर की रही, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 32 गुना है। इस यात्रा की लागत लगभग 7 करोड़ डॉलर थी, जिसे भारत सरकार और निजी कंपनी Axiom Space के मदद से पूरा किया गया।

धरती पर माइक्रो ग्रैविटी से लौटना

इंसान का शरीर अंतरिक्ष में कुछ ही दिनों में वातावरण के मुताबिक बदलने लगता है। मांसपेशियां ढीली पड़ती है, हड्डियां घनत्व खोने लगती हैं और मस्तिष्क नया संतुलन सीख लेता है। माइक्रो ग्रैविटी में हर चीज हवा में तैरती है और दिमाग भी यही मानकर काम करता है। शुक्ला के साथ यही हुआ। एक और उदाहरण में उन्होंने साझा किया कि जब उन्होंने एक सहकर्मी से फोन लिया तो वह उसके वजन से चौंक गए। एक साधारण वस्तु, जो वर्षों से परिचित थी अचानक भारी लगने लगी।

 

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सीख

कमांडर पैगी व्हिटसन ने कहा कि उन्होंने भारतीय दल को ट्रेनिंग में सबसे पहले यही सिखाया था कि धीमा ही तेज होता है। क्योंकि, अगर आप कम ग्रैविटी में तेजी से चलते हैं, तो आप दीवारों से टकराते हैं, मशीन गिराते हैं या खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन, शुक्ला और उनके साथियों ने यह सीख गंभीरता से ली और और वे नपे-तुले, संतुलित और सजग

अंतरिक्ष यात्री साबित हुए। 

लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री पुनर्वास कार्यक्रम में भाग लेते हैं, जिसमें उन्हें फिर से गुरुत्वाकर्षण से सामंजस्य बिठाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें संतुलन अभ्यास, ताकत बढ़ाने वाले वर्कआउट और स्वास्थ्य निगरानी शामिल होती हैं। हालांकि, तीन-चार दिनों में वे सामान्य महसूस करने लगते हैं। लेकिन, पूरी रिकवरी में हफ्तों लग सकते हैं। यह शरीर के लचीलेपन और मानसिक दृढ़ता का प्रमाण है कि अंतरिक्ष यात्री इस प्रक्रिया से सफलता से गुजरते हैं।