सिनेमा के परदे पर कई भाइयों ने भी बिखेरा जलवा!   

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सिनेमा के परदे पर कई भाइयों ने भी बिखेरा जलवा!

 

– अशोक जोशी

 

राखी हो या भाई दूज, भाई तो हमेशा की तरह इन पर्वों को मनाते रहते हैं। बहनें सज संवरकर इन त्योहारों की खास तैयारी करती हैं। वैसे यह हमारे समाज की परम्परा रही है कि हम बहन-बेटियों को खास तरजीह देते हैं। लेकिन, इस तरह भाईयों को अनदेखा करना भी उचित नहीं। तो इस बार रक्षाबंधन पर भाइयों पर आधारित फिल्मों और फिल्मी भाईयों की बात।

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वैसे तो हिंदी सिनेमा में ज्यादातर फिल्में बहनों पर आधारित छोटी बहन, बड़ी बहन, मझली दीदी जैसी फिल्में बनी है, तो भाईयों पर आधारित फिल्में भी कम नहीं। यदि इस तरह की फिल्मों के शीर्षकों पर नजर दौड़ाई जाए तो भाई शीर्षक से जुड़ी फिल्मों की संख्या बहन शीर्षक से ज्यादा निकलेगी। यकीन न हो तो गिनकर देख लीजिए। भाई, दो भाई, भाई भाई, बड़ा भाई, चल मेरे भाई, मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्नाभाई ,मेरे भैया, बिग ब्रदर, हैलो ब्रदर, गुरु भाई, भाई हो तो ऐसा और ‘मैं और मेरा भाई’ जैसी फिल्मों की लंबी फेहरिस्त है।

फिल्मी गानों में भी भाइयों ने बहनों की तरह ही अपना जलवा बिखेरा है। इन गीतों में चल मेरे भाई तेरे हाथ जोड़ता हूं, देखो रे हुआ भाई भाई से जुदा, भैया मेरे राखी के बंधन, मेरे भैया मेरे चंदा, चंदा रे भैया से कहना और राखी का मतलब प्यार है भैया प्रमुख हैं। हमारे यहां यदि रागिनी और पद्मिनी से लेकर करीना और करिश्मा जैसी बहनों ने नाम कमाया, तो भाईयों ने भी अभिनय के क्षेत्र में अपना दमखम दिखाया। इनमें कुछ भाई सफल तो कुछ असफल रहे।

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सफल भाईयों में अशोक कुमार और किशोर कुमार हैं, तो इनके तीसरे भाई अनूप कुमार ज्यादा चल नहीं पाए। भाईयों में कपूर ब्रदर्स ने बहुत ज्यादा नाम कमाया है, चाहे वह राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर हो या ऋषि कपूर और रणधीर कपूर। जरूरी नहीं कि कपूर भाई का होना सफलता की गारंटी ही है। यदि ऐसा होता तो राज कपूर के तीसरे बेटे राजीव कपूर और अनिल कपूर के छोटे भाई संजय कपूर भी सफलता के झंडे गाडते। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।

कई बार ऐसा भी हुआ है एक भाई के सफल होने पर दूसरा भाई उसी तरह की सफलता की आस लगाए सिने मैदान में कूद पड़ता है। लेकिन, उसे असफलता ही हाथ लगती है। दिलीप कुमार की सफलता से प्रेरित होकर हीरो बने उनके भाई नासिर खान ज्यादा नहीं चल पाए।

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देव आनंद के भाई विजय आनंद और चेतन आनंद ने कुछ फिल्मों में अभिनय पर हाथ आजमाए, लेकिन वह बेहतरीन निर्देशक जरूर बनें लेकिन दूसरे देव आनंद नहीं बन सके। सुनील दत्त चाहकर भी अपने भाई सोमदत्त को सफलता का दीदार नहीं करवा पाए। मनोज कुमार अपने भाई राजीव गोस्वामी को अभिनेता बनाने के चक्कर में पारिवारिक कलह में ऐसे फंसे कि उबर नहीं पाए।

प्रेमनाथ के साथ उनके भाई राजेन्द्र नाथ तो सफल रहे, लेकिन नरेन्द्र नाथ ज्यादा नहीं चल सके। आमिर खान के भाई फैजल खान, फिरोज खान के भाई संजय खान और अकबर खान, और सलमान खान के भाई अरबाज खान और सोहेल खान की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। देओले बंधुओं की भी यही कहानी है। उनके छोटे भाई बॉबी देओल भी ज्यादातर फ्लॉप ही रहे। वो तो ‘एनिमल’ और ओटीटी की ‘आश्रम’ ने उन्हें तिनके का सहारा दे दिया वर्ना वह भी फ्लॉप भाइयों की कतार में खड़े मिलते।

अभिनय के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी भाईयों ने अपनी किस्मत आजमायी है। गायन में जिस तरह मंगेशकर बहनों का एक छत्र राज्य चलता आया। लेकिन, उनके भाई हृदयनाथ ज्यादा कुछ नहीं कर सके। भाईयों में ऐसी जोडी नहीं दिखाई दी जिन्होने गायन में अपना वर्चस्व कायम किया हो। कव्वाली के मैदान में जरूर कुछ भाईयों ने नाम कमाया। संगीत के क्षेत्र में कल्याण जी आनंद जी के बाद जतिन-ललित और आनंद-मिलिंद ने अच्छा नाम कमाया । लेकिन कोई भी कल्याणजी आनंदजी की तरह लम्बे समय तक नहीं टिक पाए।

निर्देशन के क्षेत्र में आनंद बंधुओं की सफलता का ग्राफ सबसे ज्यादा ऊंचा रहा। चेतन आनंद गंभीर निर्देशन के क्षेत्र में अग्रणी रहे, तो विजय आनंद ने मनोरंजक फिल्मों में खूब नाम कमाया। उनकी तरह देव आनंद भी निर्देशक बने, लेकिन हरे राम हरे कृष्ण और देस परदेस को छोड़कर तीसरी सफल फिल्म का निर्देशन नहीं कर पाए। संयोग से यह दोनों सफल फिल्में भाई -बहन और भाई भाई के प्रेम पर आधारित थी।

वैसे तो राज कपूर के साथ शम्मी कपूर और शशि कपूर ने, रणधीर कपूर के साथ ऋषि और राजीव कपूर, फिरोज खान के साथ संजय खान और अकबर खान ने निर्देशन की परम्परा को आगे बढ़ाया लेकिन इनमें भी एक भाई सफल तो दूसरे भाई असफल रहे। अब्बास मस्तान भाईयों की जोडी जरूर निर्देशन के क्षेत्र में कुछ हद तक सफल रही।

हिंदी सिनेमा में राकेश रोशन और उनके छोटे भाई राजेश रोशन दोनों ने अपार सफलता पायी लेकिन दोनों के क्षेत्र अलग अलग थे। कुछ कलाकारों ने भाई होने का दायित्व सगा भाई न होने के बाद निभाया है। इनमें लता मंगेशकर सबसे ज्यादा भाग्यशाली थी जिन्हें मदन भैया, युसूफ भैया और मुकेश भैया का स्नेह मिला तो सलमान खान ऐसे अभिनेता है जिन्हें बॉलीवुड का भाई कहकर पुकारा जाता है। इसीलिए तो सभी की यही कामना होती है कि भाई हो तो सिनेमाई!