No Car Day: इंदौर ने 15–20% तक वायु प्रदूषण घटाया, देश के शहरों के लिए मिसाल पेश की

इंदौर ने नो कार डे के जरिए 20–25,000 लीटर ईंधन बचत की 

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No Car Day: इंदौर ने 15–20% तक वायु प्रदूषण घटाया, देश के शहरों के लिए मिसाल पेश की

के के झा

इंदौर: मध्य प्रदेश का इंदौर शहर आज “नो कार डे” के जरिए पूरे देश के लिए पर्यावरण-सुरक्षा और स्थायी शहर निर्माण का प्रेरक उदाहरण पेश कर रहा है। शहर ने निजी वाहनों पर नियंत्रण और साइकिल, ई-रिक्शा व सार्वजनिक परिवहन के बढ़ते प्रयोग के माध्यम से प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। यह पहल न केवल इंदौर को देश के अग्रणी शहरों में स्थापित करती है, बल्कि अन्य शहरों के लिए स्थायी परिवहन और हरित वातावरण अपनाने का मॉडल भी पेश करती है।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने रेडियो कॉलोनी से पलासिया चौराहा तक साइकिल रैली का नेतृत्व किया। इस रैली में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति राकेश सिंघाई, महापौर परिषद सदस्य नंदकिशोर पहाड़िया, अभिषेक शर्मा बबलू और सैकड़ों साइकिल प्रेमी शामिल हुए। रैली का मार्ग पलासिया चौराहा से राजवाड़ा होते हुए पुनः पलासिया तक था और इस दौरान शहर के प्रमुख स्थल जैसे रीगल चौराहा, महारानी रोड, पुणे कोठारी मार्केट और एमजी रोड से होकर यह संदेश गया कि यदि नागरिक नियमित रूप से साइकिल, ई-रिक्शा और सार्वजनिक परिवहन अपनाएँ, तो शहर का जीवनस्तर और वातावरण दोनों बेहतर हो सकते हैं।

नो कार डे के दौरान निजी वाहनों की संख्या में लगभग 40–50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इससे शहर में वायु प्रदूषण में 15–20 प्रतिशत की गिरावट आई और लगभग 20,000–25,000 लीटर ईंधन की बचत हुई। महापौर भार्गव ने कहा, “नो कार डे केवल प्रतीकात्मक नहीं है। यह पहल शहरवासियों को यह समझने का अवसर देती है कि यदि हम नियमित रूप से सार्वजनिक परिवहन, साइकिल और ई-रिक्शा का प्रयोग करें, तो सड़कें सुगम बनेंगी, हवा साफ रहेगी और ईंधन बचाया जा सकेगा। इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है जिसने स्थायी परिवहन और स्वच्छ वातावरण के लिए इस अभियान को लागू किया। आज भले ही परिणाम मामूली दिखें, लेकिन आने वाले वर्षों में इसका प्रभाव और भी स्पष्ट होगा।”

इसी दिशा में, इंदौर संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने भी ई-स्कूटी का प्रयोग कर कार्यालय तक यात्रा की और नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन फुटप्रिंट कम करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “नो कार डे जैसे कदम न केवल शहर को स्वच्छ और हरित बनाते हैं, बल्कि आम नागरिकों को जागरूक करते हैं कि हर छोटे प्रयास से बड़ा बदलाव संभव है। इंदौर की यह पहल पूरे देश में स्थायी विकास के क्षेत्र में उदाहरण है।”

शहरवासियों ने भी इस पहल में उत्साहपूर्वक भाग लिया। सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी, सार्वजनिक परिवहन और साइकिल के सक्रिय प्रयोग से शहर में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ और ईंधन की बचत भी दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की पहल न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अन्य शहरों के लिए मार्गदर्शक होगी।

मुख्य हाइलाइट्स:

निजी वाहनों में 40–50% की कमी।

शहर में वायु प्रदूषण में 15–20% सुधार।

 

एक दिन में लगभग 20,000–25,000 लीटर ईंधन की बचत।

 

महापौर और नागरिकों ने साइकिल, ई-रिक्शा और सार्वजनिक परिवहन का सक्रिय प्रयोग किया।

इंदौर अब पूरे भारत में हरित और सतत विकास के अग्रणी शहर के रूप में स्थापित हो चुका है। नो कार डे जैसी पहल यह दर्शाती है कि यदि प्रशासन और नागरिक मिलकर प्रयास करें, तो बड़े पैमाने पर वायु गुणवत्ता में सुधार, ऊर्जा बचत और पर्यावरण सुरक्षा संभव है। यह पहल न केवल शहरवासियों को जागरूक करती है, बल्कि पूरे देश में स्थायी परिवहन और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए प्रेरणा भी देती है।