
स्वर्णकार समाज के आराध्य देव महाराजा अजमीढ़ जी के जन्मोत्सव पर प्रदेश सहित रतलाम में भी होंगे विभिन्न धार्मिक आयोजन!
Ratlam : मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के आराध्य देव महाराजा अजमीढ़ जी का शरद पूर्णिमा को जन्मोत्सव के अवसर पर देशभर में महाराजा अजमीढ़ जी का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। मध्य प्रदेश के रतलाम में भी महाराजा अजमीढ़ जी के जन्मोत्सव पर विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाएंगे।
*मेवाड़ा स्वर्णकार समाज अध्यक्ष तथा युवा अध्यक्ष की अपील!*
श्री मैढ़ क्षत्रिय मेवाडा स्वर्णकार समाज अध्यक्ष मदन सोनी तथा यूवा अध्यक्ष कृष्णा सोनी ने बताया कि (जूना सात) की मुख्य कार्यकारिणी के मार्गदर्शन में नवयुवक मंडल तथा महिला मंडल द्वारा सम्मिलित रुप से सोमवार को एक विशाल चल-समारोह माणकचौक स्थित बड़ा गोपाल जी के मंदिर से सायं 4 बजे प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होकर त्रिपोलिया गेट स्थित हरियाणा गौढ समाज मंदिर पर समापन होगा। तत्पश्चात महाराजा अजमीढ़ जी की महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरित करते हुए सहभोज आयोजित किया जाएगा। जहां महिलाओं द्वारा डांडिया रास भी किया जाएगा। रात्रि 10-30 बजे मोतीनगर स्थित पावागढ़ धाम पर भगवान श्री राम की महाआरती कर प्रसाद वितरित किया जाएगा।

*मारवाड़ी स्वर्णकार समाज अध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारियों की अपील!*
श्री मैढ़ क्षत्रिय मारवाड़ी स्वर्णकार समाज के बैनर तले सोमवार को शहर के भरावा की कुई स्थित श्री शेष नारायण मंदिर पर सांयकाल 7 बजे मंदिर में भजन संध्या पश्चात रात्रि 12 बजे प्रसादी वितरण किया जाएगा। श्री मैढ़ क्षत्रिय मारवाड़ी स्वर्णकार समाज अध्यक्ष भुपेंद्र सोनी (सनगट), यूवा अध्यक्ष भीम सोनी तथा महिला मंडल अध्यक्ष कृष्णा देवी मींडिया ने समाज के धर्मप्रेमी समाजजनों, माताओं बहनों और युवा साथियों से अनुरोध किया हैं कि समाज के आराध्य देव महाराजा अजमीढ़ जी के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में अधिकाधिक संख्या में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाएं!
*जानिए स्वर्णकार समाज के आराध्य देव का जीवन परिचय!*
जन्म और वंश: पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाराजा अजमीढ़ का जन्म चंद्रवंश में हुआ था। वह राजा हस्ति के पुत्र थे। जिन्होंने प्रसिद्ध हस्तिनापुर की स्थापना की थी। महाराजा अजमीढ़ की माता का नाम रानी सुदेवा था। त्रेता युग: महाराजा अजमीढ़ का जन्म त्रेतायुग के अंत में हुआ था। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का समकालीन और मित्र माना जाता हैं।
राज्य: उन्होंने हस्तिनापुर के अलावा अजमेर के आसपास के क्षेत्रों में भी अपने राज्य का विस्तार किया। कुछ मान्यताओं के अनुसार उन्होंने ही अजमेर शहर की स्थापना की थी।
*आभूषण निर्माण!*
उन्हें आभूषणों के निर्माण में विशेष रुचि थी, और यही कारण है कि उन्हें स्वर्णकार समाज का आदिपुरुष और कुल प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने अपने इस कौशल को अपने वंशजों को भी सिखाया। विवाह और संतान: महाराजा अजमीढ़ की दो रानियां थी- सुमति और नलिनी। उनके 4 पुत्र थे। बृहदिषु, ऋष, प्रियमेध और नील।
*स्वर्णकार समाज से जुड़ाव!*
महाराजा अजमीढ़ के वंशज पीढ़ी दर पीढ़ी आभूषण बनाने के काम में निपुण होते गए और इसी कारण उन्हें स्वर्णकार कहा जाने लगा। आज स्वर्णकार समाज के लोग उन्हें अपने कुल के प्रवर्तक के रूप में पूजते हैं।
*जन्मजयंती*
महाराजा अजमीढ़ की जयंती प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दिन मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज द्वारा देश भर में बड़े उत्साह से मनाई जाती हैं।
*राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की समाजजनों से अपील!*
महाराजा अजमीढ़ जी युवा संस्था (मुंबई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सोनी, प्रदेश अध्यक्ष रमेश सोनी (जर्नलिस्ट) तथा रतलाम जिलाध्यक्ष मुकेश सोनी (अग्रोया), उज्जैन जिलाध्यक्ष भुपेंद्र सोनी ने प्रदेश के स्वर्णकार भाईयों, मातृशक्ति तथा युवा साथियों को महाराजा अजमीढ़ जी के जन्मोत्सव पर शुभकामनाएं प्रेषित की हैं!





