Indore : आदिवासी जिलों में आदिवासी समाज के परंपरागत पर्व भगोरिया हाट की शुरुआत इस साल 11 मार्च से होगी। कोरोना संक्रमण के कम हुए असर के बाद प्रदेश सरकार ने तमाम पाबंदियां हटा दी (The state government removed all the restrictions) है। ऐसे में भगोरिए के आयोजन को लेकर आदिवासी समाज के लोग हर्षों उल्लास के साथ मनाएंगे।
इस आयोजन में शामिल होने के लिए गांव से बाहर नौकरी व पढ़ाई की तलाश में गए लोग भी पुन अवकाश लेकर गांव लौटते हैं, तथा 15 दिनों तक गांव में ही रहकर अलग-अलग क्षेत्रों के हाट पर्व में शामिल होते है। आदिवासी समाज इस हाट आयोजन को वर्षों से मनाते आ रहा हैं, समाज के युवा वर्ग में इस आयोजन को लेकर विशेष उत्साह (Special enthusiasm about this event in the youth of the society) रहता है।
महेंद्र कन्नौज ने भगोरिया हाट को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि होली पर्व को लेकर समाज के लोगों में विशेष उत्साह होता है। इसकी खरीदारी के लिए ही समाज के लोग गांव के साप्ताहिक हाट में पहुंचते है। इस दौरान साप्ताहिक हाट भगोरिया मेले में परिवर्तित (Weekly Haat converted into Bhagoria Fair) हो जाता है। हाट बाजार से विशेष रूप से प्रत्येक घर में गुड, चने, खजूर, गुलाल, कांकड व माझम और शकरकंद, नारियल सहित अन्य सामान खरीदकर घर लेकर आते है। इसको लेकर 4 मार्च से 10 मार्च तक त्योहार हाट बाजार लगेंगे, जिसके बाद लोक पर्व भगोरिया की शुरुआत 11 मार्च से होगी।
मेले में गूंजेंगी कुर्राटियां
आदिवासी समाज के भगोरिया हाट के दौरान मेले में विशेष डोल लेकर पहुंचते है। कन्नौज बताते हैं कि महुआ की लकड़ी से निर्मित इस विशेष डोल का वजन 15 किलो से अधिक होता है। हर कोई व्यक्ति इस डोल को नहीं उठा पाता हैं, इस विशेष डोल की आवाज पर समाज के लोग आदिवासी गीतों पर नृत्य करना शुरू करते है। इस दौरान समाज की विशेष परंपरा कुर्राटियां विशेष महत्व होता है।
जनप्रतिनिधि भी शामिल
भगोरिया हाट में आदिवासी समाज के आयोजन के दौरान क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी शामिल होते हैं, तथा डोल बजाने वाले व्यक्ति सहित टीम को प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित भी किया जाता है। जिले में 20 से अधिक स्थानों पर भगोरिया हाट का आयोजन किया जाता हैं, एक सप्ताह तक होने वाले आयोजन में एक साथ दो से अधिक स्थानों पर कई मर्तबा हाट भरता है।