
MP High Court Allows Abortion of Minor: खंडवा कोर्ट ने भेजा था पत्र, MGM हॉस्पिटल की असिस्टेंट प्रोफेसर को फटकार
जबलपुर हाईकोर्ट ने मंगलवार, 11 नवंबर को एक नाबालिग के गर्भपात कराने के मामले में अनुमति दी है। साथ ही केस के संबंध में इंदौर के एमजीएम अस्पताल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पूजा गांधी के ऑनलाइन मीटिंग में नहीं जुड़ने पर फटकार लगाई। यहां बता दें, दिव्यांग और मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती के गर्भपात को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
दुष्कर्म से गर्भवती हुई दिव्यांग और मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के गर्भपात से जुड़े मामले को लेकर चार दिन पहले लिंक भेजी गई थी. बावजूद इसके पूजा गांधी उसमें शामिल नहीं हुईं. जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. इसके साथ ही कोर्ट ने को गर्भपात की इजाजत दे दी है. हाई कोर्ट ने खंडवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में इस प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए हैं. बेंच ने शासकीय अधिवक्ता सुमित रघुवंशी को कहा है कि वह इस आदेश की प्रति सभी संबंधितों को भेजे जिससे कि पीडि़ता का गर्भपात सुनिश्चित हो सके. दरअसल खंडवा जिले के पूर्व निमाड़ के प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश ने एक रेप पीडि़ता नाबालिग के 30 सप्ताह का गर्भपात करने की अनुमति प्रदान करने के लिए हाईकोर्ट में पत्र भेजा था. हाईकोर्ट ने इसकी सुनवाई याचिका के रूप में की.
4 दिन पहले हुई सुनवाई में रेप से गर्भवती हुई एक किशोरी के गर्भपात से जुड़े मामले में कोर्ट ने क्लर्क द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक भेजे जाने के बावजूद वह सुनवाई में शामिल नहीं हुईं. बेंच ने आदेश दिया कि डॉ. पूजा गांधी सोमवार सुबह 10.30 बजे आवश्यक रिकॉर्ड के साथ अदालत में हाजिर हों अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में उपस्थित हुई डॉ. पूजा गांधी से जब जस्टिस विशाल मिश्रा ने पूछा कि सुनवाई के दौरान में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल क्यों नहीं हुई. इस पर उनका कहना था कि मोबाइल पर लिंक में कई बार लॉगिन करने की कोशिश की लेकिन वह असफल रही, इसके बाद जिला अस्पताल के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम में गई थी. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. डॉक्टर गांधी के इस जवाब पर कोर्ट ने कहा कि आप अपना मोबाइल दे दें हम उसकी फोरेंसिक टेस्ट कर लेंगे की कितनी बार लॉगिन की कोशिश की गई.
एमजीएम कॉलेज के डीन भी हुए हाजिर-
एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पूजा गांधी हाजिर हुए. जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कहा कि पीडि़ता के माता.पिता ने गर्भपात के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की है. और मेडिकल बोर्ड ने भी राय दी है, इसलिए तत्काल गर्भपात कराया जाए. कोर्ट ने पीडि़ता और उसके परिजनों को तत्काल शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल खंडवा के समक्ष उपस्थित रहने के निर्देश दिए ताकि गर्भपात जल्द से जल्द किया जा सके. डॉक्टरों की एक विशेष टीम गर्भपात के संबंध में निर्णय लेगी. कोर्ट ने सरकार को पूरी एहतियात बरतने के निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि यदि बच्चा जीवित पैदा होता है, तो उसकी देखभाल करना राज्य सरकार का कर्तव्य होगा.





