CB Live Chief का CEC को खुला पत्र: जनजातीय इलाकों और गैर-चुनावी राज्यों की चुनौतियों को रेखांकित करता महत्वपूर्ण हस्तक्षेप

673

CB Live Chief का CEC को खुला पत्र: जनजातीय इलाकों और गैर-चुनावी राज्यों की चुनौतियों को रेखांकित करता महत्वपूर्ण हस्तक्षेप

राजेश जयंत

JHABUA-ALIRAJPUR: आदिवासी अंचल का गूगल CB LIVE के chief इंदौर संभाग के वरिष्ठ पत्रकार कुंवर चंद्रभान सिंह भदोरिया ने Chief Election Commissioner ज्ञानेश कुमार को एक महत्वपूर्ण खुला पत्र लिखा है। यह पत्र विशेष रूप से उन जनजातीय बहुल क्षेत्रों की समस्याओं को केंद्र में रखता है, जहां मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्य भौगोलिक, तकनीकी और सामाजिक कारणों से अत्यंत कठिन हो जाता है। साथ ही, यह पत्र उन राज्यों के लिए भी अहम है जहां 2026 में चुनाव नहीं होने हैं, फिर भी मतदाता सूची संशोधन को लेकर असामान्य दबाव देखा जा रहा है। पत्र में श्री भदोरिया ने जमीनी हालात को स्पष्ट और निष्पक्ष रूप से सामने रखते हुए कई गंभीर चुनौतियों की ओर संकेत किया है।
▪️मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखा खुला पत्र

श्रीमान ज्ञानेश कुमार
मुख्य चुनाव आयुक्त

WhatsApp Image 2025 11 21 at 19.23.42

देश भर में मतदाता सूची का शुद्धिकरण का काम अलग-अलग चरणों में आप करवा रहे हैं, इसका स्वागत है, लेकिन इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को जमीनी हालात को समझना चाहिए। आपने 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक की डेडलाइन तय कर दी, लेकिन होमवर्क नहीं किया और अब डंडा लेकर खड़े हो गए हैं। सुना है समीक्षा बैठकों में इलेक्शन कमीशन के अधिकारी अफसरों से ठीक भाषा में बात नहीं कर रहे हैं। उनका अंदाज़ धमकाने वाला है और अफसरों पर दिया गया प्रेशर नीचे BLO पर आ रहा है। देशभर में 2 दर्जन से अधिक BLO की जान गई है। मेरा दावा है, देर शाम को हर BLO का BP आपको बढ़ा हुआ मिलेगा।

जबकि नीचे स्तर पर और ग्रामीण परिवेश में निम्न दिक्कतें मैंने देखी हैं:

1. आदिवासी इलाकों में पलायन से आ रही समस्या
2. फलिया यानी बसाहट कई किलोमीटर में फैली है, जिससे शहर के मुकाबले 5 गुना समय अधिक लग रहा है
3. BLO जानकारी जुटाकर फिर 2003 के स्टेटस को जानने के लिए जूझते हैं
4. ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की स्पीड कमजोर है, एक फॉर्म कम से कम 15 मिनट में अपलोड होता है। अब 24 घंटे में 100 फॉर्म कैसे अपलोड होंगे? इसमें घंटों बीतेंगे। BLO खाना कब खाएगा, सोएगा कब और स्कूल की जिम्मेदारी के साथ काम कैसे संभालेगा
5. मतदाता की डिटेल पत्रक एक साथ जब बंटे नहीं, तो कार्य प्रगति में एक जैसी प्रगति की अपेक्षा क्यों..?
मेरा मानना है कि S I R बहुत जरूरी है, लेकिन जिन राज्यों में इस साल चुनाव नहीं है वहाँ इतना दबाव क्यों? क्या ये अफसरों और BLO के मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है?
मैं भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त से अनुरोध करता हूँ कि जिन राज्यों में 2026 में चुनाव नहीं है, वहाँ समय सीमा बढ़ा दी जाए, ताकि काम बिना पैनिक के अच्छी तरह हो सके।

▪️पत्र की समीक्षा और प्रासंगिकता: विशेषज्ञों और पत्रकारों की दृष्टि से

कुंवर चंद्रभान सिंह भदोरिया का यह पत्र केवल एक सुझाव नहीं, बल्कि जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित एक गंभीर और रचनात्मक हस्तक्षेप है। मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया देश के लोकतांत्रिक ढांचे की आत्मा है, और इसकी सफलता सीधे उन फील्ड कर्मचारियों की परिस्थितियों पर निर्भर करती है, जो घर-घर जाकर यह काम करते हैं।

▪️पत्र में पहचानी गई चुनौतियां:

* आदिवासी क्षेत्रों में निरंतर पलायन
* लंबी दूरी तक फैली फलिया और कठिन भौगोलिक पहुंच
* ग्रामीण इलाकों में कमजोर इंटरनेट
* 2003 के स्टेटस मिलान जैसी जटिल तकनीकी प्रक्रिया
* विद्यालयीय कार्यों के बीच BLO पर लगातार बढ़ता बोझ
इन सभी बातों को कोई भी व्यक्ति महसूस कर सकता है जो इस प्रक्रिया से जुड़ा है।

▪️समय सीमा बढ़ाने का सुझाव: पूरी तरह तार्किक

▫️जिन राज्यों में 2026 में चुनाव नहीं हैं, वहां समय सीमा बढ़ाना न केवल उचित बल्कि कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक भी है। पैनिक मोड में किया गया संशोधन न तो पूर्ण होता है और न ही विश्वसनीय।

▪️सम्मान की होड़ और दबाव की वास्तविकता

▫️पत्र के महत्वपूर्ण संकेतों में यह तथ्य शामिल है कि जिले में पहले पूरा करने वालों को सम्मानित किए जाने की परंपरा कई बार प्रशासनिक अमले में अनचाही प्रतिस्पर्धा पैदा कर देती है। ऊपर की परत से शुरू हुआ यह दबाव BLO तक पहुँचते-पहुंचते बोझ में बदल जाता है।

▪️संतुलन लाने वाले आवश्यक सुझाव

▫️पत्र में निहित संदेश कुछ स्पष्ट सुधारों की ओर इंगित करता है:
* सम्मान सामूहिक हो- BLO, सुपरवाइज़र, तहसील और जिला प्रशासन सभी के लिए
* दौड़ पहले कौन नहीं, बल्कि बेहतर कैसे की हो
* समीक्षा बैठकों में भाषा और व्यवहार की गरिमा बनी रहे
* इंटरनेट कमजोर क्षेत्रों में लचीली या ऑफलाइन व्यवस्था और
* शाम के बाद अनिवार्य फील्ड वर्क पर पुनर्विचार
ये सुधार मतदाता सूची की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से जरूरी हैं।

📍कुंवर चंद्रभान सिंह भदोरिया का यह पत्र लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मानवीय, प्रशासनिक और व्यवहारिक पक्षों को मजबूत करने का रचनात्मक आग्रह है। इसकी मूल भावना है- दबाव नहीं, सहयोग; गति नहीं, गुणवत्ता; और आदेश नहीं, सम्मान।

उम्मीद है कि मुख्य चुनाव आयुक्त इस पत्र में उठाए गए बिंदुओं पर संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ विचार करेंगे।