CM Shivraj’s 2 Years: तलवार की धार पर पूरे 2 साल चले हैं शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में काम कर रही वर्तमान मध्यप्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर लिये हैं। इन दो वर्षों का यह काल खंड संघर्ष से आरंभ हुआ और चुनौतियों से भरा रहा। लेकिन यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पूरी टीम की सफलता है कि दो वर्ष का यह कार्यकाल उपलब्धियों पर पूर्ण हो रहा है। यह उपलब्धियाँ प्रदेश के विकास की भी हैं और उनके राजनैतिक जीवन की भी।
CM Shivraj’s 2 Years Tenure-– दो वर्ष पहले जब शिवराज सरकार सत्ता में आई थी तब सारा परिदृश्य अनिश्चय और असमंजस से भरा था। चारों ओर मानों समस्याओं के पहाड़ खड़े थे। ये समस्याएं सब प्रकार की थीं। राजनैतिक भी, सामाजिक भी, प्रशासनिक भी और सबसे बड़ी कोरोना से जूझने की।
इस सरकार ने इन समस्याओं के बीच अपना पहला कदम बढ़ाया था। राजनैतिक परिस्थितियों से जूझने का भी, विकास के नये आयाम स्थापित करने की दिशा में भी, और सबसे बड़ा कोरोना संकट से जीवन को बचाने की दिशा में भी। प्रदेश और देश ही नहीं पूरा संसार कोरोना के भीषण संकट से जूझ रहा था। चारों ओर हाहाकार की गूँज थी।
यह सब सरकार और प्रशासन दोनों के लिये चुनौतियों से भरा था। जिन परिस्थितियों में शिवराज ने सत्ता संभाली थी वह किसी से छिपी नहीं है।
पुरानी सरकार दल बदल से गिरी थी और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में इस सरकार को अवसर मिला। उस दल बदल पर सबकी अपनी राय हो सकती है किंतु यह निर्विवाद है कि कोरोना से सामना करने के साथ उपचुनाव जीतकर सरकार को एक सुरक्षित बहुमत की ओर ले जाना भी सबसे कठिन चुनौती थी।
इन सबके बीच संबल योजना जैसी कुछ विकास योजनाओं के काम रुके थे प्रदेश में बिजली और सड़क के रख रखाव के अभाव में जन शिकायतें आ रहीं थीं सो अलग। उनका समाधान खोजना था। शिवराजसिंह चौहान को इन सभी दिशाओं में एक साथ काम काम करना था।
संभवतः यह संसार में किसी सरकार का यह पहला उदाहरण है कि वह अपनी पारी आरंभ करने के साथ पहला निर्णय यह ले कि सब लोग अपने काम धंधा बंद कर घरों में रहें। कोई सड़क पर न निकले। बाजार कारखाने ही नहीं विकास के पहिये को रोकने का भी आदेश दिया जांय।
कोरोनो के कारण ऐसा इस सरकार को करना पड़ा था। किसी को कुछ सूझ ही न रहा था कि कोरोना से उबरने का मार्ग क्या है। न तो औषधि थी और बचाव का कोई ठोस उपाय। वस पूरी दुनियाँ लाॅक डाउन करके नुकसान रोकने की रणनीति पर काम कर रही थी। वही काम शिवराजसिंह चौहान ने भी किया।
उन्होंने दो साल पहले 23 मार्च को अपनी चौथी पारी की शपथ ली थी और शपथ लेकर सीधे मंत्रालय पहुँचे थे। उन्होने कोरोना का जायजा लिया, प्रदेश की स्थिति समझी, विशेषज्ञों से परामर्श किया, अन्य देशों, प्रदेशों में उठाये गये कदमों का अध्ययन किया और लाक डाउन लागू करने के आदेश दिये जो ठीक अगले दिन यनि 24 मार्च 2020 से लागू हो गया।
इस लाॅक डाउन से उन लाखों लोगों के सामने भोजन का संकट भी खड़ा हो गया जो रोज मजदूरी करके अपनी रोटी कमाते थे।
सरकार अभी समाजसेवी जन संगठनों के सहयोग से इनके भोजन का प्रबंध कर ही रही थी कि अन्य प्रांतों से भी ऐसे मजदूरों का मध्यप्रदेश लौटना आरंभ हो गया था।
लाॅक डाउन अकेले मध्यप्रदेश में ही लागू नहीं हुआ था, अन्य प्रांतों में भी लागू हुआ था। इसलिये मध्यप्रदेश के जो श्रमिक बंधु अन्य प्रांतों में काम कर रहे थे वे अपने गाँव घर की ओर लौटने लगे। इनके लिये तीन प्रकार की व्यवस्था करना थी।
एक तो भोजन की, दूसरी इनके स्वास्थ्य की और तीसरे इन्हें इनके गाँव तक भेजने के लिये यातायात की, चूंकि लाॅक डाउन के चलते बसे रेल सब बंद थे। सरकार ने यह सब भी प्रबंध किये।
अन्य प्रांतों से कोई चालीस लाख मजदूर मध्यप्रदेश में अपने घरों को लौटे सरकार ने इस चुनौती का भी सामना किया और भोजन व्यवस्था के साथ सबको अपने अपने घरों को भेजने का प्रबंध भी।
इसके साथ कोरोना से जूझने के लिये अस्पतालों में दवाओं का, ऑक्सीजन का, सभी सुरक्षा उपायों के साथ चिकित्सा स्टाफ का प्रबंध, यह सब भी करना था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में काम करने वाली इस सरकार ने रात दिन एक करके यह सब किया । मानों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को एक जुनून था। किसी को अपने प्राणों अपने परिवार की परवाह नहीं। सब इस प्रदेश और प्रदेश की जनता की सेवा में जुटे रहे। कितने चिकित्सक, चिकित्सा स्टाफ, पुलिस के लोग कयी दिनों तक घर नहीं गये।
पूरी तन्मयता से सेवा में जुटी रही और यदि आज हम देश दुनियाँ के आँकड़ो के साथ मध्यप्रदेश की तुलना करें तो हम देखेंगे कि सरकार ने जिस सतर्कता और सूझबूझ से कोरोना संकट का सामना किया वह अद्वितीय रहा। इसकी सराहना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी की।
अन्य प्रदेशों के विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन भी लिया। सरकार के सामने दूसरी बड़ी चुनौती थी कृषि उत्पादनों की समुचित व्यवस्था। वह मार्च का महीना था रबी की फसल मंडियों में आने लगी थी। फरवरी से अप्रैल तक के तीन माह खेतों की कटाई से लेकर मंडी की व्यवस्था के होते हैं।
इसी कालखंड में कोरोना आया। सरकार के सामने किसान बंधुओं में धैर्य और विश्वास बढ़ाने का दायित्व भी था ताकि किसान चिंता मुक्त रह सकें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सकारात्मक आव्हान सरकार का पूरा अमला यदि जोखिम उठा कर किसानों की सेवा में लगा और पूरे देश ने देखा कि अवसर मिलते ही मध्यप्रदेश सरकार किसान की फसल के मंडियों तक आने का समुचित प्रबंध किया जिससे अर्थ व्यवस्था पटरी पर आई।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में काम करने वाली इस सरकार ने विकास की दिशा में भी दो मोर्चों पर एक साथ काम किया। प्रदेश सरकार की अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन की गति तो बढ़ी ही, साथ ही केन्द्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी स्वयं एक कीर्तिमान बनाया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके मंत्री मंडल की टीम और समूचे अधिकारी वर्ग ने अपने अपने स्तर पर केन्द्र से एक बेहतर तालमेल बनाया। अधिकतम लाभ लिया। विशेष कर प्रधानमंत्री आवास योजना, हाई वे निर्माण, स्मार्ट सिटी निर्माण और मैट्रो के काम की गति बढ़ाई गई। इन सबका सीधा लाभ आज समाज को मिल रहा है।
नि:संदेह यह सरकार के काम और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की साख ही है कि उपचुनावों में भारी सफलता लेकर सरकार को पूर्ण बहुमत की स्थिति बन गयी।
सरकार किसानों के हित में निरंतर काम करती रही, फसल बीमा योजना, केन्द्र सरकार की उज्ज्वला योजना संबल योजना समय पर खाद बीज और बिजली की उपलब्धता, प्रत्येक गाँव को सड़क से जोड़ने, कृषि को लाभ का धंधा बनाने की योजना का ही यह लाभ हुआ कि मध्यप्रदेश में किसान आँदोलन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा जिससे मध्यप्रदेश ने कृषि उत्पादन में भी नया कीर्तिमान स्थापित किया।
नौजवानों को स्वरोजगार की दिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वरोजगार मेलों का आयोजन किया। यह प्रयास किया कि मध्यप्रदेश के युवा दूसरे की नौकरी करने की बजाय स्वयं नौकरी देने वाले बने।
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मध्यप्रदेश में एक बड़ी समस्या चिकित्सकों की कमी की रही है। इसका कारण मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेज की कमी रही है। मध्यप्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिला मुख्यालय और बड़े नगरों में मेडिकल कालेज आरंभ करने की घोषणा की।
इसके अंतर्गत इन दो वर्षों में तेरह जिलों में काम आरंभ हो गया इसके साथ मध्यप्रदेश के मेडिकल कालेजों में एक हजार सीट की वृद्धि की है। बढ़ते विकास और जीवन की गति से अपराध भी बढ़े लेकिन छोटे छोटे विवादों से लंबी अदालती प्रक्रिया से आरोपियों को बल मिलता है।
इसके समाधान के लिये इन्ही दो वर्षों के भीतर सरकार ने भोपाल और इंदौर जैसे महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की। अपराध के नियंत्रण के लिये आरोपियों को सबक देने के लिये बाइस नगरों में उन शातिर अपराधियों के घरों पर बुल्डोजर चले जिन्होंने अमानवीय अपराध किया या प्रदेश की कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश की।
इस सरकार की प्राथमिकता में जन हित सर्वोपरि रहा। जन हित काम समय पर हो इसके लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टर कमिश्नर कांफ्रेंस के आयोजन किये तथा लंबित प्रकरणों के शीघ्र समाधान के आदेश दिये जाने अधिकारियों की लापरवाही सामने आई उन्हें निलंबित करने या अन्य विभागीय कार्यवाही करने के आदेश दिये।
यही नीति उन्होंने समाधान ऑन लाइन और मुख्यमंत्री हेल्प लाइन के लिये भी अपनाई। जनहित के कामों में ढिलाई करने वाला कोई अफसर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बर्दाश्त नहीं होता। शिकायत मिलने पर और संतोषजनक उत्तर न मिलने पर शिवराज सिंह चौहान ने मौके पर ही कलेक्टर और एस पी स्तर के अधिकारियों के भी स्थानांतरण आदेश दिये।
इस सरकार ने कुछ और अनुकरणीय पहल की है एक तो गाँव को आत्म निर्भर बनाने की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्म निर्भर भारत का आव्हान किया है।
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भारत में न्यूनतम इकाई गाँव हैं। हमने गाँव की महत्ता कोरोना काल में भी देखी। इसलिये यदि गाँव आत्म निर्भर बने तो प्रदेश आत्मनिर्भर बनेगा और प्रदेश आत्मनिर्भर तो देश आत्म निर्भर बनेगा।
शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में काम करने वाली इस सरकार ने गाँव को आत्म निर्भर बनाने का अभियान छेड़ा है। गाँव के निर्णय गाँव में हों और गाँव की योजना गाँव में बने।
यह लागू करने के साथ ही एक नया प्रयोग यह किया कि इस वर्ष बजट के लिये न केवल जन प्रतिनिधियों से उनके क्षेत्र की प्राथमिकता जानी गयी अपितु जन सामान्य से भी प्रदेश के विकास के लिये सुझाव लिये गये। इन सुझावों के बाद विशेषज्ञों से तकनीकी स्वरूप समझकर ही इस वर्ष बजट लाया गया।
यह मध्यप्रदेश सरकार की शिक्षा और जागरूकता का ही परिणाम है कि मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर घटी और कन्या का अनुपात बढ़ा है।
अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अप्रवेशी छात्राओं को हर हालत में स्कूल से जोड़ने की घोषणा की है और घर घर संपर्क का अभियान आरंभ हुआ।
इन दो वर्षों में इस सरकार ने हर वर्ग के लिये, हर क्षेत्र के लिये विकास योजनाओं की शुरुआत की है। विकास तभी सार्थक होगा जब प्रकृति का संतुलन हो और प्रकृति के संतुलन के वृक्ष और जल संरक्षण आवश्यक है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले एक वर्ष से प्रति दिन एक पौधा लगाने का अभियान आरंभ किया और अपने जन्मदिन को पौधारोपण उत्सव के रूप में मनाया।
इससे प्रभावित होकर मध्यप्रदेश का जन सामान्य में वृक्षारोपण के प्रति रुझान बढ़ा और विश्व कीर्तिमान बना।
साँस्कृतिक विचार व्यक्ति में सकारात्मक और निर्माणात्मक भाव उत्पन्न करते हैं। इसके लिए शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में दीप जलाने का आव्हान किया। यह गिनीज बुक में रिकार्ड बना।
विकास में बजट बाधा न बने यह घोषणा सरकार ने पहले दिन की थी जिस पर वह अब तक चल रही है। मध्यप्रदेश में विकास ने एक नयी करवट ली है। नये कीर्तिमान बनाये हैं।
यह सब संभव हो सका है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संकल्प शक्ति सक्रियता और समर्पण से संभव हो सका। इन दो वर्षों में शिवराज सिंह चौहान ने दिन रात काम किया उन्होंने अपने स्वास्थ्य की भी परवाह नहीं की।
उन्हें दो बार कोरोना का अटैक हुआ। कोरोना के कारण उन्होंने एकांत वास तो किया लेकिन चुप न रहे। उनके साथ में मोबाइल रहा। लेपटाप रहा विकास कार्यों पर ही नहीं कोरोना के नियंत्रण पर भी आवश्यक निर्देश दिये।
आज प्रदेश विकास की नयी अंगड़ाई ले रहा है। उपलब्धियों के कीर्तिमान बना रहा है तो इसका श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पूरी सरकार को है। जिन विषम परिस्थितियों में शिवराज सरकार अस्तित्व में आई वह असाधारण थी।
राजनैतिक, प्रशासनिक आर्थिक और सामाजिक सब प्रकार की चुनौतियों का सामना किया। यह सब हुआ उप चुनाव जीत कर बहुमत बनाने की लटकती तलवार के साये में। निश्चित रूप से यह पूरे दो साल मानों तलवार कि धार पर चलें हैं शिवराज। उनके जरा से असंतुलन से सब गड़बड़ हो जाता।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसा संतुलन बनाया, विकास की ऐसी गति पकड़ी कि आज न केवल विकास की ऊँचाई अपितु राजनैतिक चुनौतियों के बीच भी सरकार एक अति सुविधाजनक स्थिति में आ गयी है जो भविष्य के लिये भी सुखद स्थिति का मार्ग बन गया है।