Chambal Choupal: हत्या के बाद खुलासा, पुलिस ने आरोपी को गवाह कैसे बना दिया!

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 30-31 अक्टूबर 2021 की दरम्यानी रात भिंड जिले के देहात थाना क्षेत्र के शास्त्री कॉलोनी में एक व्यक्ति की संदिग्ध परिस्थितियों में करंट लगने से मौत हो जाने के बाद परिजनों द्वारा हत्या की बात कहते हुए जांच करने के लिए पुलिस को आवेदन दिया गया था। आवेदन के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मामले में बड़ा खुलासा किया और मृतक की पत्नी को हत्या का आरोपी बताते हुए उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। देहात थाना प्रभारी रामबाबू यादव द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा किया। लेकिन, इसके बाद मृतक युवक के परिजनों ने देहात थाना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों द्वारा मृतक पवन तिवारी की मौत के बाद आवेदन देकर मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग की गई थी।

परिजनों ने सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को उपलब्ध करके थे। अब उन्होंने मीडिया के सामने सीसीटीवी फुटेज जारी कर कहा है के उनकी बहू मीना का वैभव गुप्ता उर्फ मोनू नामक युवक के साथ अफेयर चल रहा था और वह अक्सर उसके बेटे के घर पर आया जाया करता था। वारदात वाले दिन भी वैभव रात को 10:08 पर उसके घर पहुंचा और देर रात 2:00 बजे के बाद वह घर से निकलकर सड़क से जाता हुआ सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। वहीं आवेदन में लिखा गया है कि मृतक की मासूम बच्ची ने भी बोला है कि मोनू नाम के अंकल उनके घर आते जाते थे जो उसको टॉफी देते थे। लेकिन पुलिस द्वारा युवक को केवल गवाह बनाया गया है जबकि जबकि समय के मुताबिक वह निश्चित तौर पर हत्या में शामिल था।

अब चर्चा जोरों पर चल रही है कि पुलिस द्वारा युवक को आखिर किस आधार पर गवाह बनाया गया जो कि संभवतः हत्या में शामिल रहा होगा। क्योंकि, कि एक हट्टे-कट्टे युवक की हत्या एक अकेली महिला नहीं कर सकती। लोगों का तो यहां तक कहना है कि जिस युवक को अभी गवाह बनाया गया, वह आगे चलकर कोर्ट में अपने बयान बदल देगा और महिला भी बाहर आ जायेगी। ऐसे में मृतक युवक के पिता का कहना है कि पुलिस द्वारा मामले में आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। पीड़ित पक्ष के आरोप तो यहां तक हैं कि देहात पुलिस द्वारा उनपर मामले को तूल ना देने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है।

दो मंत्रियों ने इसलिए की उमा भारती की जय जयकार
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती रविवार को भिंड जिले के महंगा विधानसभा क्षेत्र पहुंची। वे यहाँ उनके समाज की वीरांगना जिन्होंने देश की आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया रानी अवंती बाई लोधी की प्रतिमा के अनावरण के लिए पहुंची। यहां पर जिले से भाजपा के दो मंत्री उमा भारती की जय जयकार करते नजर आए। यह जय जयकार इसलिए की गई कि दोनों ही के विधानसभा क्षेत्र में एक बहुत बड़ा हिस्सा लोधी वोटों का भी आता है। ऐसे में यहां पर उमा भारती का अच्छा खासा हस्तक्षेप है। लोधी वोट बटोरने के लिए यहां के नेता अकसर उमा भारती जी को साधते नजर आते हैं।
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भाजयुमो जिला अध्यक्ष की ताजपोशी, सिफारिश हावी!
भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने युवा मोर्चा के भिण्ड जिलाध्यक्ष का पद विक्रांत सिंह कुशवाह को दे दिया। लेकिन विक्रांत की ताजपोशी कईयों को हजम नहीं हो रही। विक्रांत के पास न तो जनाधार है न युवाओं की टोली। हालात यह है कि विक्रांत अपने इक्का दुक्का साथियों के साथ ही किसी भी कार्यक्रम में पहुंचते हैं। जबकि, इससे इतर भाजपा में कई युवा ऐसे हैं जो विक्रांत से ज्यादा काबिलियत और युवाओं का जनाधार रखते हैं। लेकिन, राजनीति में कब क्या हो जाए वह समझ से परे रहता है।

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बताया जा रहा कि युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष का पद ब्राह्मण खेमे में से किसी को दिया जाना था। क्योंकि, भाजपा जिला अध्यक्ष का पद गुर्जर के पास है। लेकिन, सूत्रों की मानें तो जो नाम चल रहे थे उनमें ब्राह्मण नेता ही अड़चन डाल रहे थे। इसके साथ ही भाजपा जिला अध्यक्ष रह चुके विक्रांत के पिता भी लंबे समय से संगठन से जुड़े थे। ऐसे में विक्रांत को जिला अध्यक्ष का पद दे दिया। जबकि, विक्रांत संगठन के लिए कभी ज्यादा कुछ करते नजर नहीं आए। काबिलियत की बात की जाए तो विश्वप्रताप सिंह विष्णु भाजयुमो जिला अध्यक्ष पद के लिए सबसे काबिल युवा थे, जो हर कार्यक्रम में युवाओं की बड़ी टोली साथ लेकर पहुंचते थे। इसके साथ ही सुदीप सिंह भदौरिया एवं अर्पित मुदगल भी लाइन में थे। लेकिन, इन दोनों को अब युवा मोर्चा के हिसाब से ओवर एज बता दिया गया है।

भाजयुमो जिलाध्यक्ष चयन में राष्ट्रीय स्तर के नेता लालसिंह आर्य का पलड़ा भारी रहा और विक्रांत को उनका खास होने का फायदा मिल गया। लेकिन, इससे अन्य कर्मठ युवा कार्यकर्ता जरूर हताश हुए हैं। भाजपा से ऐसी उम्मीद नहीं थी जो काम को तवज्जो ना देकर संबंधों को तवज्जो दी। खैर देखने वाली बात होगी कि विक्रांत अपनी पार्टी के लिए क्या कुछ कर पाते हैं। क्योंकि, जिला अध्यक्ष बनने के बाद भी विक्रांत अकेले ही घूमते नजर आते हैं। जबकि पद न होने के बावजूद विष्णु राजावत विक्रांत से ज्यादा सक्रिय हैं। उन्होंने हाल ही में आरएसएस के कार्यकर्ताओं को ‘द कश्मीर फाइल्स’ फ़िल्म दिखाने के लिए पहल भी की।
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‘द कश्मीर फाइल्स’ में सांसद की किरकिरी होते-होते बची
भिंड-दतिया लोकसभा क्षेत्र से सांसद संध्या राय वैसे तो क्षेत्र में कम ही दिखाई देती हैं। वह ज्यादातर या तो दिल्ली में मिलती हैं या फिर अपने गृह निवास अम्बाह। भिंड तो उनके लिए केवल घूमने-फिरने की जगह जैसी ही दिखाई देती है वह भी शायद मजबूरी में या पार्टी के दबाव में। जहां पर कुछ समय के लिए आती हैं और फिर वापस अपने मुकाम पर पहुंच जाती हैं।

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लेकिन कश्मीरी पंडितों के ऊपर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में सांसद अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने से नहीं चूकीं। उन्होंने महिलाओं को एक दिन 3 से 6 बजे का शो फ्री में दिखवाया। लेकिन, जो जानकारी मिली है उसके अनुसार सांसद ने बिना सिनेमा हॉल को पहले से बुक किए ही महिलाओं को पहले सूचना भिजवा दी। बाद में जब बात की तो पता चला कि शो तो आरएसएस के लिए बुक है। ऐसे में सांसद सांसत में आ गईं। अब भला आरएसएस के लोगों से वह कैसे बात करतीं। लेकिन, इधर-उधर कॉल लगाकर काम चल गया और महिलाओं का सवाल था इसलिए उन्हें प्राथमिकता देते हुए आरएसएस ने अगले दिन शो देखा। फ़िल्म के दौरान भाषण बाजी का दौर भी चला और सांसद भी भाषणबाजी करने से नहीं चूकीं। अब यह अलग बात है कि कितनी महिलाओं ने उनके भाषण सुने होंगे कितनी ने नहीं।

कनिष्ठ अधिकारी करेगा वरिष्ठ अधिकारी की जांच
भिंड भिण्ड जिले में हुए ‘रेडी टू ईट’ घोटाले की शिकायत लोकायुक्त में होने के बाद संयुक्त संचालक के द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी अब्दुल गफ्फार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया। लेकिन, जिला कार्यक्रम अधिकारी की जांच के लिए गठित जांच समिति पर ही सवाल खड़े होने लगे। क्योंकि, कभी भी जांच की जाती है तो वरिष्ठ अधिकारी को जांच सौंपी जाती है जिससे वह बिना दबाव के जांच कर सके। लेकिन, यहां तो जिला कार्यक्रम अधिकारी अब्दुल गफ्फार के खिलाफ कोई शिकायत की जांच का जिम्मा उनसे निचले स्तर के कर्मचारियों को सौंप दिया गया।

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ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जिला कार्यक्रम अधिकारी को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा की गई अनियमितता की जांच करने के लिए बनाई गई टीम में परियोजना अधिकारी और सुपरवाइजर को शामिल किया गया, जो अपने से वरिष्ठ अधिकारी की जाँच करेंगे। अब भला जो कर्मचारी अधिकारी को सैल्यूट करता हो, उसकी जी हुजूरी में रहता हो वह वरिष्ठ अधिकारी की जांच निष्पक्ष कैसे कर सकता है।

भिंड जिले में कोरोना काल के दौरान ‘रेडी टू ईट’ में जमकर अनियमितता की शिकायतें आईं थी। जिस पर विधानसभा में भी प्रश्न लगाए गए थे और लोकायुक्त में भी शिकायत की गई थी। लोकायुक्त में शिकायत होने के बाद संयुक्त संचालक डीके सिद्धार्थ द्वारा भिंड के जिला कार्यक्रम अधिकारी अब्दुल गफ्फार के द्वारा की गयी अनियमितता की जांच करने के लिए जो दल बनाया गया, उसमें परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षकों को शामिल किया गया है।

 

ऐसे में पूरे प्रकरण में संयुक्त संचालक की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ रही है। क्योंकि, जब भी किसी गंभीर अनियमितता की शिकायत की जांच की जाती है, तो सबसे पहले उस शिकायत से संबंधित रिकॉर्ड जब्त किया जाता है। लेकिन, संयुक्त संचालक जिले के सभी परियोजना अधिकारियों को पत्र लिखकर रिकॉर्ड अपने कार्यालय में मंगवा रहे हैं। इसमें सोचने वाली बात तो ये है कि जब रिकॉर्ड वरिष्ठ कार्यालय में भेजा जाएगा, तो वो दुरुस्त करके ही भेजा जाएगा। ऐसे में यही लग रहा है कि जांच के नाम पर संयुक्त संचालक द्वारा भी सिर्फ खानापूर्ति करके जिला कार्यक्रम अधिकारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

मामले में कांग्रेस के जिला प्रवक्ता डॉ अनिल भारद्वाज ने भी सवाल उठाए हुए ट्वीट करते हुए लिखा है कि आखिर एक भ्रष्टाचार के आरोपी से डीडीओ का प्रभार वापस क्यों नहीं लिया जा रहा। भ्रष्ट अधिकारी को बचाने की कोशिश आखिर क्यों की जा रही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने तो यहां तक लिख दिया है कि भाजपा शासन में भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार।

खेल के सामान में भ्रष्टाचार करने वालों की अब खैर नहीं, कलेक्टर ने अपनाया सख्त रवैया

भिंड जिले में विभिन्न सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री बांटने में लाखों रुपये का भ्रष्टाचार किया गया है! इस आशय की खबर एक प्रतिष्ठित अखबार द्वारा छापी गई। खबर छपते ही कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस के संज्ञान में मामला आया और उन्होंने रविवार को ही अति आवश्यक आदेश जारी करते हुए सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि खेल सामग्री वितरण से संबंधित अभिलेखों को तत्काल जप्त कर अति शीघ्र जांच कर रिपोर्ट दी जाए। कलेक्टर द्वारा अनुविभागीय अधिकारियों की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर जांच कर 3 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है।

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बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को कलेक्टर ने बेहद ही गंभीरता से लिया है। कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस का कहना है कि बच्चे देश का भविष्य हैं, ऐसे में अगर उन को दी जाने वाली सामग्री में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार या अन्य अनियमितता सामने आती हैं तो इस भ्रष्टाचार में संलिप्त सभी आरोपियों चाहे वह संबंधित विभाग का जिलाधिकारी ही क्यों ना हो के खिलाफ नियमानुसार कठोरतम कार्यवाही की जाएगी।
कलेक्टर साहब ने तो जांच के आदेश तत्काल दे दिए लेकिन अब सवाल यह है कि अनुविभागीय अधिकारी जांच ठीक तरह से करते हैं या नहीं। या फिर दबाव में हर बार की तरह इस बार भी जांच के नाम पर खानापूर्ति होकर रह जाएगी? हालांकि कलेक्टर साहब के तेवर देख कर तो यही लग रहा है कि इस बार जांच अंजाम तक पहुंचेगी और दोषियों पर कठोरतम कार्यवाही की जाएगी।