Effect of strictness of SEBI : रूचि सोया के SMS मामले में FIR दर्ज, निवेशकों ने पैसा निकाला 

'बाबा जी' और 'भैया जी' के बीच दोस्ती की लम्बी दास्तान 

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कॉरपोरेट विशेषज्ञ बसंत पाल की ख़ास खबर 

Indore; पतंजलि ग्रुप की कंपनी रुचि सोया के 4,300 करोड़ रुपए के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) के विवादास्पद SMS के खुलासे के बाद नियामक संस्था सिक्योरिटीज़ एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) हरकत में आई और कुछ सख्ती की। इसके बाद निवेशकों के बाहर होने के प्रस्ताव का असर पड़ा। कई निवेशकों ने रुचि सोया के FPO से पैसा वापस ले लिया।

BSE पर सुबह करीब पौने 11 बजे तक कुल आवेदन (मांग) के आंकड़े सोमवार को 3.6 गुना की तुलना में 2.58 गुना तक घट गए। ‘रुचि सोया’ को बाबा रामदेव के स्वामित्व वाली कंपनी समूह ‘पतंजलि’ ने खरीदा है। BSE के आंकड़ों के अनुसार कुल रिटेल मांग पिछले दिन के 0.90 गुना से गिरकर 0.39 गुना रह गई। गैर-संस्थागत निवेशकों (NII) के लिए आरक्षित कोटे के पिछले दिन के 11.75 गुना की तुलना में 9 गुना आवेदन रह गए। वहीं कर्मचारियों के लिए आरक्षित कोटे में भी निवेशकों की धन निकासी देखी गई। यह पिछले सत्र के 7.76 गुना की तुलना में 4.56 गुना रह गए। इस बीच योग्य संस्थागत बोलीदाताओं (QIB) का कोटा पिछले सत्र में 2.2 गुना के मुकाबले 1.6 गुना रह गया है।

SEBI का आदेश
रुचि सोया का यह इश्यू बीते सोमवार को बंद हो गया और कोई नया आवेदन स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इस बीच, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI ) ने रुचि सोया को ‘अनचाहे एसएमएस’ के प्रचलन का हवाला देते हुए, फर्म के FPO की सदस्यता लेने वाले एंकर निवेशकों के अलावा अन्य निवेशकों को अपना आवेदन वापस लेने के लिए बुधवार तक एक विंडो देने का निर्देश दिया है।

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मैसेज में मिली गड़बड़ी
पूंजी बाजार नियामक SEBI ने कहा कि मैसेज का कंटेंट ‘भ्रामक और धोखाधड़ी’ वाला लग रहा और नियमों का पालन नहीं करता। इस पर कंपनी ने कहा कि मैसेज हमारी कंपनी या हमारे किसी निदेशक, प्रमोटर, प्रमोटर समूह या समूह की कंपनियों द्वारा जारी नहीं किया गया था। ‘पतंजलि समूह’ की कंपनी रुचि सोया ने कहा कि FPO के बारे में अवांछित मैसेज (SMS) के प्रसार के खिलाफ जांच करने के लिए एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।

बाबाजी की कंपनी चला रहे है भैया जी
विवादों से पुराना नाता रखने वाली रुचि सोया कुछ समय पहले तक इंदौर के ‘शाहरा ग्रुप’ की कंपनी हुआ करती थीं। पर, वक़्त के साथ हालात बदलते गए। एक समय जिस रुचि सोया का दुनियाभर के खाद्य तेल- तिलहन कारोबार में डंका बजता था, वह ‘पतंजलि’ की मिल्कियत हो गई। दक्षिण एशिया के तेल तिलहन बाजार में खाद्य तेलों के भावों की तेजी-मंदी भैया जी (कैलाश शाहरा) की मर्जी से तय होती थी। सूत्रों की मानें तो रुचि सोया को बाबा रामदेव के पतंजलि ग्रुप ने भले ही ख़रीद लिया हो, पर असल में कंपनी को अब भी भैया जी और उनकी की टीम ही चला रही है। रूचि सोया ने पिछले दिनों जिस तरह से खाद्य तेल बाजार पर अपनी पकड़ एक बार फिर बनाई, उससे तो यही स्पष्ट हो रहा है।

एसएमएस मामले से भी खुलासा
जिस तरह से FPO मामले में इश्यू के आरंभिक तौर पर फ्लॉप होने के बाद पर्दे के पीछे से सारा खेल खेला गया, उससे भी यह स्पष्ट हो गया कि ‘भैया जी’ कहीं न कहीं ‘बाबा जी’ के बिजनेस को बढ़ाने में मदद कर रहे है।

पुराना नाता है ‘बाबा जी’ और ‘भैया जी’ का
बाबा जी और भैया जी की मित्रता बहुत पुरानी है। बाबा जी जब योग में तल्लीन थे और अपने आपको ब्रांड बनाने में लगे थे, तब एक इंदौरी उद्योगपति उनके हरिद्वार आश्रम में पहुंचे और उनसे इंदौर में योग कार्यक्रम करने का अनुरोध किया। बाबा जी के निमंत्रण स्वीकार करते ही भैया जी को पता चला कि उनके प्रतिद्वंद्वी कारोबारी ये सब करवा रहे है, तो भैया जी रातों रात हरिद्वार पहुंच गए और पूरा आयोजन निरस्त करवा दिया। अब बाबाजी का कार्यक्रम करवाने की ज़िम्मेदारी ‘भैया जी’ ने अपने हाथ में ली। इंदौर के नेहरू स्टेडियम में भव्य आयोजन किया गया। पूरे एक सप्ताह के इस योग कैंप का टिकट रखा गया 500 रूपए प्रति व्यक्ति। कहा जाता है यही से बाबा जी को लग गया कि 50 रुपए प्रति व्यक्ति के आयोजन को 500 रुपए करना उनके लिए संभव नहीं था। यहीं से दोनों की दोस्ती और गहरी हो गई। भैया जी के सानिध्य में बाबा जी ने उनके घर पर रहकर ही व्यापार का ककहरा भी सीखा। ये क़िस्सा है 90 के दशक का।

सत्ता बदलते ही ‘भैया जी’ संकट में घिरते गए
केंद्र में यूपीए सरकार के दस साल के शासनकाल में रुचि ग्रुप का कारोबार भरपूर फला फूला । पर, एनडीए के सत्ता में आने के बाद रुचि ग्रुप के चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी अडानी समूह ने खाद्य तेल बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत करना प्रारंभ किया। रूचि ग्रुप की मुश्किलें बढ़ने लगी। धीरे-धीरे हालात बदल गए। अडानी समूह ने रुचि ग्रुप पर कब्जा कर लिया। ये बात भैया जी के गले नहीं उतर रही थी। फिर क्या रातों रात पतंजलि ग्रुप ने कानूनी लड़ाई की तैयारी कि और एक ही सत्ता के करीबी दो उद्योगपतियों की लड़ाई को कानूनी जामा पहनाया गया और एक बार फिर भैयाजी की कंपनी भैयाजी के बाएं हाथ से दाएँ हाथ में आ गई।

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