राजनैतिक पार्टियाँ भी बंगलाखोरी मे पीछे नहीं.?

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श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट

दो खबरें एक साथ आई हैं,दोनो दिल्ली के पाश इलाकों मे नेताओं और पार्टियों द्वारा सरकारी बंगलों पर अवैध कब्जे से ताल्लुक रखती हैं.एक के मुताबिक केंद्र सरकार ने काँग्रेस को चाणक्यपुरी का सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया है.नोटिस के मुताबिक बंगला पार्टी ऑफिस के लिए दिया गया था पर इसमे राज्यसभा सदस्य राजीव गौड़ा रह रहे हैं.उधर स्वर्गीय रामविलास पासवान के चश्मो चिराग,जिनका नाम भी चिराग है,बंगला खाली कराने के बाद बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले की तर्ज पर रुखसत हुए.सिर्फ सांसद होने से चिराग को इस बड़े बंगले की पात्रता नहीं थी.रेलमंत्री को आवंटित होने पर पिछले साल बंगला खाली करने का नोटिस भी उन्हें दिया जा चुका था.

नोटिस मिलने पर चिराग फ्लैट मे चले गए पर बंगला खाली ना केर वहां पिताश्री की मूर्ति स्थापित कर दी.रामविलासजी की पत्नी ने हाईकोर्ट मे याचिका भी लगाई थी जो खारिज हो गई.ऐसा ही हथकंडा चौधरी चरणसिंह के पुत्र स्वर्गीय अजितसिंह ने अपनाया था.वे आधा दर्जन बार सांसद बने और केंद्रीय मंत्री रहे पर स्मारक बनाने की याद नहीं आई.जैसे ही चुनाव हारे,मंत्री पद गया तो बंगला खाली करने का नोटिस मिलने पर चौधरीजी का स्मारक बनाने का अभियान छेड़ दिया,पर बंगला खाली करना पड़ा.मायावती ने मनमोहन सरकार को समर्थन के बदले लुटियंस इलाके मे एक दूसरे से जुड़े कई बंगलों पर कब्जा कर लिया जो उनके,पार्टी और बहुजन प्रेरणा मंच के नाम पर आवंटित हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब उत्तरप्रदेश मे सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले कराए जाने लगे तो मायावती ने बंगले पर कांशीराम विश्रामस्थल का बोर्ड लटका दिया था.इस आदेश के बाद भी मध्यप्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले पर काबिज हैं.जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मनमोहनसिंह की सरकार ने बंगलों पर अवैध कब्जे को गैरजमानती अपराध बनाने से इंकार किया तब अदालत को कहना पड़ा की भगवान भी धरती पर अवतरित हो जाएँ तो वो भी इस देश को नहीं बदल पाएंगे.!यह वह दौर था जब काँग्रेस कोषाध्यक्ष स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के नाम पर नौ बंगले आवंटित थे.!