भोपाल: प्रदेश में कोरोना काल में तेज हुए आदिवासी, वनवासी के धर्मांतरण की जानकारी के बाद भी इस पर अपेक्षित रोक नहीं लगाई जा सकी है और इसाई मिशनरी प्रलोभन के जरिये इस वर्ग का धर्म बदलवाने का काम कर रहे हैं।
इसके साथ ही प्रदेश में सरकार द्वारा आदिवासियों और वनवासियों के लिए शुरू की गई योजनाओं का लाभ दूरस्थ गांवों में अन्त्योदय तक अभी भी नहीं पहुंच पा रहा है।
इसलिए इस तरफ और भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है तभी वास्तव में आने वाले चुनाव में भाजपा की दस प्रतिशत वोट बढ़ाने की नीति असरकारी हो सकेगी।
यह मसला मंगलवार को राजधानी के समाज सेवा न्यास में हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और सहयोगी संगठनों की समन्वय बैठक में उठा।
इस बैठक में संघ के प्रांत प्रचारक दीपक विस्पुते के अलावा किसान संघ, मजदूर संघ, विहिप, अभाविप, विद्या भारती, आरोग्य भारती, वनवासी-आदिवासी संघ समेत अन्य संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।
इस समन्वय बैठक में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी शामिल होने पहुंचे।
बताया गया कि इस वार्षिक समन्वय बैठक में सबसे अधिक फोकस वनवासियों और आदिवासियों को लेकर संघ और संगठनों द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम ही रहे।
संघ के पदाधिकारियों ने भाजपा को ग्रामीण इलाकों में सरकार और संगठन की वर्किंग से संबंधित फीडबैक से भी अवगत कराया। साथ ही संघ और संगठनों की पिछली बैठक में तय किए गए कामों का फीडबैक भी लिया गया।
मार्च में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में लिए गए निर्णय और कार्ययोजना से भी संघ पदाधिकारियों ने संगठनों को अवगत कराया।
दंगों को रोकने समरसता पर जोर
समन्वय बैठक में पिछले दिनों खरगोन और बड़वानी के सेंधवा में हुए दंगों की आंच भी पहुंची। इस पर संगठनों के फीडबैक पर चर्चा हुई और आने वाले दिनों में किए जाने वाले उपायों पर विचार किया गया।
साथ ही किसान, मजदूर वर्ग के लिए संघ के संगठनों द्वारा चलाए ज रहे कार्यक्रम और सरकार के सहयोग पर भी बात हुई।
सूत्रों के कहना है कि इस बैठक में आने वाले दिनों में पूर्णकालिकों की तैनाती के साथ उनकी फीडबैक सेवाएं विधानसभा स्तर पर लिए जाने पर भी विचार हुआ है।
यह बैठक आज दिन भर चलेगी जिसमें अन्य एजेंडों पर भी विचार किया जाएगा।