1- IAS जिसे युवावस्था में MLA का टिकट Offer हुआ!

बात चौंकाने वाली भी है और अविश्वसनीय भी लग सकती है लेकिन है 100 फ़ीसदी सही।

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An IAS offered MLA Ticket

मध्यप्रदेश में आज एक ऐसे IAS अधिकारी भी हैं जिन्हें उनके छात्र जीवन की लोकप्रियता के कारण 18 वर्ष की उम्र में ही MLA का टिकट ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने बहुत ही विनम्रता से मना कर दिया था क्योंकि उनका मन तो व्यवस्था से जूझने का था। वह तो पत्रकार और कवि बनने का सपना देखता था पर नियति ने उसे व्यवस्था का अंग बना दिया।

बात दरअसल कोई तीन दशक पहले की है जब गुना जिले के रुठियाई में राष्ट्रीय सेवा योजना के राज्यस्तरीय शिविर में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया शिविर में एक युवा छात्र का भाषण सुनकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जाते समय NSS के तत्कालीन राज्य समन्वयक डॉ आई एम एम गोयल को अलग से बुलाकर कुछ कहा।

डॉक्टर गोयल ने उस युवा छात्र को बुलाकर बधाई दी और शाबाशी देते हुए कहा महाराज बहुत खुश हैं, तुम उनसे जाकर मिल लेना। तुम्हारा भविष्य उज्जवल है। छात्र ने विनम्रता से मना कर दिया क्योंकि उसके मन में तो एक अलग ही सपना हिलौरे ले रहा था और वह इन राजनीतिक झमेलों के बजाय प्राशासनिक सेवाओं की तैयारी में जुट गया और 1988 में पहले प्रयास में ही MP PSC का टॉपर बना।

IAS राजीव शर्मा  

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हम यहां बात कर रहे हैं वरिष्ठ IAS और वर्तमान में शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा की।

भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2003 बैच के अधिकारी राजीव शर्मा को जन सामान्य की पीड़ा को निकट से जानने समझने का गुण और राहत देने के नवाचारों के लिये जाना जाता है। अन्याय से भिड़ने के चक्कर में वे अपने सेवाकाल के दौरान मध्यप्रदेश के हर अंचल का चक्कर काट चुके हैं।

भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के रिसोर्स पर्सन के रूप में वे देश भर में भेजे गए।फार्मेसी काउंसिल को भ्रष्टाचार से मुक्त कर वे पहली बार चर्चा में आये थे, हालाँकि SDM के रूप में वे बहुत लोकप्रिय और सख्त थे।जिला पंचायत के CEO रहते हुए उन्होंने मण्डला के हर ग्रामीण परिवार को स्व सहायता समूह से और हर गाँव को सड़क से जोड़ दिया था।

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शाजापुर कलेक्टर के कार्यकाल में किसानों और विद्यार्थियों के बीच उन्हें जनता का कलेक्टर कहा जाता था।उन्होंने चीलर नदी के उद्धार का कार्य किया।

IAS राजीव शर्मा

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कोरोना कॉल में शहडोल के संभागीय कमिश्नर के रूप में उनकी पदस्थापना एक चुनौती के रूप में सामने थी। कोरोना से मचे हाहाकार को शान्त चित्त से फैसले कर अपनी प्रशासनिक कुशलता को सिद्ध किया। यही कारण है कि कोराना से निपटने के मामलों में शहडोल संभाग के कई जिले और ब्लॉक प्रदेश में अव्वल रहे।

बारिश के पहले शहडोल संभाग के सभी शहरी इलाकों में साफ़ सफाई, पेयजल, स्ट्रीट लाइट में सुधार के लिये उनका नवाचार नगर सेवा अभियान के रूप में राहत भरा रहा. राजस्व विभाग में कसावट के लिये राजस्व सेवा अभियान, कुपोषण से मुक्ति के लिये संवेदना अभियान में संभाग की शासकीय मशीनरी रूचि पूर्वक लगी है। हर गाँव में फुटबाल क्लब गठित कर एक नई खेल क्रान्ति की नींव उन्होंने रख दी है।

एक लेखक के तौर पर उन्होंने गहन शोध कर विद्रोही संन्यासी उपन्यास लिखकर आदि शंकराचार्य जी को देखने का नया एंगल दिया।भगवान परशुराम पर लिखा उनका उपन्यास अदभुत संन्यासी न सिर्फ भारत में वरन विदेशों में भी धूम मचाये हुए है।यह अद्भुत कृति अमेजन की बेस्ट सेलर बुक में शामिल है।

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चम्बल घाटी में जन्मे राजीव का नर्मदा घाटी से गहरा सम्बन्ध शासकीय सेवा में और प्रगाढ़ हुआ। होशंगाबाद में पढ़े बढ़े राजीव अभी शहडोल में संभागीय कमिश्नर हैं। अमरकंटक में नर्मदा मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। वे नर्मदा नदी से जुड़े नगर मण्डला, नरसिंहपुर से बड़वानी तक में सेवा कर चुके हैं.

राजीव बताते हैं कि नर्मदा की इन्ही लहरों ने उन्हें आदि शंकराचार्य, भगवान परशुराम, सम्राट सहस्त्रबाहु, महाराजा शंकर शाह, रघुनाथ शाह, रानी अवन्तिबाई और भगवान दत्तात्रेय पर उपन्यास लिखने की प्रेरणा दी। मालवा और निमाड़ में सेवा करते हुए धारा नगरी के भोज और उज्जैयिनी के विक्रमादित्य भी उन्हें आकृष्ट करते हैं।भाबरा में जन्मे अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद पर भी उनका लिखने का मन है।

राजीव का मानना है कि इन सभी पात्रों का मध्य प्रदेश से निकट का सम्बन्ध है और जितना इन पर लिखा जाना चाहिये था, उतना लिखा नहीं गया इसीलिये ऐसे महान पर उपेक्षित पात्रों को उन्होंने अपना विषय बनाया है।
एक सफल छात्र नेता, लोकप्रिय कवि, सेवाभावी किन्तु कड़क प्रशासक की जीवन यात्रा का अगला पड़ाव एक लेखक के रूप में ही रहेगा या आध्यात्म की ओर मुड़ेगा,यह तो समय ही बताएगा।