भोजन मानव के जिवीत रहने का आधार है। इंसान बिना भोजन शक्ति हीन होकर मर सकता है। भोजन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं गरिष्ठ और सादा। भोजन जहां शरीर में ऊर्जा देता है वही सडा गला या बासी खाने से व्यक्ति बिमार (Food Poisoning) होता है। शुद्ध और सात्विक भोजन सर्वोत्तम है। बड़े बुजुर्ग कहते हैं भोजन अच्छे मन से करना चाहिए। व्यक्ति ने वही खाना खाना चाहिए जिसे उसका शरीर पचा सके वर्ना वह मोटापा या ह्रदय रोग का शिकार हो सकता है।
मेहनतकश किसान, मजदूर, टेक्निशियन, बॉडीबिल्डर, साइकिल या ठेला चलाने वाले व्यक्ति गरिष्ठ खाना पचा सकते हैं परन्तु जिन्हें ऑफिस, दुकान, कारखाने मैं बैठक का काम ज्यादा हो उन्हें ज्यादातर सादा सिंपल खाना खाना चाहिए। बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति ने सलाद फल फ्रूट और खिचड़ी आदि का सेवन अधिकतर करना चाहिए। जूस, सुप, छाछ, दूध-पानी, दही यह सब आपके खाने में शामिल होना चाहिए। उसी तरह अलसी, खसखस, तिल, कलौंजी यह भी आधे से एक चम्मच रोज खाना चाहिए इनके द्वारा आपको सभी उपयोगी मिनरल शरीर में चले जाएंगे। इस मामले में जैन भोजन की फिलॉसफी बड़ी कारगार है उकाली, केर सांगरी, ओडवा यह सभी बहुत फायदेमंद है।
सूर्यास्त पुर्व खाना, सप्ताह में एक बार आयम्बिल ( कच्चा भोजन) और सूर्यास्त से सूर्योदय के एक घंटे बाद तक कुछ नहीं खाने से जो बारह – चौदह घंटे का उपवास हो जाता है वह पाचन तंत्र और शरीर के लिए फायदेमंद है। उसी तरह लोंग, काली मिर्च, लेडी पिपर और गरम मसाले यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं अतः इनका उपयोग भरपूर होना चाहिए। खाने के बाद थोड़े से सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर मंजन के रूप में दांतों पर लगाने और उसे निगल लेने से पाचन क्रिया सुधरती है साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। सुबह नाश्ते मैं कच्ची सब्जी, सलाद, फ्रूट, ड्राई फूड, जूस या छाछ के साथ हल्का सा पसंदित खाना ले और दिन के भोजन में मालवी गुजराती पंजाबी साउथ इंडियन आदि अपनी पसंद का पका हुआ भोजन भरपूर करना चाहिए। दोपहर में जूस फ्रूट हल्का फुल्का स्नेक्स खाएं और शाम को सूप सब्जी दाल खिचड़ी आदि का सेवन करें रोटी ना खाए तो अच्छा है।
दूध और डेरी प्रोडक्ट डॉक्टर की सलाह पर ही ले। ज्यादा शक्कर और नमक का सेवन न करें। यदि शुगर पेशेंट नहीं है तो मिठाई खा सकते हैं। शक्कर की जगह गुड़ का सेवन फायदेमंद माना जाता है।