Flashback: इंदौर में माधुरी दीक्षित का वो कार्यक्रम

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Flashback: इंदौर में माधुरी दीक्षित का वो कार्यक्रम

Flashback: इंदौर में माधुरी दीक्षित का वो कार्यक्रम

यह कथाचित्र उस कालखंड का है जब अभिनेत्री माधुरी दीक्षित का सम्मोहन देश विदेश में छाया हुआ था। बॉलीवुड में उसकी पिक्चरें धूम मचा रही थी और उसके प्रशंसकों में साधारण जन से लेकर मूर्धन्य कलाकार मक़बूल फ़िदा हुसैन तक थे। ऐसे में इन्दौर की संस्था संगीत कला अकादमी द्वारा माधुरी दीक्षित का इंदौर में एक सार्वजनिक नृत्य कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसके तत्कालीन सक्रिय पदाधिकारी श्री सुभाष गुप्ता ने इंदौर के बम्बई में बस चुके श्री उत्तम झंवर की सहायता से उनका इंदौर में चार दिवसीय कार्यक्रम निर्धारित कर लिया जिसमें 5 जनवरी, 1997 को माधुरी दीक्षित का सार्वजनिक कार्यक्रम था तथा अन्य दिनों में कुछ और व्यस्तताएँ थी।

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उस समय मैं इंदौर में DIG के पद पर पदस्थ था। मेरे वरिष्ठ श्री स्वराज पुरी IG के पद पर थे एवं एक अनुभवी एवं सक्षम पुलिस अधीक्षक के रूप में श्री देवेंद्र सिंह सेंगर कार्यरत थे। संगीत कला अकादमी के सभी सदस्यों के साथ हम लोगों के बहुत अच्छे संबंध थे।माधुरी दीक्षित का सार्वजनिक कार्यक्रम कोई साधारण बात नहीं थी तथा इसे शांतिपूर्ण ढंग से कराने की पूरी ज़िम्मेदारी सीधे पुलिस पर थी। इसके लिए यह आवश्यक था कि आयोजकों अर्थात् संस्था के सदस्यों और पुलिस के बीच पूरा सामंजस्य बना रहे।कार्यक्रम स्थल के लिए स्वाभाविक रूप से नेहरू स्टेडियम का चयन किया गया। संस्था के सदस्यों में माधुरी दीक्षित के नाम पर अद्भुत उत्साह उमड़ रहा था।

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आयोजकों के साथ मेरे सहित पुलिस अधिक्षक तथा अन्य पुलिस अधिकारी, कलेक्टर श्री गोपाल रेड्डी एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा पूरे स्टेडियम का अंदर और बाहर से बहुत बारीकी से कई बार निरीक्षण किया गया। विभिन्न पास धारकों , VIP, तथा माधुरी दीक्षित के आने और जाने के लिए पृथक -पृथक गेटों का निर्धारण किया गया। स्टेडियम के बाहर और अंदर का क्षेत्र विभिन्न सेक्टरों में विभाजित किया गया जिससे क़ानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दायित्वों का बँटवारा किया ज़ा सके। पर्याप्त पुलिस बल, फ़ायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस आदि की व्यवस्था की गईं। स्टेडियम के अंदर पर्याप्त बैरिकेड लगाये गये। व्यवस्था में सबसे कठिन कार्य न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा अन्य विशिष्ट व्यक्तियों के बैठने के स्थान की व्यवस्था थी।

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संस्था के सदस्य अशोक माहेश्वरी, सुभाष गुप्ता, राजेंद्र मेहता, लीलाधर माहेश्वरी, गोपाल कुकरेजा, अनिल भंडारी तथा प्रवीण कासलीवाल व्यवस्थाओं में दिन रात लगे हुए थे। विशेष रूप से वे मंच की सुन्दर व्यवस्था कर रहे थे।संयोगवश मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम सैल्युलर मोबाइल सेवा इंदौर में कार्यक्रम से पहले 1 जनवरी,1997 को प्रारंभ हुई। मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर RPG ने एक माह के लिए निःशुल्क संस्था के सदस्यों, पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों एवं कुछ गणमान्य व्यक्तियों को मोबाइल सेट ( 98260 से प्रारंभ सिरीज़ ) दिये।

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एक माह के बाद कॉल करने या रिसीव करने दोनों के लिए प्रति मिनट 32 रुपये का चार्ज निर्धारित किया गया था। नि:शुल्क नया-नया मोबाइल सेट मिलते ही स्थिति यह हो गई कि स्टेडियम के अंदर सभी आयोजक और अधिकारी 10 फ़ुट की दूरी पर खड़े व्यक्ति से भी मोबाइल पर ही बात कर रहे थे। 4 जनवरी को माधुरी दीक्षित इंदौर आ गईं और उन्हें नव-निर्मित सायाजी होटल में रुकवाया गया।

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उनकी सुरक्षा के लिए मैंने युवा IPS अधिकारी वरूण कपूर को उनके कक्ष के सामने ठहरा दिया।शाम ढलते ही माधुरी दीक्षित ने कहा कि वे स्टेडियम में मंच पर जाकर रिहर्सल करेंगी। पुलिस अधीक्षक ने मुझे सूचित किया और मैं स्टेडियम पहुँच गया। पुलिस व्यवस्था के साथ माधुरी दीक्षित को रिहर्सल के लिए लाया गया। बहुत ठंड होने के कारण वे भूरा कोट और पैंट पहन कर नृत्य के कुछ टुकड़ों का अभ्यास कर रहीं थीं और मंच तथा प्रकाश व्यवस्था से अपने को अभ्यस्त कर रही थी।

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5 जनवरी को माधुरी दीक्षित निर्धारित समय पर आ गईं और रात्रि आठ बजे कार्यक्रम प्रारंभ हो गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी को आमंत्रित किया गया था, परंतु दुर्ग में किसी कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण वे समय पर नहीं आ सके। स्टेडियम पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था तथा अन्दर से भी अधिक लोग स्टेडियम के बाहर एकत्र थे तथा अंदर प्रवेश के लिए व्याकुल थे।

बाहर जब भीड़ का धैर्य टूट गया तो उसने पथराव करना शुरू कर दिया। पुलिस अधीक्षक श्री सेंगर स्वयं बाहर गये और हल्का बल प्रयोग कर उन्होंने स्थिति को नियंत्रित किया। पूरे समय स्टेडियम के बाहर पुलिस को भारी मशक़्क़त करते रहनी पड़ी। पुलिस कंट्रोल रूम से समाचार आया कि श्री दिग्विजय सिंह जी दुर्ग से वायुयान द्वारा रवाना हो चुके हैं।वे लगभग साढ़े 10 बजे स्टेडियम पहुँच सके। उनके आते ही माधुरी दीक्षित ने ‘मेरा पिया घर आया ओ राम जी’ के लोकप्रिय गीत पर नृत्य प्रारंभ किया और इस संयोग पर सबने ज़ोरदार तालियों से उनका स्वागत किया। कार्यक्रम सभी अपेक्षाओं से अधिक सफल रहा।अधिकृत विवरण दिए जाने हेतु इंदौर संभाग के तत्कालीन संयुक्त संचालक, जनसम्पर्क सुरेश तिवारी भी मौजूद थे।

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कार्यक्रम के अगले दिन आयोजकों की सहमति से सयाजी होटल के प्रबंधन ने होटल के लॉन में एक डिनर का आयोजन किया। लोगों को निमंत्रित करते समय आयोजकों ने सभी आमंत्रितों को आश्वस्त किया कि बहुत ही गिनती के विशिष्ट व्यक्तियों को इस डिनर में बुलाया गया है।लेकिन जब मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि काफ़ी संख्या में लोग एकत्र थे। इस भीड़ भाड़ में आमंत्रित हाईकोर्ट के न्यायाधीशों का समुचित सत्कार नहीं हो सका।एक वरिष्ठ न्यायाधीश माधुरी दीक्षित के प्रबल प्रशंसक थे और उसकी फ़ोटो भी अपने ड्राइंग रूम में टाँग कर रखते थे, वे इस डिनर पार्टी से वे काफ़ी रूष्ट दिखे।

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अगले दिन सुबह मेरे निवास पर मेरे परिचित एक अन्य हाईकोर्ट के न्यायाधीश आए। एक कार्यरत हाईकोर्ट न्यायाधीश का पुलिस अधिकारी के घर पर आना एक असाधारण बात है। उन्होंने बिना किसी भूमिका के मुझसे स्पष्ट कहा कि उनके वरिष्ठ न्यायाधीश कल रात के डिनर से अप्रसन्न हैं और वे चाहते हैं कि एक ऐसा कार्यक्रम कहीं करें जहाँ पर वे चुने हुए लोगों के साथ माधुरी दीक्षित से मिल सकें। मैंने उनसे कहा कि यह बात आपको मेरे वरिष्ठ अधिकारी से करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं भलीभाँति जानता हूँ कि आप कभी ‘नहीं’ नहीं कहते हैं और तो आप ही यह काम करवा सकते हैं।

मैं उनकी बात सुन कर कुछ उत्साहित हुआ और कुछ सोच कर उन्हें कहा कि मैं माधुरी दीक्षित को उन्हीं न्यायाधीश महोदय के निवास पर ही लाने की व्यवस्था कर दूँगा और आप उनके निवास पर आवश्यक व्यवस्थाएँ करवा लें। वे प्रसन्न होकर वापस चले गए। पुलिस अधीक्षक श्री सेंगर ने आयोजकों से बात कर के कार्यक्रम निर्धारित कर लिया। निर्धारित समय पर मैं न्यायाधीश महोदय के घर पहुँचा जहाँ बहुत थोड़े से विशिष्ट व्यक्ति ही उपस्थित थे। माधुरी दीक्षित उनके निवास पर पहुँची। थोड़ी बातचीत और चाय के बाद फ़ोटो ली गईं। इस कार्यक्रम के बाद माधुरी दीक्षित वायुयान से वापस बंबई चली गयीं।

माधुरी दीक्षित के इंदौर भ्रमण की चर्चा बहुत समय तक होती रही।