Controversy Over OBC Reservation : ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने

दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर OBC के साथ अन्याय के आरोप लगाए  

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Controversy Over OBC Reservation : ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने

Indore : मध्यप्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में OBC आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा दोनों आमने-सामने आ गए। आज दोनों पार्टियों ने इंदौर में प्रेस कांफ्रेंस कर एक-दूसरे पर आरोप लगाए। भाजपा का आरोप था कि कांग्रेस के कारण ही पिछड़ा वर्ग आरक्षण से वंचित हुआ। कांग्रेस नहीं चाहती कि प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं। जबकि, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा OBC ओबीसी का आरक्षण खत्म करने का षड्यंत्र रच रही है। लेकिन, कांग्रेस हर हालत में ओबीसी वर्ग को उसका अधिकार दिलाएगी।

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण करने के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मध्यप्रदेश सरकार पारित आदेश में संशोधन का आवेदन दायर करके पुनः अदालत से आग्रह किया है कि मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव सम्पन्न हों।

Controversy Over OBC Reservation : ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने

उन्होंने बताया कि बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराए जाने की वर्तमान परिस्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई है। प्रदेश में तो 27% ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव प्रक्रिया चल ही रही थी। सरकार द्वारा इसके अंतर्गत वार्ड परिसीमन, वार्डों का आरक्षण, महापौर तथा अध्यक्ष का आरक्षण, मतदाता सूची तैयार करना आदि समस्त तैयारी कर ली गई थी। यहां तक की ओबीसी एवं अन्य उम्मीदवारों द्वारा नामांकन भी दाखिल कर दिया गया था। किन्तु कांग्रेस इसके विरूद्ध हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई, जिससे चुनाव प्रभावित हुए।

जिराती ने कहा कि कांग्रेस ने अपने याचिकाकर्ताओं मनमोहन नागर, जया ठाकुर व सैयद जाफर के माध्यम से कोर्ट में प्रकरण दाखिल कराया गया। इस तरह न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझाकर ओबीसी हितों को कुचलने का काम कांग्रेस ने किया है। प्रदेश सरकार ने आयोग बनाकर 600 पेज की जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की, उसमें प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों के साथ क्षेत्रवार संख्या के आंकड़े विस्तृत रूप से प्रस्तुत किए थें। जिसमें बताया गया था कि 48% से ज्यादा ओबीसी मतदाताओं की औसत संख्या मध्यप्रदेश में है। कुल मतदाताओं में से अजा, अजजा के मतदाताओं के अतिरिक्त शेष मतदाताओं में अन्य पिछड़ावर्ग के मतदाताओं की संख्या 79% है, यह भी आयोग की रिपोर्ट में पेश किया।

 

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आयोग ने स्पष्ट अभिमत दिया था, कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों तथा समस्त नगरीय निकाय चुनावों के सभी स्तरों में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को कम से कम 35% स्थान आरक्षित होना चाहिए। लेकिन, कमलनाथ सरकार ही थी, जिसने विधानसभा में 8 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश लोकसेवा आरक्षण संशोधन विधेयक में यह भ्रामक और असत्य आंकड़ा प्रस्तुत किया कि अन्य पिछड़े वर्ग की मध्यप्रदेश में कुल आबादी सिर्फ 27% है। यह कांग्रेस का वह असली ओबीसी विरोधी चेहरा है जो मध्यप्रदेश की विधानसभा के दस्तावेजों में सदैव के लिए साक्ष्य बन गया है।

कांग्रेस बिना आरक्षण के भी 27% उम्मीदवार उतरेगा   
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को घोषणा की कि आने वाले निकाय चुनाव में पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग के 27% उम्मीदवारों को टिकट देगी। उन्होंने यह घोषणा ऐसे समय पर की गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में बिना OBC आरक्षण के निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है।

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यह बात कांग्रेस के मीडिया प्रभारी नरेंद्र सलूजा ने दी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के आरक्षण के बिना चुनाव कराने का फैसला इसलिए दिया, क्योंकि प्रदेश की शिवराजसिंह चौहान सरकार ने अदालत के सामने ओबीसी के भ्रामक और आधे अधूरे तथ्य प्रस्तुत किए। कमलनाथ ने राज्य सरकार से यह भी कहा कि यह प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार से संविधान में संशोधन करने का आग्रह करें, ताकि अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को उनका संवैधानिक अधिकार मिल सके।

उन्होंने कहा कि OBC वर्ग के हित में उठाए इस ऐतिहासिक कदम के लिए कमलनाथ का आभार व्यक्त करते है। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ही ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिया था। आज विपक्ष में होने के बावजूद यह OBC वर्ग को उसका संवैधानिक अधिकार दे रहे है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस की नियत सामाजिक न्याय करने की है। जबकि सत्ता में बैठे लोग सिर्फ बहानेबाजी करके ओबीसी हितैषी होने का पाखंड कर रहे हैं। असल में उनका चरित्र आरक्षण विरोधी है। आज भी भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने का षड्यंत्र किया है।

उन्होंने कहा कि OBC आरक्षण समाप्त कराने के लिए शिवराज सरकार पहले जानबूझकर असंवैधानिक अध्यादेश लेकर आई। बाद में न्यायालय के दबाव में इस असंवैधानिक अध्यादेश को वापस लिया। भाजपा की सरकार ने OBC के खिलाफ यह जो काम किया है, यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के गुप्त एजेंडे का हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी ने जब भी ओबीसी वर्ग को कोई अधिकार दिया है तब तब बीजेपी ने चोर रास्ते से ओबीसी से यह अधिकार छीनने का काम किया है।

सन 2003 में कांग्रेस की सरकार ने ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर 14% से 27% किया था। लेकिन, उसके बाद से बनी भाजपा सरकारों ने अगले 15 साल में अदालतों में एकदम खराब पैरवी करके ओबीसी के 27 % आरक्षण को समाप्त हो जाने दिया। 2018 में जब कमलनाथ के नेतृत्व में फिर से कांग्रेस की सरकार बनी तो कांग्रेसी सरकार ने ओबीसी को एक बार फिर से 27% आरक्षण दिया। इस आरक्षण को वर्तमान शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने अदालतों में गलत तथ्य रखे जिससे धीरे धीरे खत्म करती जा रही है।