Dhar Chaupal: उद्योग मंत्री और भाजपा जिला अध्यक्ष का विवाद!
Dhar Chaupal;भले ही भाजपा संगठन और उसके कर्ताधर्ता यह कहते रहे हैं कि भाजपा के सत्ता संगठन में गजब का तालमेल है, लेकिन धार में स्थितियां उसके विपरीत हैं।
उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव और भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव यादव की एकता अब संतरे के सामान दिखाई देने लगी है।
ऊपर से एक अंदर से कई फांके! इन दोनों के बीच राजनीतिक अदावत मुख्यमंत्री के सामने तक पहुंचता दिखाई देने लगा है। मुख्यमंत्री पूर्व विधायक वेलसिंह भूरिया के बेटे के निधन पर शोक व्यक्त करने आए थे।
जाते वक्त जिले के सत्ता और संगठन के कर्ताधर्ता के बीच जो हुआ उससे सुबे के मुखिया को समझने देर नहीं लगी कि बात ज्यादा बढ़ चुकी है।
मुख्यमंत्री जब वापस जा रहे थे, तभी राजगढ़ की एक महंगी जमीन पर कुछ दिन पहले काबिज रहे पीड़ित लोगों ने मुख्यमंत्री से अपने ऊपर हुए अन्याय की गुहार लगाई। इनका साथ दिया वहां मौजूद राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने।
तभी जिला भाजपा अध्यक्ष राजीव यादव ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह लोग कब्जा करते हैं और पैसे मांगते हैं। मुख्यमंत्री कुछ बोलते, उसके पहले ही राजीव यादव ने इसके सहित अन्य मामलों से अवगत कराने के लिए भोपाल आने का समय मांग लिया।
मुख्यमंत्री ने भी तत्काल राजीव को समय दिया। समझने वाली बात यह कि राजू मुख्यमंत्री के सामने दत्तीगांव के मामले में वो सब बताने में शायद नहीं हिचकेंगे, जो उनके मन में है।
यानी कि शोक संवेदना के बाद मुख्यमंत्री के सामने जो वाकया हुआ वह वह जिले की भाजपा में जरूर कुछ गुल खिलाएगा!
जाहिर है इन दोनों का विवाद तब और गहरा गया कि जब राजगढ की एक जमीन पर से प्रशासन ने कब्जा हटा दिया था।
उक्त जमीन किसी इंदौर वाले की है उस जमीन से कब्जा हटाने के लिए राजीव यादव की भूमिका से उद्योग मंत्री ज्यादा आहत दिखाई दे रहे है इस विवाद के बाद से जाहिर है दोनों और से तीर भी चल रहे थे और परिंदे भी बजाये जा रहे थे। किन्तु अब ना तो परिंदे बचेंगे और ना ही तीर …. यह तय है।
ये है कलेक्टर का ‘तत्काल’ निराकरण का अंदाज
अकसर देखा गया है कि अफसरों का जिले की समस्याओं से ज्यादा सरोकार नहीं होता! वे वही करते हैं, जिसके ऊपर से निर्देश आते हैं।
लेकिन, कलेक्टर डॉ पंकज जैन के काम करने का तरीका थोड़ा अलग है। उन्हें यदि समझ में आए कि समस्या विकट है तो वे किसी निर्देश का इंतजार नहीं करते। हाल की एक घटना उनकी कार्य शैली को स्पष्ट भी करती है।
मुख्यमंत्री पूर्व भाजपा विधायक के यहां उनके बेटे की असामयिक मौत पर शोक संवेदना व्यक्त करने आए थे। वहां सरदारपुर के पोशिया गांव के लोगों ने मुख्यमंत्री से पानी की समस्या बताई!
मुख्यमंत्री ने भी उसे कलेक्टर की तरफ बढ़ा दिया और समस्या हल करने के निर्देश दिए, जो कि सामान्य प्रक्रिया होती है!
लेकिन, कलेक्टर ने जो तत्परता दिखाई उसकी तारीफ की जाना चाहिए। मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर भोपाल भी नहीं पहुंचा होगा कि बोरिंग मशीन सरकार आ गई और काम शुरू हो गया। नलकूप खनन हो गया, पानी निकल आया और हैंडपंप भी लग गया।
जबकि, सरकारी गति से काम होता तो फाइल चलती। कलेक्टर कार्यालय से पीएचई के ईई को नोटशीट जाती। वहां से सरदारपुर के पीएचई प्रभारी के पास ईई की टीप के साथ नोटशीट जाती, फिर अपनी गति से फाइल आगे बढ़ती, तब तक पानी बरसने लगता!
पर कलेक्टर की गति अजब थी। उसी दिन शाम को एक बैठक करके कलेक्टर ने जिले भर से आई पानी संबंधी संबंधी समस्याओं पर चर्चा की और उन्हें तत्काल निपटाने के निर्देश भी दिए! यहां ‘तत्काल’ का मतलब वही है जैसा सरदारपुर में हुआ!
कुलदीप ने चुनाव के घुंघरू बांधे
प्रदेश कांग्रेस के सचिव कुलदीप सिंह बुंदेला ने धार विधानसभा के लिए घुंघरू बांध लिए हैं। घुंघरू तो उन्होंने पिछले चुनाव में भी बांधे थे, पर उनके घुंघरू कब उतर गए यह उन्हें भी नहीं पता!
फिर उन्हें जीतू पटवारी के रण क्षेत्र में जाकर ताता थैया करना पड़ा था।
लेकिन, इस बार कुलदीप बुंदेला कुछ ज्यादा ही गंभीर दिखाई दे रहे हैं। अपने पिता की तर्ज पर कुलदीप ने चौराहों पर मिलना और बैठना भी चालू कर दिया। वे कलफदार कुर्ते पिछले पांच साल से खूंटी पर कुलदीप ने टांग रखे थे, उनको फिर धारण कर लिया गया।
कुलदीप धार विधानसभा क्षेत्र के गांव गांव की खाक भी छान रहे हैं। कांग्रेस का टिकट कुलदीप को मिलता है या नहीं, ये तो समय बताएगा! किंतु, अब कुलदीप बुंदेला भोपाल की तरफ सिर करके सोने जरूर लग गए!
उनके कथित समर्थक भी इस बार भैया को साफा बंधने की गारंटी दे रहे हैं।
दत्तीगांव के खिलाफ बदनावर में ताल ठोकेंगे गौतम
राजवर्धनसिंह दत्तीगांव कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए हों, पर उनके घोर विरोधी बालमुकुंद सिंह गौतम उन्हें अभी भी बख्शते नहीं! गाहे बगाहे तलवार भांजते रहते हैं।
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि दत्तीगांव के पिता स्व प्रेमसिंह दत्तीगांव के निधन के बाद से ही राजवर्धनसिंह दत्तीगांव और बालमुकुंद सिंह गौतम का विवाद परवान चढ़ने लगा!
विवाद आसमान पर भी पहुंचा और अब तो कांग्रेस छोड़ने के बाद तो यह विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन दत्तीगांव और गौतम एक-दूसरे को निपटाने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
बालमुकुंद सिंह गौतम का जिला बदर नहीं होने की टीस राजवर्धनसिंह दत्तीगांव को अभी भी बैचेन किए हुए है। इधर, बालमुकुंद गौतम भी दत्तीगांव पर मीडिया के जरिए गोले दागने में देर नहीं करते।
इसी विवाद के कारण लगता है कि गौतम भी दत्तीगांव से आर-पार करने के मुड़ में दिखाई दे रहे हैं।
गौतम खेमे से आई जानकारी के मुताबिक इस बार बालमुकुंद गौतम बदनावर जाकर विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।
उन्होंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी। अंजाम क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा सवाल है! किंतु अगर ऐसा होता है तो बदनावर विधानसभा का चुनाव फिर धारदार होगा इसमें कोई संदेह नहीं।
भाजपा में भी दावेदार सक्रिय
धार विधानसभा से भाजपा का टिकट नीना वर्मा को ही मिलेगा, इसमें फिलहाल कोई संदेह नहीं! किंतु, इस बार मुंह धोकर कुछ दावेदार ताल जरूर ठोंक रहे हैं।
धार विधानसभा से भाजपा के टिकट के लिए कोई न कोई दावेदार अपनी दावेदारी जरूर करता है, पर उनकी दावेदारी इंदौर नाके के आगे नहीं बढ़ पाती।
लेकिन, इस बार दावेदार कुछ ज्यादा उत्साह में दिखाई देने लगे हैं। मोटे मोटे तौर पर जिन लोगों को विधायकी के सपने आ रहे है उनमें भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव यादव, पूर्व जिला अध्यक्ष दिलीप पटोदिया, विक्रम विश्वविद्यालय के कार्यसमिति के सदस्य सचिन दवे, हिन्दूवादी नेता अशोक जैन और कांग्रेस के पूर्व विधायक करणसिंह पवार प्रमुख है।
अंदर की खबर माने तो इन लोगों ने ऊपर मिलना-जुलना भी शुरू कर दिया। देखना है कि टिकट हमेशा की तरह नीना वर्मा को ही मिलता है या कुछ फेरबदल हो सकता है।
क्या सुधीर अपनी मर्जी से आएगा?
सेंट टेरेसा भूमि घोटाले में अब मामला अस्ताचल कि और पहुंच रहा है। लेकिन अभी भी मास्टरमाइंड सुधीर जैन पुलिस की पकड़ से दूर है।
सुधीर जैन की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई।
यह कोई बड़ी बात नहीं, पर आश्चर्य इस बात का किया जा रहा है कि क्या सुधीर जैन धार आना नहीं चाहता या पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं करना चाहती!
कारण जो भी हो, अब लोग सुधीर जैन की गिरफ्तारी का दृश्य देखना चाहते हैं क्योंकि, आम जनता ने इस घोटाले में बड़े बड़े सुरमाओं को जेल जाते देखा है।
ऐसे में सुधीर जैन का अभी तक जेल तक नहीं पहुंचना उसकी काबिलियत को न सिर्फ दर्शाता है, बल्कि क्या वह यह भी साबित करने में सफल रहा कि मैं मेरी मर्जी से ही आऊंगा! पर, उसकी मर्जी क्या पुलिस पर चलेगी!