Ujjain News: महाकाल मंदिर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन होंगे सुलभ, शीघ्र होगा अस्थाई सेतु का निर्माण
उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट
उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर के तृतीय तल पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर का प्राचीन मंदिर है।
उल्लेखनीय है कि इस मंदिर के पट वर्ष में एक बार सिर्फ नागपंचमी के अवसर पर 24 घण्टे के लिए ही खुलते हैं।नागपंचमी पर्व पर भगवान नागचन्द्रेश्वर के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। गत वर्ष तक श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए जाने के लिए मंदिर समिति द्वारा अस्थाई सीढ़िया लगवाई जाती रही है।
मगर अब मंदिर के दर्शन हेतु एक ऐरो सेतु (फुट ओर ब्रिज) का निर्माण किया जा रहा है। इस सेतु निर्माण कार्य प्रारंभ किये जाने के पूर्व भूमि पूजन किया गया।
मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड ने बताया कि, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडे के महंत विनीत गिरी महाराज की प्रेरणा से उनके अनुयायी व महाकाल भक्त द्वारा इस सेतु के निर्माण का कार्य किया जाकर श्री महाकालेश्वर भगवान व श्री नागन्द्रेश्वर भगवान को अर्पित किया जावेगा।
दानदाता द्वारा उनका नाम व सेतु बनाने में लगने वाली राशि को गुप्त रखने की मंशा जाहिर की गई है।
श्री धाकड़ ने बताया कि, मंदिर परिसर स्थित श्री विट्ठल पंढरीनाथ मंदिर से श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर की छत तक उक्त सेतु 27 मीटर 422 एम.एम. (लगभग 91 फीट) लंबा व 10 फीट चौडा होगा, जिसमें 5 फीट आने व 5 फीट जाने का मार्ग होगा।
उक्त सेतु 5 खंबों पर बनेगा, जो पूर्ण रूप से अस्थायी होगा। इस सेतु का भार किसी प्राचीन मंदिर पर नहीं होगा। सेतु को लगाने हेतु मंदिर परिसर में 5 खंबे बनाये जाने के लिए फाउण्डेशन की गहराई ढाई फिट होगी।
ये फाउण्डेशन परिसर में इस प्रकार बनाया जावेगा जिससे कोई असुविधा न हो जिसमें पहला व अंतिम खंबा 5.4 X 22 मीटर व बीच के तीन खंबे 4.5 X 1.4 मीटर के होंगे।
नागपंचमी पर्व के अवसर पर ही इसे लगाया जायेगा, पर्व समाप्ति के उपरांत उक्त सेतु को पूर्ण रूप से हटाया जा सकेगा। सेतु के कारण मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं हो इस बात का विशेष ध्यान दिया जाएगा।
श्रावण सोमवार के दिन ही नागपंचमी पर्व होने से न तो बाबा महाकाल की सवारी में असुविधा होगी एवं न ही श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान के दर्शन बाधित होंगे।
इस वर्ष नागपंचमी पर्व 2 अगस्त को आने वाला है। इस नवीन सेतु के निर्माण का कार्य इस पर्व के पहले करा लिया जाएगा जिससे दर्शनार्थियों को सुलभता के साथ भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शनों का लाभ मिलेगा।