Confusion And Controversy: UPSC में दिव्या का चयन: 4 दिन की खुशी के बाद आई सच्चाई सामने

2002
UPSC में दिव्या का चयन

Confusion And Controversy: UPSC में दिव्या का चयन: 4 दिन की खुशी के बाद आई सच्चाई सामने

रांची: झारखंड की सामान्य वर्ग की दिव्या पांडे के साथ कन्फ्यूजन के चलते ऐसा हो गया कि 4 दिन की खुशी हुई और अब असलियत सामने आने के बाद उसके परिवार जन को माफी मांगना पड़ रही है।
यूपीएससी में 323वां रैंक लाने का दावा करने वाली दिव्या पांडेय के परिवार वालों का कहना है कि दिव्या पांडेय के दोस्तों ने उसके UPSC में सिलेक्शन की सूचना दी थी।

असल मे वह दिव्या पांडेय नहीं, बल्कि कर्नाटक की दिव्या पी है। देखा जाए तो यूपीएससी का रिजल्ट जारी होने के बाद चर्चा में आई आवासीय कॉलोनी की रहने वाली दिव्या पांडेय का चयन विवादों में फंस गया है। परिवार के लोगों की माने तो रोल नंबर को लेकर कंफ्यूजन हुआ है।

एक कहावत है, जब तक अपनी आंखों से कुछ देखों ना…तब तक भरोसा नहीं करना चाहिए…। ये बात झारखंड के रामगढ़ जिले की रहने वाली 24 वर्षीय दिव्या पांडे पर बिल्कुल फिट बैठती है।

दिव्या पांडे सिविल सेवा परीक्षा (यूपीएससी) के रिजल्ट जारी होने के बाद अपने इलाके में खूब वाहवाही बटोर रही थीं…। दिव्या पांडे और उनके परिवार वालों ने दावा किया था कि फर्स्ट अटेम्प्ट में ही दिव्या पांडे ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। लेकिन अब जब सच्चाई सामने आई तो दिव्या और उनके परिवार माफी मांग रहे हैं। असल में दिव्या के परिवार की ओर से अब कहा गया है कि उनकी बेटी ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल नहीं की है।

जानें कैसे हुआ ये सारा कंफ्यूजन

दिव्या पांडे और उसके परिवार वालों ने सिविल सेवा परीक्षा के रिजल्ट आने के बाद दावा किया कि दिव्या ने फर्स्ट अटेम्प्ट में ही यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली है। परिवार वालों का ये भी दावा था कि दिव्या को यूपीएससी परीक्षा में 323 वीं रैंक हासिल की है।जैसे ही रामगढ़ जिले में ये बात फैली दिव्या पांडे, इलाके में चर्चित हो गईं और मीडिया ने उनकी खूब वाहवाही की। यहां तक कि उनको कुछ विभागों द्वारा सम्मानित भी किया गया।

अब सच्चाई सामने आई गई है। सच ये है कि झारखंड की दिव्या पांडे ने नहीं बल्कि साउथ इंडिया की रहने वाली किसी दिव्या पी ने यूपीएससी की परीक्षा पास की है।

सच सामने आने के बाद दिव्या पांडे की ओर से माफी मांगते हुए, उनके परिवार के के सदस्यों के साथ-साथ उनके पड़ोसियों ने कहा कि यह वास्तव में दक्षिण भारत की दिव्या पी है, न कि दिव्या पांडे जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 323वीं रैंक हासिल की है।

सच्चाई सामने आने के बाद दिव्या और उनके परिवार वाले माफी मांग रहे हैं। दिव्या पांडे का कहना है कि किसी गलती की वजह से ये भ्रम वाली स्थिति बन गई। दिव्या ने कहा कि उन्होंने किसी मीडिया कवरेज या पब्लिसिटी के लिए गलत जानकारी नहीं दी है।

 

बता दें कि यूपीएससी परीक्षा में पास होने की खबर जानने के बाद जिला प्रशासन और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड ने दिव्या पांडे को सम्मानित भी कर दिया था। जिसकी तस्वीरें सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी शेयर की थी। हालांकि शुक्रवार (03 जून) को दिव्या और उनके परिवार ने जिला प्रशासन और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) से माफी मांगी है।

दिव्या पांडे की बड़ी बहन प्रियदर्शनी पांडे ने कहा कि उनकी बहन को उत्तर प्रदेश में उनके दोस्त ने सूचित किया था कि उन्होंने यूपीएससी में 323वीं रैंक हासिल की है। दिव्या की दोस्त ने उसे बड़े दावे के साथ कहा था कि उसने रिजल्ट देखा है और वह पास कर गई है।

दिव्या पांडे की बड़ी बहन प्रियदर्शनी ने आगे कहा, दिव्या की दोस्त से पास होने वाली खबर सुनने के बाद हमने यूपीएससी की वेबसाइट पर रिजल्ट की जांच करने की कोशिश की थी लेकिन इंटरनेट काम नहीं कर रहा था। यह एक अनजाने में हुई गलती थी।”

दिव्या पांडे के अपने पहले प्रयास में बिना किसी पेशेवर कोचिंग के स्मार्टफोन और इंटरनेट की मदद से यूपीएससी को पास करने के परिवार के दावों के कारण सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, पीएम प्रसाद और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने दिव्या पांडे को उनके पिता के सामने सम्मानित किया था। दिव्या के पिता सीसीएल से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके बाद इस खबर को मीडिया में व्यापक मीडिया कवरेज मिला था। अब दिव्या के पिता ने कहा कि ये अनजाने में हुई गलती थी।

रामगढ़ की उपायुक्त माधवी मिश्रा, जिन्होंने जिला कलेक्ट्रेट में अपने कार्यालय में दिव्या पांडे को सम्मानित किया था, सच सामने आने के बाद इसे “मानवीय त्रुटि” करार दिया है। रामगढ़ के अधिकारियों ने सहायता की कि उन्होंने इस संबंध में लड़की या उसके परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। बता दें कि नहीं तो ये बात कानून कार्रवाई तक चली जाती।