भोपाल: मध्यप्रदेश में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में पंच-सरपंच से लेकर जिला और जनपद पंचायत सदस्य के चुनाव में किसी एक उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित करने के लिए बाकी सभी उम्मीदवारों के नामांकन निरस्त करना रिटर्निंग आफिसर तथा सहायक रिटर्निंग आफिसर को भारी पड़ेंगा। ऐसे मामलों में नामांकन स्वीकार करने वाले अधिकारी से एक पद उपर के अधिकारी एसडीएम, कलेक्टर और कमिश्नर जांच कर सहीं-गलत का फैसला करेंगे। मध्यप्रदेश में सात जून को यह कार्यवाही की जाएगी।
मध्यप्रदेश में इस समय 52 जिलों में जिला पंचायत सदस्य के 875 पद, 313 जनपदों में जनपद पंचायत सदस्यों के 6 हजार 771 पदों, सरपंच के 22 हजार 921 पदों और पंचों के तीन लाख 63 हजार 726 पदों के लिए चुनाव हो रहे है। सोमवार को नामांकन पत्र जमा करने की आखिरी तारीख है। इसके बाद मंगलवार सात जून को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी. दस जून को नाम वापसी के बाद चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की अंतिम सूची प्रकाशित कर चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे और तीन चरणों में 25 जून, एक जुलाई और 8 जुलाई को मतदान होगा।
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आमतौर पर पंचायत चुनाव में उम्मीदवार यह शिकायत करते है कि रिटर्निंग आफिसर और सहायक रिटर्निंग आॅफिसर ने एक उम्मीदवार से साठ-गांठ कर उसे निर्विरोध निर्वाचित घोषित करने के लिए जानबूझकर चुनाव मैदान में उतरे अन्य उम्मीदवारों के नामांकन पत्र निरस्त कर दिए। मध्यप्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम की धारा 36 में यह प्रावधान है कि यदि पंच, सरपंच, जिला और जनपद पंचायत सदस्य के पद के लिए नामांकन पत्र जमा करने वाले बाकी उम्मीदवारों के नामांकन पत्र किन्हीं कारणों से निरस्त हो गए है और केवल एक ही उम्मीदवार मैदान में शेष बचा है और उसके निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति बनती है तो ऐसे मामलों में नामांकन स्वीकार करने वाले अधिकारी से पद में वरिष्ठ अधिकारी निरस्त नामांकन पत्रों की जांच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि ये नामांकन वैध कारणों से निरस्त हुए है। कहीं ऐसा तो नहीं कि एक उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित कराने बाकी उम्मीदवारों के नामांकन जानबूझकर निरस्त किए गए है। ऐसा हुआ तो जांचकर्ता अधिकारी निरस्त नामांकनों को स्वीकार किए जाने के निर्देश देगा और वे चुनाव प्रक्रिया में शामिल होंगे।
पंच-सरपंच के मामलों में एसडीएम निरस्त नामांकन पत्रों की जांच करेंगे। वहीं जनपद पंचायत सदस्य के मामलों में कलेक्टर और जिला पंचायत सदस्य के मामले में संभागायुक्त जांच करेंगे। जांच के बाद निरस्त नामांकन पत्रों को उपयुक्त और सही पाए जाने पर उन्हें चुनाव प्रक्रिया में पुन: शामिल किया जाएगा।