भोपाल: सहकारिता विभाग से जुड़े संघ और निगमों में विभाग के रिटायर्ड अफसरों को ही एमडी बनाने की तैयारी है। मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ की एजीएम में यहां के एमडी के पद पर रिटायर्ड अफसर की तैनाती दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव पंजीयक सहकारी संस्थाएं के पास भेजा गया है। लेकिन इस तरह के प्रस्तावों को कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही लागू किया जाएगा। यदि उच्च स्तर पर सहमति बनती है तो यहां ऐसा पहली बार होगा कि रिटायर्ड अफसर को एमडी बनाया जाएगा।
सहकारिता विभाग के संयुक्त पंजीयक स्तर के अधिकारी को राज्य सहकारी आवास संघ, अपेक्स बैंक, कंजूमर फेडरेशन, और बीज उत्पादक सहकारी संघ में एमडी बनाया जाता है।
सहकारिता विभाग में पंद्रह संयुक्त पंजीयक स्तर के अधिकारियों के पद स्वीकृत है लेकिन इस साल इस स्तर के पांच अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे है। ऐसे में यहां केवल पांच अधिकारी ही इस स्तर के शेष बच जाएंगे। संयुक्त पंजीयक स्तर के जो अधिकारी इस साल सेवानिवृत्त हो रहे है उनमें अरविंद सिंह सेंगर, रविकांत दुबे, गीता झा, जगदीश कनौजिया और अगले साल अनिल वर्मा सेवानिवृत्त हो रहे है। इसके बाद अरुण माथुर, अभय खरे, ब्रजेश शरण शुक्ला, सिद्धार्थ और संजय दलेला ही शेष रह जाएंगे।
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अधिकारियों की कमी के चलते सहकारिता विभाग से जुड़े संघ, निगमों मेें अफसरों की तैनाती में भी दिक्कत आएगी। इसीलिए मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ ने सेवानिवृत्त संयुक्त पंजीयक स्तर के अधिकारी को यहां एमडी बनाए जाने के प्रस्ताव को एजीएम में मंजूरी दी है। इस संशोधन के लिए विभाग के बायलाज में भी संशोधन किया जाएगा। इस प्रस्ताव को सहकारिता आयुक्त, प्रमुख सचिव और मंत्री स्तर से अनुमोदन मिलने के बाद मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है तो अपैक्स बैंक को छोड़कर अन्य सहकारी संघों में रिटायर्ड संयुक्त पंजीयक स्तर के रिटायर्ड अधिकारी को यहां एमडी बनाया जा सकेगा।
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आसान नहीं है राह-
सरकारी महकमों में सेवानिवृत्त अफसरों को प्रबंध संचालक के पद पर तैनाती के प्रस्ताव को मंजूरी मिलना आसान नहीं है। बाइलाज में संशोधन सहकारिता आयुक्त स्तर पर किया जा सकता है लेकिन बात सहकारिता विभाग से जुड़े संघों, निगमों के एमडी के पद की है इसलिए इसलिए सहकारिता आयुक्त का अनुमोदन ही पर्याप्त नहीं होगा।इस प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद की बैठक में भेजना होगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही इस प्रस्ताव को स्वीकृत किया जा सकता है। यदि सहकारिता विभाग में यह शुरु हुआ तो अन्य विभागों में भी इसकी शुरुआत हो जाएगी।