भोपाल:
लोकसभा में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता मिलना खंडवा लोकसभा की जीत से जुड़ गई है। यहां की जीत तय करेगी कि कांग्रेस को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता मिलती है या नहीं। यदि यह सीट और इसके साथ अन्य सीट पर हो रहे लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस जीती को उसके लिए यह रास्ता आसान हो जाएगा।
*इसलिए फोकस खंडवा पर*
इस गणित के बाद अब कांग्रेस का सबसे ज्यादा जोर खंडवा लोकसभा पर होगा। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद राजनारायण सिंह को टिकट दिया गया है। अब राजनारायण सिंह की जीत के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पूरी ताकत लगाएंगे। यहां पर कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी चुनाव में झोंका जाएंगा। राजनारायणसिंह पूर्नी को दिग्विजय सिंह समर्थक माना जाता है। इसलिए उनकी जिम्मेदारी भी यहां पर बढ़ जाएगी। अब ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का फोकस विधानसभा उपचुनाव की तीन सीटों से ज्यादा इस सीट पर होगा।
*भूरिया और झूमा सोलंकी आदिवासियों में लगाएंगे सेंध*
इस सीट पर कांग्रेस ने अलग रणनीति बनाई है। लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की चार सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षित हैं। इसमें पंधाना, नेपानगर, बागली और भीकनगांव सीट शामिल हैं। खंडवा लोकसभा सीट जीतने के लिए आदिवासी वोट सबसे महत्वपूर्ण होंगे। इसलिए इन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ज्यादा फोकस करेगी। इन चार सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ भीकनगांव सीट ही है। इसके चलते यहां पर कांतिलाल भूरिया सहित अन्य आदिवासी नेताओं को सक्रिय किया जा सकता है।
*अभी यह है लोकसभा में कांग्रेस की स्थिति*
लोकसभा में अभी कांग्रेस के 52 सदस्य हैं। जबकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता के लिए कुल सीटों के दस प्रतिशत सदस्य होने पर मिलती है। लोकसभा की कुल सीट 545 हैं, ऐसे में कांग्रेस को तीन सीट और चाहिए। अभी खंडवा और हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा में उपचुनाव हो रहे हैं। मंडी लोकसभा से भी कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को टिकट दिया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष पद की मान्यता लेने के लिए कांग्रेस को यह दोनों सीट हर हाल में जीतना ही होंगी।