Presidential Election : इस बार राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों की वोट वैल्यू घटी, जानिए क्या है कारण!

ऐसे भी राज्यसभा सदस्य और विधायक जो वोट नहीं दे सकते

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New Delhi : देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हलचल तेज है। मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान कराया जाएगा। 21 जुलाई को मतगणना होगी, जिसके बाद साफ हो जाएगा कि देश के अगले राष्ट्रपति कौन होगा। इस बार के चुनाव हर सांसद के वोट का मूल्य (Vote Value) 708 से घटकर 700 रह जाएगी।
महामहिम का चुनाव बेहद गोपनीय तरीके से कराया जाता है। निर्वाचक अपना वोट किसी को दिखा नहीं सकता। अगर निर्वाचक अपना वोट किसी को दिखाता है, तो उनका वोट रद्द कर दिया जाता है। राष्ट्रपति चुनाव में अभी भी बैलेट पेपर का ही इस्तेमाल किया जाता है। राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है। इस चुनाव में आम जनता वोट नहीं करती! राज्यसभा के निर्वाचित सांसद, लोकसभा के निर्वाचित सदस्य और विधायक ही इसमें वोट डालते हैं।
किंतु, राष्ट्रपति चुनाव में हर सदस्य की वोट वैल्यू अलग-अलग होती है। इस बार सांसदों के वोट की वैल्यू कम होने का क्या कारण है, इस पर एक नजर डालते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में हर सदस्य के वोटों के मूल्य के बारे में संविधान के अनुच्छेद 55 में जिक्र है। इसकी वैल्यू कैसे तय की जाती है इस बारे में भी बताया गया है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में एक MLA के एक वोट की सबसे ज्यादा 208 वोट वैल्यू है। यहां सभी 403 विधायकों के वोटों का कुल मूल्य 83824 है। इसी तरह से सिक्किम में एक विधायक के पास सबसे कम 7 वोट वैल्यू है, यानी यहां के कुल विधायकों के वोटों की वैल्यू 224 है। देश में जितने भी निर्वाचित विधायक हैं उनके वोटों की जो वैल्यू आती है, उसे लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या से डिवाइड किया जाता है। यही एक सांसद के वोट का मूल्य होता है।

विधायकों के वोट की वैल्यू
देश में किसी प्रदेश के MLA के पास कितने मत है इसके लिए हम उस राज्य की जनसंख्या को वहां की विधानसभा सदस्यों की संख्या से डिवाइड करते हैं। इसके बाद जो नंबर आता है उसे फिर 1000 से डिवाइड किया जाता है। इसके बाद जो अंक प्राप्त होता है उससे ही प्रदेश के एक विधायक के वोट का अनुपात निकलता है। जैसे उत्तर प्रदेश में यूपी में एक विधायक के पास सबसे ज्यादा 208 वोट होते हैं। सभी 403 विधायकों के वोटों की कुल वैल्यू 83824 होती है। ठीक ऐसे ही दूसरे राज्यों के वोट की वैल्यू निकाली जाती है।

सांसदों के वोट की वैल्यू
देश के सभी विधायकों के वोटों का जो वैल्यू है उसे लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या से डिवाइड कर दिया जाता है। इसके बाद जो अंक आता है, वही एक MP के वोट का मूल्य होता है। अगर डिवाइड करने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक अंक का इजाफा होता है। यानी एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है। यानी राज्यसभा और लोकसभा के कुल 776 सांसदों के वोटों की संख्या 549408 है।

इस बार इसलिए कम होगी सांसदों की वोट वैल्यू
साल 1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से संसद सदस्य के वोट का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है। लेकिन, इस बार राष्ट्रपति चुनाव 2022 (Presidential Election 2022) में हर सांसद (MP) के वोट का मूल्य (Vote Value) 708 से घटकर 700 रह जाएगी। इसकी वजह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का नहीं होना है। राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर समेत दूसरे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचित मेंबर की संख्या पर आधारित होता है। जम्मू-कश्मीर में अब तक विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के विधायकों के वोट का मूल्य निर्धारित नहीं हो सकेगा और सांसदों की वोट वैल्यू घट जाएगी।

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद चुनाव
अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 83 विधानसभा सीटें थीं। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख पर सीधे केंद्र का शासन होगा। सरकार ने घोषणा की थी कि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन पूरा होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा। पिछले महीने, जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपने अंतिम आदेश को अधिसूचित किया जिसमें उसने नवगठित केंद्रशासित प्रदेश के लिए 90 सदस्यीय विधानसभा की सिफारिश की है। लेकिन इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सदस्यों के निर्वाचन में कुछ समय लग सकता है।

कौन नहीं दे सकता वोट
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य मतदान करते हैं। मनोनीत सांसद और विधायक सहित विधान परिषद के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए वोट नहीं दे सकते हैं।

बदलती रही है वोट वैल्यू
वर्ष 1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से संसद सदस्य के मत का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है। वर्ष 1952 में हुए पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संसद सदस्य के मत का मूल्य 494 था। वर्ष 1957 के राष्ट्रपति चुनाव में यह मामूली रूप से बढ़कर 496 हो गया था । इसके बाद 493 (1962) और 576 (1967 एवं 1969 में) रहा। तीन मई, 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के कारण वर्ष 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। वर्ष 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 723 था। यह वर्ष 1977 से 1992 तक के राष्ट्रपति चुनावों के लिए इसे 702 निर्धारित किया गया।

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