उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक साल पहले लाये गए उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण बिल 2022 को विधानसभा के मानसून सत्र में क्या कानून बनाने की तैयारी में हैं? विश्व जनसंख्या दिवस पर योगी आदित्यनाथ ने जब कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों में ऐसा न हो कि किसी एक वर्ग की जनसंख्या वृद्धि दर अधिक हो और जो मूलनिवासी हैं, उनकी जनसंख्या को स्थिर किया जाए, तो सियासी बवाल मच गया। असदुद्दीन ओवैसी, अखिलेश यादव, मायावती और बहुतेरे नेता ही नहीं, मुख्तार अब्बास नकवी तक को योगी का बयान हजम नहीं हुआ।
बोले तो, संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि भारत 2023 तक चीन को पछाड़ते हुए विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन सकता है। योगी सरकार की ओर से 11 जुलाई 2021 को ही विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश के लिए नई जनसंख्या नीति की घोषणा की गई थी। अब ठीक एक साल बाद मुख्यमंत्री योगी ने समान कार्यक्रम में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को लेकर कहा कि यह कार्यक्रम बढ़े लेकिन ऐसा न हो कि किसी एक समुदाय की आबादी बढ़ने की गति तेज हो। जनसख्या के असंतुलन की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। ऐसा न हो कि जो मूल निवासी हों, उनकी आबादी को नियंत्रित करके जनसंख्या असंतुलन पैदा कर दिया जाए। इसका धार्मिक जनसांख्यिकी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अराजकता-अव्यवस्था शुरू हो जाती है। इसीलिए जब हम जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में बात करते हैं, तो यह सभी के लिए और जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र के ऊपर एक समान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस समय 24 करोड़ से अधिक आबादी है। आने वालो कुछ वर्षों में यह आंकड़ा 25 करोड़ पार कर सकता है। ये देश में सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है।
योगी के उक्त बयान पर विपक्षी नेता भड़क गए। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि योगी झूठ कह रहे हैं, मुसलमान भी इस देश का मूल निवासी है। अच्छा ! अगर मूल निवासी नहीं है, तो फिर कौन है? द्रविडियन और ट्राइबल लोग हैं। योगी और मैं दोनों ही इस देश के मूल निवासी नहीं हैं। ओवैसी ने कहा कि मुसलमान सबसे अधिक गर्भ निरोधकों का उपयोग कर रहे हैं। दो दिन बाद ओवैसी ने चीन का हवाला देते हुए कहा कि ‘हमें चीन की गलती नहीं दोहरानी चाहिए। ‘मैं ऐसे किसी कानून का समर्थन नहीं करूंगा, जिसमें दो बच्चों की नीति बनाने की बात हो। इससे देश को कोई फायदा नहीं होगा।’ इस बार ओवैसी संघ प्रमुख मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाए जाने के बयान पर भड़के और पूछा कि, वे बेरोजगारी पर क्यों नहीं बोलते हैं।
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट करके तंज किया कि अराजकता आबादी से नहीं बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की बरबादी से उपजती है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सीएम योगी के बयान को लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया। मायावती ने कहा कि भाजपा के लोग विवादित मुद्दे खोजकर देश की वास्तविक समस्याओं से भाग रहे हैं। इससे देश का भला कैसे हो सकता है। और तो और भाजपा के बड़े मुस्लिम चेहरे और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस मामले पर ट्वीट कर लोगों को मानसिकता बदलने की सलाह दी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि, ‘बड़ा जनसंख्या विस्फोट किसी धर्म के लिए खतरा नहीं है, यह देश के लिए खतरा है, इसे जाति और धर्म से जोड़ना उचित नहीं है।‘
दूसरी ओर, जनसंख्या नियंत्रण कानून की मुहिम चलाने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह इस मामले में साफ तौर पर कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ की मंशा को समझने की जरूरत है। योगी ने ऐसा कुछ नहीं कहा है, जिसका विरोध होना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण आज देश के स्तर पर जरूरी है। इस दिशा में कठोर कदम उठाए ही जाने चाहिए। वे प्रदेश और देश के हित की ही बात कर रहे हैं। यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी उनके सुर में सुर मिलाया है।
झूठ बोले कौआ काटेः
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन साल पहले ही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से दिये गए अपने भाषण में जनसंख्या विस्फोट को लेकर चिंता जतायी थी। राज्यसभा में भाजपा सांसद और आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने ‘जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019’ प्राइवेट मेम्बर बिल भी पेश किया था। हालांकि, इस बिल की आलोचना भी हुई। कुछ का कहना था कि इससे ग़रीब आबादी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तो कुछ का मानना था कि ये बिल मुसलमान विरोधी है।
बोले तो, 1975 की बदनाम ‘इमरजेंसी’ के दौरान संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए हिम्मत जरूर दिखाई थी, लेकिन उनकी नसबंदी मुहिम हिटलरशाही, उत्पीड़न और अराजकता की शिकार हो गई। नसबंदी से बचने के लिए लोग उस वक्त छिपते फिरते थे और घरों से बाहर शौच के लिए जाने से भी डरने लगे थे। सैकड़ों लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। तब विपक्षी दलों का एक नारा बहुत चर्चित हुआ था, ‘जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मर्द गया नसबंदी में।’ ले-देकर कोई भी सरकार वोट बैंक के कारण जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने से बचती रही है।
सच्चाई ये है कि यूपी के प्रजनन दर की औसत को देखें तो एक महिला औसतन 3.15 बच्चों को जन्म देती है। यानी, एक महिला को तीन से अधिक बच्चे होते हैं। इसे धर्म के आधार पर देखें तो हिंदू महिलाओं में प्रजनन दर औसतन 3.06 है। वहीं, मुस्लिम महिलाओं में यह दर 3.6 है। मतलब, एक मुस्लिम महिला औसतन 3.6 बच्चों को जन्म देती है। दो या उससे कम बच्चे वाली माताओं की संख्या को देखा जाए तो 44.2 फीसदी का आंकड़ा ही दिखता है। मतलब, 55.8 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जो दो से अधिक बच्चों को जन्म दे रही हैं।
दो या दो से कम बच्चों की संख्या को धार्मिक आधार पर देखा जाए तो 44.85 फीसदी महिलाओं को 2 या उससे कम बच्चे हैं। 55.15 फीसदी महिलाओं को दो से अधिक बच्चे हैं। वहीं, मुस्लिम समाज में 40.38 फीसदी महिलाओं को ही 2 या इससे कम बच्चे हैं। 59.62 फीसदी मुस्लिम महिलाओं को दो से अधिक बच्चे हैं। ऐसे में योगी सरकार की ओर से सभी वर्गों में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत बताई गई है। यूपी सरकार में पूर्व मंत्री रहे सिद्धार्थनाथ सिंह कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को धार्मिक नजरिए से देखने की जरूरत नहीं है।
पिछले साल 11 जुलाई को जब उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण बिल 2022 को योगी सरकार की ओर से लॉन्च किया गया तो स्पष्ट किया गया था कि एक साल बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। इस बिल में प्रावधान किया गया कि दो से अधिक बच्चों वाले अभिभावक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे। ऐसे अभिभावक सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। राशन कार्ड में केवल चार सदस्यों को ही शामिल किया जा सकेगा। ऐसे लोग पंचायत और स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
वहीं, दो ही बच्चों तक परिवार सीमित करने वाले जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रिमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में नियोक्ता योगदान बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं दी जाएंगी। दो बच्चे वालों को ग्रीन और एक बच्चे वाले को गोल्ड कार्ड दिए जाने का प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त पूरा वेतन और भत्ते के साथ 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश दिया जाएगा। मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा और जीवनसाथी का बीमा भी किया जाएगा। एक बच्चे वाले कर्मियों को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट दिया जाएगा। यही नहीं यदि कोई आशा वर्कर किसी को स्वेच्छा से नसबंदी के लिए प्रेरित करती है तो उसे अतिरिक्त मानदेय मिलेगा।
गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों को एक बच्चा होने की स्थिति में कई प्रकार का प्रोत्साहन देने की भी योजना है। परिवार में एक लड़का होने पर 77 हजार रुपये और लड़की होने पर 1 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। एक बच्चा होने के बाद नसबंदी ऑपरेशन कराने पर यह सुविधा दी जाएगी। ऐसे परिवार की बच्चियों को उच्च शिक्षा तक मुफ्त पढ़ाई की सुविधा मिलेगी। वहीं, पुत्र को 20 वर्ष की आयु तक मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप और सरकारी नौकरी में वरीयता दिये जाने का प्रावधान है।
दूसरी ओर, जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं मानने पर सरकारी कर्मचारी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने और भविष्य में किसी भी सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य करने जैसे दंड देने की भी योजना है। ऐसे अभिभावकों को 77 सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं देने का प्रस्ताव है। साथ ही, सरकारी कर्मियों को भविष्य में किसी प्रकार का प्रमोशन भी नहीं दिया जा सकता है।
ड्राफ्ट बिल पर 19 जुलाई 2021 तक आम लोगों से सुझाव और शिकायतें मांगी गई थी। उन सुझाव और शिकायतों के आधार पर बिल में कुछ बदलाव हो सकते हैं। तो, क्या मानसून सत्र में इस बिल को कानून का रूप देने की तैयारी हो रही है। नियमों के आधार पर इसे प्रदेश में लागू तो किया ही जा सकता है।
और ये भी गजबः
अपनी “छोटी आंखों” वाली टिप्पणी के लिए सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले नगालैंड के उच्च शिक्षा और आदिवासी मामलों के मंत्री तेमजेन इमना अलांग अब जनसंख्या को लेकर दिये गए अपने बयान के लिए चर्चा में हैं। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर मंत्री ने परिवार नियोजन पर एक “समाधान” भी सुझाया है।
उन्होंने ट्वीट में लिखा कि World Population Day के अवसर पर, आइए हम जनसंख्या वृद्धि के मुद्दों के प्रति समझदार हों। या, मेरी तरह सिंगल रहो। उन्होंने लिखा, “आइए आज singles movement में शामिल हों। तेमजेन इमना अलांग के कहने का मतलब है कि हम ये बात अपने मन में बैठा लें कि हमें जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए सिंगल रहने की तरफ कदम बढ़ाना होगा। मंत्री के इस मजाकिया संदेश की ट्विटर पर कई लोगों ने तारीफ की। एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि मिस्टर इनमा सलमान खान के बाद मोस्ट एलिजिबल बैचलर हैं।
इसके पहले “छोटी आंखें होने के लाभ” पर इनमा की टिप्पणी ने नस्लवाद का आह्वान करते हुए लोगों को मुस्कुराने के लिए बाध्य कर दिया था। मंत्री ने मजाक में कहा था कि छोटी आंखें होने के फायदे हैं। मेरी आँखों में कम गंदगी प्रवेश करती है। इसके अलावा, जब मैं मंच पर होता हूं और एक लंबा कार्यक्रम चल रहा होता है तो मैं आसानी से सो सकता हूं।
साल भर पहले, विश्व जनसंख्या दिवस पर मंदसौर से भाजपा सांसद सुधीर गुप्ता ने बॉलीवुड एक्टर आमिर खान को लेकर विवादित बयान दिया था। वह बोल गए कि अगर हम भारत के लिहाज से देखें, तो आमिर खान जैसे लोग देश की आबादी को असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार हैं, जिन्होंने 3 बच्चों के साथ 2 पत्नियों को छोड़ दिया। सांसद ने कहा कि उनकी पहली पत्नी रीना दत्ता अपने दो बच्चों के साथ और दूसरी पत्नी किरण राव अपने बच्चे के साथ कहां भटकेंगी, उसकी चिंता नहीं? लेकिन दादा आमिर तीसरी की खोज में जुट गए।