मतदाताओं से मिल यशवंत गए-द्रौपदी आ रहीं, यही लोकतंत्र का असल चेहरा है …

लोकतंत्र का यही सही चेहरा है। देश के सर्वोच्च पद का चुनाव है। मतदाता सांसद और विधायकगण। एक सीमित संख्या। पर चुनाव लड़ने वाले को तो जीतने से पहले भी हाथ जोड़कर वोट मांगना है। चुनाव चाहे देश की सबसे छोटी पंचायत का हो या फिर सर्वोच्च संवैधानिक पद का। दिलचस्प यह कि जिसे यह साफ-साफ पता है कि उसकी हार तय है, उसे भी अपने हिस्से के मतदाताओं के पास पहुंचकर हाथ जोड़कर मतदान उसके पक्ष में करने की अपील तो करनी ही है। जिसे यह पता है कि जीत और उसमें बस तय वक्त का फासला है, उसे भी मतदाता से नाता जोड़ने की रस्म पूरा करनी है। यह है लोकतंत्र में सर्वोच्च पद के लिए भी चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का लोकतांत्रिक कर्तव्य और यह है मतदाताओं के मत की गरिमा के सम्मान का बेहतरीन उदाहरण।
जहां हार-जीत सब तय भी हो। जहां यह कतई जरूरी नहीं है कि प्रत्याशी राज्यों में जाकर अपने ही हिस्से के मतदाताओं से मत देने की गुजारिश करे। जहां यह पता है कि बिना व्हिप के भी एक दलीय राजनैतिक विचारधारा से संबद्ध मतदाता पाला बदलने में भरोसा नहीं रखेगा। और यदि तोल-मोल के पाला बदल भी लिया, तब भी न जीतने वाले की सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला और न ही हारने वाले प्रत्याशी का हाजमा बिगड़ने वाला। फिर भी अपनी दलीय विचारधारा वाले राज्यों में जाकर मत मांगने और तर्क सहित अपनी बात रखने का दायित्व बखूबी निभाने का यह सलीका लोकतंत्र ही सिखाता है।
यूपीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा का कहना है कि अगर भाजपा आदिवासी समुदाय का सच्चा सम्मान करना चाहती है, तो द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति नहीं प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाएं। राष्ट्रपति पद के चुनाव अभियान के सिलसिले में देश के विभिन्न राज्यों में जा रहा हूं और मैं मध्य प्रदेश की राजधानी आकर बहुत खुश हूं। इसके पहले मैं केरल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और असम जा चुका हूं।
मैं कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का पिछली रात भोपाल में मेरा गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए आभार व्यक्त करता हूं। मैं कांग्रेस पार्टी के सभी सांसद और विधायकों का धन्यवाद देता हूं कि विपक्ष के राष्ट्रपति चुनाव 2022 के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने मेरा समर्थन किया। इस मूल भाव के बाद राजनैतिक भाव भी उन्होंने पूरे मन से रखा। वह भी तथ्यों और तर्कों सहित। और 14 जुलाई को दोपहर बाद वह भोपाल से विदा हो गए।
वहीं द्रौपदी मुर्मू आज यानि 15 जुलाई को भोपाल में रहेंगी। वह भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की राष्ट्रपति प्रत्याशी हैं। मुर्मू 15 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे भोपाल पहुंचेंगी। स्टेट हैंगर पर उनका पारंपरिक तरीके से भव्य स्वागत किया जायेगा। जिसकी तैयारी भाजपा पिछले कई दिनों से कर रही है। स्वागत के पश्चात मुर्मू मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर सांसद एवं विधायकगणों से मुलाकात करेंगी। तत्पश्चात शाम 6 बजे वह दिल्ली रवाना होंगीं।
प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने प्रदेश कार्यालय में तैयारी बैठक को  संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति प्रत्याशी भोपाल में पहली बार आ रही हैं। जनजातीय बंधुओं की उपस्थिति में कार्यकर्ता उनके भव्य स्वागत की तैयारियां करें। मुर्मू भी लोकतांत्रिक भावना के अनुरूप अपनी बात मतदाताओं के सामने रखेंगीं। इसमें पहली बार महिला आदिवासी को देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचाने की पुरजोर अपील होगी। वहीं तथ्यों व तर्कों सहित एनडीए सरकार की नीतियों और नियति का भी उल्लेख होगा। तो विपक्ष के आरोपों पर भी वह अपना मत खुलकर रख सकती हैं।
यूपीए समर्थक मतदाताओं की आंखों के सामने तस्वीर साफ है कि उनके प्रत्याशी की जीत की संभावना दूर-दूर तक नहीं बन पा रही है। तो एनडीए समर्थक मतदाताओं के मन में यह साफ है कि उनकी प्रत्याशी के सिर पर जीत का ताज रखना तय है, केवल ताजपोशी की औपचारिकता बाकी है। फिर भी लोकतंत्र की भावना के अनुरूप अपनी-अपनी भूमिका में रंग भरने का भाव जारी है। यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि दोनों ही प्रत्याशी राष्ट्रपति पद के अनुरूप व्यक्तित्व के धनी हैं। द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा का लंबा राजनैतिक अनुभव है।
सिन्हा के प्रशासनिक अनुभव को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता।वही मुर्मू का शिक्षक का अनुभव भी महत्वपूर्ण है। सिन्हा भी कभी एनडीए सरकार का हिस्सा रहे हैं, तो मुर्मू को एनडीए ने ही राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है। यह भी लोकतंत्र का मार्मिक दृश्य है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 16 जुलाई को राज्यों के राज्यपालों और अन्य के संग फेयरवेल पार्टी में शामिल होंगे। तो लोकतंत्र का सही मंत्र यही है कि मतदाता सबसे महत्वपूर्ण है। यशवंत सिन्हा मतदाताओं का सम्मान कर रवाना हो गए हैं तो द्रौपदी मुर्मू मतदाताओं का अभिवादन करने भोपाल आ रही हैं। यही तो है न लोकतंत्र की महिमा। यही तो है लोकतंत्र का असली चेहरा।
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कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।